Last Updated: Wednesday, October 10, 2012, 09:20

(विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर)
नई दिल्ली : आपाधापी के दौर में व्यस्ततम दिनचर्या और जीवन शैली ने अवसाद को जन्म दिया है। यूं तो न यह लाइलाज बीमारी है और न ही अनुवांशिक फिर भी आपाधापी, असमंजस और अकेलेपन के कारण अवसाद के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
डा. समीर पारिख ने बताया कि अवसाद वास्तव में न कोई लाइलाज बीमारी है और न ही इसका कोई अनुवांशिक कारण होता है। मस्तिष्क में पाए जाने वाले कुछ रसायनों का असंतुलन अवसाद का कारण होता है। नियमित मनोचिकित्सकीय परामर्श और दवाओं से यह असंतुलन दूर किया जा सकता है। लेकिन इसे नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आत्महत्या मौत का आठवां बड़ा कारण है और आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोग अवसादग्रस्त होते हैं। इसीलिए अवसाद को नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है।
एक अन्य डाक्ट़र के अनुसार, आज काम का दबाव, हर कदम पर अनिश्चितता, हमारे आसपास का माहौल, रिश्तों में आ रही जटिलता से लेकर सामाजिक, आर्थिक और अन्य भी कारण हैं, जिनके चलते व्यक्ति खुद को बिल्कुल असहाय, असफल और अकेला महसूस करता है। डॉ सुदर्शनन ने कहा ‘‘अकेलेपन और असहायता की भावना तो अबोध बच्चे में भी होती है। रोते हुए बच्चे को जब मां उठा कर गले लगाती है तो वह चुप हो जाता है। इसी तरह परेशान व्यक्ति के सर पर अगर प्यार से हाथ फेर दिया जाए तो उसे अपनेपन और एक सहारे का अहसास होता है।
किसी अपने को खो कर या विपरीत परिस्थितियों में अक्सर लोग खुद को असहाय, असफल और अकेला महसूस करते हैं तथा अवसाद के शिकार हो सकते हैं। ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ मेन्टल हेल्थ’ और विश्व स्वास्थ्य संगठन की संयुक्त पहल पर मानसिक बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल दस अक्टू बर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2012 के लिए विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम ‘डिप्रेशन : ग्लोबल क्राइसिस’ यानी ‘अवसाद: एक वैश्विक संकट’ रखा गया है।
मनोविज्ञानी मनप्रीत सोढ़ी ने बताया कि अवसाद के लिए कोई उम्र तय नहीं होती। किसी भी उम्र के लोगों को यह समस्या हो सकती है। अवसादग्रस्त व्यक्ति को कुछ भी अच्छा नहीं लगता, उसकी उर्जा का स्तर कम हो जाता है, वह एकाग्र नहीं हो पाता और उसे अपना जीवन निर्थक लगने लगता है।
उन्होंने कहा कि कई बार बातचीत में लोग इस तरह के भाव जाहिर भी करते हैं। ऐसी बातों को हल्के से नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह संकेत व्यक्ति की नकारात्मक सोच जाहिर करते हैं। ऐसे व्यक्ति आत्महत्या तक कर सकते हैं। इसीलिए अगर कोई ऐसी बातें करे तो उसे समझाना चाहिए। अवसाद सामाजिक बुराई नहीं है और इससे ग्रस्त व्यक्ति को मनोचिकित्सक के पास जाने में झिझकना नहीं चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 10, 2012, 09:20