कर्नाटक के मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा ने दिया इस्तीफा

सदानंद गौड़ा का इस्तीफा, शेट्टार होंगे कर्नाटक के नए सीएम

सदानंद गौड़ा का इस्तीफा, शेट्टार होंगे कर्नाटक के नए सीएमनई दिल्ली/बेंगलूर : कर्नाटक में पैदा हुए राजनैतिक संकट को समाप्त करते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा से इस्तीफा दिलवाया और जगदीश शेट्टार उनकी जगह राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे। विगत 11 महीने में राज्य में दूसरी बार नेतृत्व परिवर्तन हो रहा है।

भाजपा विधायक दल मंगलवार को प्रदेश के 56 वर्षीय लिंगायत नेता शेट्टार को अपना नेता चुनेगा। वह 11 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।

अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री को बदलने की लिंगायत नेता बी एस येदियुरप्पा की मांग के आगे झुकते हुए भाजपा आलाकमान ने 59 वर्षीय गौड़ा की जगह ग्रामीण विकास मंत्री शेट्टार को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति जता दी।

वरिष्ठ पार्टी नेता अरुण जेटली और राजनाथ सिंह को नये नेता के चुनाव के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है जो कल बेंगलूर पहुंच सकते हैं।

भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा करते हुए कहा, कर्नाटक में मौजूदा राजनैतिक हालात के मद्देनजर सदानंद गौड़ा ने अपना इस्तीफा मुझे सौंप दिया है। अपने कार्यकाल में उन्होंने अच्छा काम किया और हमारी सरकार का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा।

गडकरी ने कहा, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई शिकायत नहीं थी लेकिन पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए एक अच्छे कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस बात की भी घोषणा की कि पार्टी की तरफ से उन्होंने गौड़ा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है।

गडकरी ने कहा, हमारी पार्टी ने जगदीश शेट्टार को नेतृत्व सौंपने का फैसला किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या पहले आई खबरों के अनुसार पार्टी उपमुख्यमंत्री भी नियुक्त करेगी तो गडकरी ने कहा कि इस मुद्दे पर इस तरह का कोई फैसला नहीं किया गया है।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि चूंकि राज्य में विधानसभा चुनाव होने में अब मात्र 10 महीने बचे हैं इसलिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने महसूस किया कि अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उसे येदियुरप्पा के नेतृत्व में चुनाव लड़ना होगा। अनेक लोग येदियुरप्पा को लिंगायत समुदाय का निर्विवाद नेता मानते हैं। इस समुदाय ने हमेशा पार्टी के लिए मतदान किया है।

सूत्रों ने बताया कि गौड़ा द्वारा अगले कुछ दिन में औपचारिक रूप से अपना इस्तीफा कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज को सौंपने के बाद शेट्टार सरकार बनाने का अपना दावा पेश करेंगे।

भाजपा के साल 2008 में सत्ता में आने के बाद से वह राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री होंगे। येदियुरप्पा के नेतृत्व में पार्टी साल 2008 में राज्य में सत्ता में आई थी। येदियुरप्पा को भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त द्वारा दोषारोपित किए जाने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था। येदियुरप्पा की जगह गौड़ा पिछले साल अगस्त में राज्य के मुख्यमंत्री बने।

शेट्टार की राजनीतिक गाड़ी एक साल से भी कम समय में सही जगह पहुंच गयी है क्योंकि पिछले साल अगस्त में वह भी गौड़ा के सामने मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। तब गौड़ा को येदियुरप्पा की ही पसंद माना गया था।

सूत्रों ने बताया कि यद्यपि गडकरी ने गौड़ा की नयी भूमिका को स्पष्ट नहीं किया लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी सेवाओं का राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर इस्तेमाल किया जाएगा। उन्हें राज्यसभा का टिकट दिए जाने की संभावना है।
बेंगलूर में भाजपा के सूत्रों ने कहा कि गौड़ा खुद पार्टी की कर्नाटक इकाई का अध्यक्ष बनने को उत्सुक नहीं हैं। वह इस पद पर पहले रह चुके हैं।

गडकरी ने कर्नाटक में पार्टी इकाई से एकजुट होकर काम करने और विधानसभा चुनाव में अच्छा परिणाम देने को कहा है। लेकिन दक्षिणी राज्य में भाजपा के भीतर अंतर्कलह होने की वजह से स्पष्ट नहीं है कि यह शांति कितने समय टिकेगी। दिलचस्प बात है कि जब गडकरी ने गौड़ा के इस्तीफे के बारे में घोषणा की तो निवर्तमान मुख्यमंत्री उनके साथ नहीं थे।
गौड़ा पार्टी प्रमुख को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद गडकरी के आवास से पीछे के दरवाजे से बाहर निकल गए। गडकरी ने गौड़ा की जमकर तारीफ की। गडकरी ने कहा कि गौड़ा ने विगत 11 महीने में कर्नाटक में अच्छा और स्वच्छ प्रशासन दिया।
अपनी तरफ से गौड़ा ने इस्तीफा देने को कहे जाने पर कोई नाराजगी नहीं जताई। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के ‘आज्ञाकारी सैनिक’ हैं।

उन्होंने कहा, पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सुनाए गए फैसले को मैंने तहेदिल से स्वीकार किया है। मैं पार्टी का वफादार कार्यकर्ता बना रहूंगा। मैं यह देखना चाहूंगा कि मेरी पार्टी का शेष प्रशासनिक काल अच्छा रहे। नए मुख्यमंत्री को मेरी तरफ से पूरा सहयोग मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को लोगों का एकबार फिर आशीर्वाद मिलेगा।

भाजपा के इस फैसले को कांग्रेस ने ‘कॉस्मेटिक बदलाव’ तथा ‘भ्रष्टाचार की जीत’ कहते हुए इसकी आलोचना की है, वहीं भाजपा के सहयोगी दल जदयू ने कहा कि भाजपा को राज्य में अपना वोट बैंक बरकरार रखने और राष्ट्रपति चुनाव से पहले कुनबे को एकजुट रखने के लिए निर्णय करना पड़ा। (एजेंसी)

First Published: Sunday, July 8, 2012, 22:31

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