पदोन्नति में आरक्षण बिल हंगामे के बीच RS में हुआ पेश

पदोन्नति में आरक्षण बिल हंगामे के बीच RS में हुआ पेश

पदोन्नति में आरक्षण बिल हंगामे के बीच RS में हुआ पेशनई दिल्ली : सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण देने संबंधी विधेयक को सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में पेश कर दिया। हालांकि इस विधेयक को सदन में पेश करने के दौरान जमकर हंगामा हुआ। इस बिल को पेश करने के दौरान गतिरोध बढ़ने पर कार्यवाही को स्‍थगित कर दिया गया।

सदन में हंगामे के दौरान आरक्षण बिल को लेकर सपा और बसपा सांसदों के बीच जमकर बहस हुई और दोनों दलों के नेताओं में हाथापाई भी हुई।
गौर हो कि इस विधेयक को मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी प्रदान कर दी।

संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने यहां संवाददाताओं को बताया कि विधेयक कल दोपहर 12 बजे या अपराह्न दो बजे विचार एवं पारित किए जाने के लिए राज्यसभा में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विधेयक संसदीय समिति को नहीं भेजा जाएगा।

बंसल ने बताया कि आज रात व्हिप जारी कर कांग्रेस सदस्यों से कल उपरी सदन में मौजूद रहने को कहा जाएगा, ताकि प्रस्तावित कानून का पारित होना सुनिश्चित हो सके जो एक संवधिान संशोधन विधेयक है। इसके लिए दो तिहाई बहुमत और मतदान के दौरान कुल सदस्यों में से आधे सदस्यों की मौजूदगी जरूरी है।

यह पूछे जाने पर कि क्या कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर विपक्ष द्वारा पैदा किए जा रहे गतिरोध के बीच सरकार इस विधेयक को पारित करा पाने में सक्षम हो पाएगी, मंत्री ने कहा कि उन्होंने भाजपा से सदन को चलने देने का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि विपक्ष चाहता है तो सरकार राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा कराने के लिए तैयार है।
गौर हो कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण देने का प्रावधान बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

प्रधानमंत्री द्वारा गत 21 अगस्त को बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में खासतौर पर उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के मद्देनजर पदोन्नति में आरक्षण पर विचार किया गया जिसमें शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश में एससी.एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने के फैसले को खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश की पृष्ठभूमि में अनेक राजनीतिक दलों ने कानूनी रूप से कायम रहने वाले विधेयक की वकालत की थी। प्रस्तावित विधेयक में संविधान के कम से कम चार अनुच्छेदों में संशोधन किया जाएगा ताकि सरकार एससी.एसटी को पदोन्नति में आरक्षण दे सके।

उच्चतम न्यायालय ने गत 28 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती मायावती सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था जिसके बाद बसपा अध्यक्ष ने संसद में यह मुद्दा उठाया। इस मुद्दे को लेकर संसद के मौजूदा और पिछले सत्र में भी हंगामा देखा गया था। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 5, 2012, 09:03

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