Last Updated: Wednesday, September 14, 2011, 05:58
नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने अपने पूर्ववर्ती जयराम रमेश के इसी साल किए फैसले को पलटते हुए नए उद्योगों को बिना वन विभाग की मंजूरी के ही पर्यावरण मंजूरी की इजाजत दे दी है. जबकि सुप्रीम कोर्ट भी यह मानता है कि बिना वन विभाग की मंजूरी के पर्यावरण मंजूरी नहीं दी जा सकती.
पर्यावरण मंत्रालय ने अपने ताजा फैसले में तय किया है कि अब किसी नए उद्योग के लिए पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन करने से पहले वन विभाग की मंजूरी हासिल करना जरूरी नहीं होगा. उसे सिर्फ वन विभाग में आवेदन किए जाने का प्रमाण भर पेश करना होगा. सिर्फ इसी आधार पर पर्यावरण मंजूरी के उसके आवेदन पर काम शुरू कर दिया जाएगा. यहां तक कि मूल्यांकन समिति अपना फैसला भी कर लेगी और मंत्रालय उस पर अपनी मुहर लगा कर इस बारे में आवेदनकर्ता को जानकारी भी दे देगा.
इससे पहले इसी साल 31 मार्च को मंत्रालय ने तय किया था कि वन विभाग की मंजूरी के बिना ऐसे आवेदन को मंजूर नहीं किया जाएगा. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को सही बताते हुए भविष्य में इसके पालन को जरूरी बताया था. दरअसल, पर्यावरण मंजूरी पहले मिल जाने पर कंपनियां वहां निवेश शुरू कर देती हैं. बाद में वन विभाग को दलील दी जाती है कि न सिर्फ पर्यावरण के लिहाज से यह अनुकूल है, बल्कि यहां बड़ी मात्रा में निवेश भी हो चुका है, इसलिए वह भी इसे मंजूरी दे.
हालांकि, मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि अभी भी यह मंजूरी शर्तो के साथ ही दी जाएगी. इसके मुताबिक पर्यावरण मंजूरी मिलने के एक साल के अंदर आवेदनकर्ता को वन विभाग की मंजूरी का प्रमाणपत्र भी मंत्रालय में पेश करना होगा. खास मौकों पर इस समय सीमा को डेढ़ साल तक किया जा सकता है. मगर इस दौरान वन विभाग की मंजूरी हासिल करने में नाकाम रहने पर पर्यावरण मंजूरी भी रद मान ली जाएगी. ऐसी स्थिति में आवेदनकर्ता को नए सिरे से आवेदन करना होगा।
First Published: Wednesday, September 14, 2011, 11:28