Last Updated: Thursday, August 18, 2011, 12:24

नई दिल्ली। कुछ ऐसे ही बैनर और पोस्टर लेकर समाज के हर वर्ग के लोग सड़कों पर दिख रहे हैं. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हर हिन्दुस्तानी के दिल में जो उम्मीद की 'लौ' जलाई है उसके प्रज्ज्वलित होने का आभास आप इंडिया गेट और तिहाड़ जेल का नजारा देखने के बाद समझ ही जाऐंगे.
लोकतंत्र का यह बड़ा उत्सव बन गया है जिसमें बच्चों, बूढ़े, नौजवान, छात्र-छात्राएं सभी जोश से भरे हुए दिख रहे हैं. आलम यह कि कोई यह नहीं देख रहा कि दूसरा क्या कर रहा है, चार-पांच के समूह में लोग अपनी ही धुन में देशभक्ति के तराने गा रहे हैं. जेल के बाहर मंगलवार रात से ही कुछ लोग जमीन पर बैठे थे तो कुछ थककर सो गए थे, लेकिन पास में ही एक जगह पिघली हुई मोमबत्तियों का मोम पड़ा था जो रात की कहानी बयां कर रहा कि कितने लोग यहां आ चुके.
लोगों का हुजूम देखने लायक है, लोगों के हांथों में तिरंगा के साथ वे लगातार 'भ्रष्टाचार बंद करो' और 'वंदेमात्रम' के नारे लगा रहे है. एक बैनर पर तो लिखा था- 'जो अन्ना नहीं वो गन्ना है.'
लोगों ने माना कि यह जोश महज दो-चार दिनों का नहीं है और जब तक अन्ना हजारे के साथ हर भारतीय का मकसद पूरा नहीं हो जाता तब तक उनके साथ हम यह लड़ाई लड़ते रहेंगे. इसमें ऐसे लोगों की संख्या काफी अधिक थी जो दफ्तर से अवकाश लेकर या घर का काम-धंधा छोड़कर अन्ना हजारे की इस मुहिम में शामिल होने आए थे.
शाम के करीब इंडिया गेट का नजारा देखकर तो आप दंग रह जाते. इंडिया गेट पर मौजूद लोग सरकार, खासतौर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से काफी नाराज दिखाई दे रहे थे. कुछ जगहों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी नारेबाजी हो रही थी.
लोग ज्यादा से ज्यादा की संख्यां में शामिल होकर इस आंदोलन को अधिक व्यापक बना रहे हैं और तरह- तरह के नारे लगाकर एक दूसरे का हौसला भी बढ़ा रहे हैं.
First Published: Thursday, August 18, 2011, 18:02