Last Updated: Wednesday, April 4, 2012, 04:24
ज़ी न्यूज ब्यूरोविशाखापत्तनम : आईएनएस चक्र (नेरपा) परमाणु पनडुब्बी के पानी में उतरते ही भारतीय नौसेना दुनिया की उन चुनिंदा सेनाओं में शामिल हो गई जो नाभिकीय पनडुब्बियों के सहारे समंदर की गहराइयों में दबदबा रखती हैं। इस मौके पर केंद्रीय रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी मौजूद थे। उन्होंने आईएनएस चक्र को भारतीय सेना में शामिल करने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आईएनएस चक्र देश की सुरक्षा और संप्रभुता सुनिश्चित करेगा। इससे देश की नौसेना की ताकत में इजाफा होगा।
'आइएनएस चक्र' की नेम प्लेट से सजी यह पनडुब्बी एक बार में तीन महीने से अधिक समय तक पानी के अंदर रहने में सक्षम है और पोतभेदी मिसाइलों एवं सतह से हवा में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों से लैस है। आइएनएस चक्र का वजन 8140 टन है। इस पनडुब्बी की लंबाई 110 मीटर और समुद्र में इसकी रफ्तार 43 किमी प्रति घंटा है। 30 नॉट की अधिकतम गति के साथ यह पनडुब्बी पानी में 600 मीटर गहराई में चल सकती है।
आईएनएस चक्र और स्वदेशी आईएनएस अरिहंत जल्द ही गश्त अभियान शुरू कर सकते हैं जिसके साथ भारत के पास अपनी दूर तक फैली समुद्री सीमाओं पर सुरक्षा के लिए दो परमाणु संचालित पनडुब्बियां होंगी। रूस से 10 साल के लिए नेरपा को लिया गया है और इससे नौसेना को जवानों को प्रशिक्षित करने तथा इस तरह की परमाणु संचालित पनडुब्बियों को संचालित करने का अवसर मिलेगा। भारत ने पनडुब्बी को किराए पर लेने के लिए वर्ष 2004 में रूस के साथ 90 करोड़ डॉलर का करार किया था। इसे कुछ साल पहले नौसेना में शामिल किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन 2008 में एक हादसे के बाद समय बदल गया।
भारतीय नौसेना के चालक दल के सदस्यों को पहले ही रूस में पनडुब्बी के संचालन का प्रशिक्षण दिया गया है। आईएनएस चक्र के संचालन के लिए करीब 30 अधिकारियों समेत 70 से अधिक सदस्यों की जरूरत होगी। पनडुब्बी के परमाणु रिएक्टर का निर्माण रूस ने किया है। स्वदेश निर्मित अरिहंत भी नौसेना के बेड़े में जल्दी शामिल हो सकती है। डीआरडीओ प्रमुख वीके सारस्वत के अनुसार, ‘यह अग्रिम चरण में है। अगले कुछ महीनों में यह अभियान के लिए तैयार होगा।’
First Published: Thursday, April 5, 2012, 00:23