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धोनी को चांद चाहिए तो...

धोनी को चांद चाहिए तो...रामानुज सिंह

बचपन से लेकर जवानी और फिर बुढ़ापा की हकीकत वाली जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जब यह महसूस होता है कि अगर चांद मिल जाए तो...। नवजात शिशु जब बोल नहीं पाता है तो अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए रोता है, चिल्लाता है तब उसकी मां उसका मन बहलाने के लिए चंदा मामा की लोरी सुनाकर चुप कराती है। इतना ही नहीं प्रेमी अपनी रूठी प्रेमिका को मनाने के लिए चांद तोड़कर लाने की बात करता है। इसपर तो कई गाने भी बने चुके हैं। ‘मैंने पूछा चांद से...देखा है कहीं मेरे यार की हंसी...चांद ने कहा...नहीं...नहीं..’, चांद छुपा बादल में। शादी के बाद महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं, इसमें भी चांद का सहारा लिया जाता है। जिंदगी के हर पड़ाव पर जब चांद की इतनी महत्ता है तो क्रिकेट इससे कैसे अछूता रह सकता है। इन दिनों भारत-इंग्लैंड के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज चल रही है। भारत अहमदाबाद टेस्ट जीता तो इंग्लैंड ने मुंबई टेस्ट जीतकर हिसाब बराबर कर लिया। अब कोलकाता टेस्ट होना है। टीम इंडिया इस मैच को हर हाल में जीतना चाहती है, इसलिए कप्तान धोनी को मनमाफिक पिच चाहिए। धोनी ने फरमान जारी कर दिया कि उन्हें ईडन गार्डन की टर्निंग पिच चाहिए। पिच क्यूरेटर प्रबीर मुखर्जी ने इसपर आपत्ति जताई तो बीसीसीआई ने आशीष भौमिक को इस काम के लिए भेज दिया। इससे प्रबीर इतने नाराज हो गए कि उन्होंने इस्तीफे तक की पेशकश कर दी। साथ ही गुस्से में यह भी बोल गए, ‘धोनी को अगर चांद चाहिए तो चांद लाकर दिया जाएगा? ऐसे भी कप्तान की मांग पर पिच तैयार करना अनैतिक है।

दरअसल टीम इंडिया 2011 वर्ल्ड कप जीतने के बाद अपने नाम कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई है। उसे ज्यादातर मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। इंग्लैंड दौरा में टेस्ट और वनडे दोनों सीरीज में पूरी तरह से टीम इंडिया का सफाया हो गया था। इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में 0-4 से भारत को करारी हार मिली थी। जब नवंबर 2012 में इंग्लैंड टीम भारत दौरे पर आई तो मीडिया ने कहा यह बदले की सीरीज है, भारत इंग्लैंड को अपनी सरजमी पर धूल चटाएगा। क्योंकि भारत को भारत की धरती पर हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। क्योंकि धोनी की सेना में क्रिकेट का भगवान सचिन, मुलतान का सुल्तान सहवाग, फिरकी का जादूगर भज्जी, तेजी से रन बनाने वाली मशीन युवराज सिंह जैसे नामचीन क्रिकेटर हैं। शुरूआत ऐसा ही हुआ। सीरीज का पहला टेस्ट मैच अहमदाबाद में खेला गया। भारत ने टर्निंग पिच पर टर्मिनेटर की बदौलत मैच जीत लिया। बल्लेबाजी में टीम इंडिया के धुरंधर नहीं चले बल्कि टीम इंडिया की नई दीवार चेतेश्वर पुजारा ने वाकई अपनी बेतरीन उपस्थिति दर्ज कराई। दूसरा टेस्ट मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया। भारत पर 200 साल तक राज करने वाले अंग्रेज की मौजूदा क्रिकेट टीम ने भारतीय वातावरण और हालात को पूरी तरह समझा और मुंबई की टर्निंग पिच पर टीम इंडिया को पटखनी दे दी। इस तरह भारत का इंग्लैंड को 4-0 से हराने का सपना हवा हो गया। सीरीज 1-1 से बराबर हो गई।

कप्तान धोनी ने सोचा कोलकाता टेस्ट जीतने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी लगा देंगे। धोनी ने अपनी टीम की कमजोरी को दूर करने के बजाय दूसरी ही रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने बीसीसीआई से कहा, ‘मुझे कोलकाता में जबरदस्त टर्निंग विकेट चाहिए क्योंकि मुझे हर हाल में यह मैच जीतना है। इसलिए बीसीसीआई ने उसकी मांग को तबज्जो दिया, पिच क्यूरेटर को इसी हिसाब से पिच बनाने को कहा। क्यूरेटर प्रबीर मुखर्जी ने धोनी की मांग को खारिज करते हुए कहा कि कप्तान की मांग पर पिच तैयार करना अनैतिक है। इसके बाद बीसीसीआई ने पिच क्यूरेटर का जिम्मा आशीष भौमिक को सौंपा। प्रबीर मुखर्जी ने इसे अपना अपमान समझा और एक महीने की छुट्टी पर चले गए और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल से अपने इस्तीफे की पेशकश कर दी। क्यूरेटर को लेकर बढ़ते विवाद को देख बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने बीच बचाव किया। डालमिया के मनाने पर क्यूरेटर प्रबीर मुखर्जी फिर से काम पर लौटे। प्रबीर मुखर्जी का कहना है कि धोनी को अगर चांद चाहिए तो चांद तोड़कर तो नहीं लाया जा सकता है।

प्रबीर मुखर्जी का कहना बिल्कुल सही है। अगर टीम इंडिया खुद को विश्व चैंपियन मानती है तो उसे हर तरह की पिच पर खेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। बल्लेबाजी, गेंदबाजी, क्षेत्ररक्षण पर निरंतर मेहनत करना चाहिए। ताकि दुनिया के किसी कोने से मिलने वाली चुनौती का सामना किया जा सके। अपने घर में पिच को लेकर कभी विवाद ही नहीं होना चाहिए क्योंकि कमोबेश देश का हर पिच हमारे अनुकूल ही है। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान कपिल देव ने भारत-इंग्लैंड सीरीज शुरू होने से पहले ही कहा था, ‘भारत को सिर्फ टर्निंग विकेट पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है। धोनी को टर्निंग पिच की मांग करने के बजाय माकूल पिच की गुजारिश करनी चाहिए, यह क्रिकेट के लिए अच्छा होता।‘ वहीं पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने कहा, ‘धोनी की मांग जायज है, लेकिन सवाल यह है कि वानखेड़े में भी टर्निंग पिच थी तो फिर करारी हार का सामना क्यों करना पड़ा।‘

First Published: Sunday, December 2, 2012, 16:27

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