हिमाचल प्रदेश की राजनीति का इतिहास दिलचस्प रहा है। वर्ष 1971 में हिमाचल प्रदेश को राज्य का दर्जा मिलने के बाद यहां कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बारी-बारी से सरकार बनती रही है। या यह कहें कि यहां कि जनता बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस को जनादेश आती आई है।
इस फार्मूले पर अगर विश्वास करें तो इस बार सत्ता में कांग्रेस को आना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस क्या राज्य में अपनी सरकार बना पाएगी, यह एक बड़ा प्रश्न है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष वीरभद्र सिंह पर जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा है कि वह अपने ऊपर लगे आरोपों से बरी होते हुए जनता को अपने विश्वास में ले।
इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार विरोधी लहर को अपने पक्ष में करने की पूरी कोशिश में जुटी है। उसे उम्मीद है कि भाजपा सरकार के शासन से नाराज लोग उसे ही चुनेंगे लेकिन यह बात उतनी ही सच है कि जनता राज्य सरकार की नीतियों से कम दुखी है और महंगाई और केंद्र की यूपीए-2 सरकार में उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामलों से परेशान अधिक हैं।
कांग्रेस ने चुनाव-प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी सहित कई केंद्रीय मंत्री चुनावी रैलियों को सम्बोधित कर रहे हैं और यह जता रहे हैं कि राज्य की भाजपा सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए कुछ भी नहीं किया है।
सोनिया गांधी अपनी रैलियों में जनता को यह याद दिलाने से नहीं चूक रही हैं कि पिछले पांच सालों में केंद्र सरकार ने विकास के लिए राज्य को जो हजारों करोड़ रुपए उपलब्ध कराए, धूमल सरकार उस राशि को खर्च नहीं कर पाई। तो दूसरी ओर राहुल गांधी किसानों को खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का फायदा समझाकर उन्हें अपनी पार्टी से जोड़ने की कवायद में हैं।
चुनाव के लिहाज से कांग्रेस के घोषणापत्र पर गौर करें तो पार्टी ने युवाओं को खासा तरजीह दी है। घोषणापत्र में लोक लुभावन वादों से युवा वर्ग को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश की गई है। पार्टी ने वादा किया है कि सत्ता में आने पर वह युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देगी, रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी, बोर्ड परीक्षा में टॉप करने वाले छात्रों को मुफ्त लैपट़ॉप देने के साथ ही चार प्रतिशत ब्याज पर शिक्षा ऋण उपलब्ध कराएगी।
इसके अलावा पार्टी ने शासन स्तर पर सुधार के वादे किए हैं। कांग्रेस का कहना है कि वह भ्रष्टाचार से कड़ाई से निपटेगी और प्रशासन को और ज्यादा पारदर्शा और जवाबदेह बनाएगी। साथ ही भाजपा शासन में हुए सभी घोटालों की जांच कराएगी।
घोषणापत्र में कांग्रेस ने हालांकि, महंगाई, एफडीआई और औद्योगिक पैकेज जैसे मसलों पर कुछ नहीं कहा है। पार्टी ने कहा है कि सत्ता में आने पर वह एक नई औद्योगिक नीति लाएगी जिससे उद्योग एवं प्यापारियों को फायदा पहुंचेगा। इसके अलावा पर्यटकों को अधिक संख्या में आकर्षित करने के लिए शिमला के समीप अंतरराष्ट्रीय स्तर का हवाईअड्डे के निर्माण का वादा किया गया है। मंडी में 22 अक्टूबर को सोनिया गांधी ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश कि भाजपा सरकार की वजह से राज्य में विकास नहीं हो पाया। केंद्र ने जो आर्थिक सहायदा दी राज्य सरकार उसे खर्च नहीं कर पाई है। सरकार की नाकामियों की वजह से 10 हजार करोड़ रुपए की राशि लैप्स हो गई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वीरभद्र सिहं, हिमाचल के प्रभारी बीरेंद्र चौधरी, नेता प्रतिपक्ष विद्या स्टोक्स, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर इस चुनावी जंग को जीतने के लिए सभी तरह के सियासी दांव आजमा रहे हैं लेकिन इन चुनावी घोषणाओं से जनता कितना प्रभावित होती है, इसका पता तो चार नवंबर को होने वाले मतदान के बाद ही चल सकेगा।
First Published: Thursday, November 1, 2012, 17:33
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