Last Updated: Sunday, December 15, 2013, 21:45

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विधानसभा चुनाव के नतीजे की घोषणा के आठ दिन बाद भी सरकार गठन पर राजनीतिक गतिरोध जारी रहने पर राष्ट्रपति शासन के आसार तेज हो गए हैं। चुनाव से त्रिशंकु जनादेश आया है।
उपराज्यपाल नजीब जंग ने कल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दिल्ली की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट भेजी थी और लिखा था कि अब दिल्ली में सरकार गठन संभव नहीं है। शीर्ष अधिकारियों के अनुसार वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 18 दिसंबर को खत्म हो जाएगा और तब तक यदि सरकार नहीं बनती है तब राष्ट्रपति शासन ही विकल्प रह जाएगा। अधिकारियों के अनुसार जंग अब केंद्र से निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।
आम आदमी पार्टी ने उसे समर्थन देने को लेकर कांग्रेस और भाजपा पर कल 18 शर्तें लादकर पूरी जिम्मेदारी इन दोनों दलों पर डाल दी थी। आप ने उनसे इन शर्तों पर उनकी राय जाननी चाही है। उसके इस कदम को इस आलोचना की हवा निकालने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है कि आप जिम्मेदारी से पीछे हट रही है।
70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में भाजपा के पास 31 सीटें हैं और उसके सहयोगी शिअद ने एक सीट जीती है। आप के पास 28 सीटें हैं, कांग्रेस के पास आठ सीटें हैं। जदयू ने एक सीट जीती है जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में हैं। भाजपा ने बहुमत नहीं होने का हवाला देकर सरकार बनाने से इनकार कर दिया। उसके बाद नजीब जंग ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को सरकार गठन पर चर्चा करने के लिए बुलाया।
इसी बीच सभी को चौंकाते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को आप को सरकार गठन के लिए बिना शर्त समर्थन देने की पेशकश करते हुए उपराज्यपाल को एक चिट्ठी भेज दी। भाजपा ने आज यह कहते हुए आप पर प्रहार किया कि उसकी सरकार बनाने में दिलचस्पी नहीं है क्योंकि वह अपने घोषणा पत्र के वादे पूरे नहीं कर पाएगी। आप ने बिजली की दर 50 फीसदी घटाने और हर परिवार को 700 लीटर मुफ्त पानी देने का वादा किया था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल ने कहा, ‘आप को बेनकाब होने का डर सता रहा है। उसके रूख में अंतरविरोध हैं। एक तरफ आप नेता दूसरे राजनीतिक दलों की आलोचना कर रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार बनाने में समर्थन के बारे में उन्हें पत्र भेज रहे हैं।’ गोयल ने कहा, ‘यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि आप ने सरकार गठन की प्रक्रिया को राजनीतिक ड्रामा बना दिया है। सरकार गठन एक गंभीर प्रक्रिया है और उसका इस्तेमाल तुच्छ राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया जाना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘हम सभी ने देखा कि कांग्रेस से बिना शर्त समर्थन की पेशकश के बाद भी कैसे आप इस मुद्दे पर अपना रूख स्पष्ट करने में देरी कर रही है।’ भाजपा नेता ने आश्चर्य जताया कि केजरीवाल ने 18 मुद्दों पर उनकी पार्टी और कांग्रेस को उनका रूख जानने के लिए क्यों पत्र भेजे हैं जबकि उन्होंने शपथ ले रखी है कि उनका भाजपा या कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं है।
भेंट के दौरान केजरीवाल ने जंग को उन पत्रों की प्रतियां सौंपी थीं जो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह को भेजी थी और 18 शर्तों पर उनकी पार्टी की राय मांगी। इन मुद्दों में वीआईपी संस्कृति खत्म करने, बिजली कंपनियों का लेखांकन, विधायक स्थानीय निधि खत्म करने आदि जैसी कई बातें हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 15, 2013, 21:45