गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेसी दलों की बिसात

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा), वामपंथी पार्टियों और तृणमूल कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को खड़ा कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। भाजपा और कांग्रेस को छोड़ ये पार्टियां चुनाव में जीत भले ही दर्ज न कर पाएं लेकिन वे चुनावी समीकरण जरूर बिगाड़ सकती हैं।

चार नवंबर को होने वाले मतदान में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच चुनावी समर की रेखाएं साफ हो
गई हैं। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच ही है लेकिन कुछ सीटों पर भाजपा से अलग हुई हिमाचल लोकहित पार्टी और हिमाचल स्वाभिमान पार्टी के उम्मीदवार मुकाबला त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

भाजपा के चुनाव प्रचार की बागडोर मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार संभाल रहे हैं। कांग्रेस की कमान पार्टी के कद्दावर नेता वीरभद्र सिंह संभाले हुए हैं जो पांच बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा केंद्र सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।

कुछ सीटों पर सपा ने उम्मीदवार खड़े किए हैं। पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कांगडा, मंडी, हमीरपुर और शिमला जिलों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

चुनावी जंग में उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं, राज्य सभा सांसद व बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा कुमारी मायावती भी अपनी पार्टी को स्थापित करने के लिए लगातार रैलियां कर रही हैं।

मायावती ने कांग्रेस व भाजपा पर कई प्रकार के आरोप लगाए हैं। मायावती ने भाजपा व कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता में रहने के बावजूद गरीबी व बेरोजगारी को दूर करने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए। उन्होंने कहा कि आज भी अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग व सर्व समाज के हितों की रक्षा करने में ये पार्टियां सफल नहीं हुई हैं।

बसपा प्रदेश में सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बसपा नेता मायावती ने हिमाचल में बेरोजगारी व गरीबी का उल्लेख करते हुए कहा कि हिमाचल में जो भी सरकारें रहीं,सत्ता में आने के बाद कोई ऐसा काम नहीं किया कि लोगों को रोजगार मिले। मायावती का कहना है कि दोनों दलों ने राज्य के विकास के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए। मायावती समाज के सभी वर्गों को अपने साथ जोड़कर एक मजबूत पार्टी के रूप में उभरना चाहती हैं।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में भाजपा एवं कांग्रेस के बागियों को टिकट देकर इनकी समस्याएं बढ़ा दी हैं। राज्यसभा सदस्य और तृणमूल के प्रदेश प्रभारी के डी सिंह की मानें तो राज्य में चुनाव लड़ने का मकसद भ्रष्टाचार और महंगाई के विषय को उठाना और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करना है।

विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 25 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं जो भाजपा और कांग्रेस के लिए परेशानी का सबब बन गया है। तृणमूल कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में युवाओं को दो हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता, हर साल एक लाख बेरोजगारों को नौकरी और इंटरमीडिएट छात्रों को लैपटॉप देने का वायदा किया है। पार्टी ने कई लोक लुभावन वायदे भी किए हैं जिनमें रेल सेवाओं एवं सुविधाओं के विस्तार, लघु उद्योग विकास की ठोस नीति, बड़े उद्योग को आकर्षित करने, स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा एवं बुजुर्गों के कल्याण से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पोलित ब्यूरो के सदस्य और राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी ने कहा है कि हिमाचल के लोग इस चुनाव के जरिए पूरे देश की राजनीति की दिशा तय कर सकते हैं। शिमला में उन्होंने जनता से पार्टी को समर्थन देने की अपील की। राज्य में माकपा हिलोपा के साथ मिलकर सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

येचुरी ने राज्य की भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने पांच साल में करीब 35 हजार नौकरियां खत्म कर दी और जमीन को भूमाफियाओं के हाथों बेंच दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा मौकापरस्त पार्टी है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस को छोड़ अन्य दल अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। ये दल सरकार बनाने की भूमिका में भले ही अपने को पेश न कर पाएं लेकिन भाजपा-कांग्रेस के बागी उम्मीदवार इनके सहयोग से उलटफेर जरूर कर सकते हैं।

First Published: Thursday, November 1, 2012, 17:30

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