Last Updated: Tuesday, March 12, 2013, 17:31

नई दिल्ली : इटली द्वारा अपने दो मरीनों (नौसैनिक) को भारत भेजने से इंकार किए जाने पर संसद में हुए हंगामे के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि यह मामला इटली के साथ उठाया जाएगा ताकि आरोपी सैनिकों को दो भारतीय मछुआरों की कथित हत्या करने के लिए मुकदमे का सामना करने के उद्देश्य से भारत लाया जा सके।
प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले वाम दलों के सांसदों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने उनसे कहा है कि इटली का फैसला अस्वीकार्य है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने हालांकि कहा कि सिंह ने प्रतिनिधिमंडल से सिर्फ इतना कहा कि मामले पर विचार किया जाएगा और वह विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से यह मुद्दा इटली के समक्ष उठाने को कहेंगे।
केरल से वाम और कांग्रेस के नाराज सांसदों ने प्रधानमंत्री से अलग अलग मुलाकात कर अपने गुस्से का इजहार किया और इस गंभीर मसले में उनके हस्तक्षेप की मांग की।
माकपा सांसद एम बी राजेश ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर इतालवी मरीन का मसला उठाया। प्रधानमंत्री ने हमसे कहा कि उन्हें इस बारे में अखबारों से जानकारी लगी है। प्रधानमंत्री ने हमें आश्वासन दिया कि वह विदेश मंत्री से इस मुद्दे पर विचार करने को कहेंगे।
राजेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह (इटली की कार्रवाई) हमें अस्वीकार्य है।
पार्टी के एक अन्य सांसद पी करूणाकरण ने अलग से एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सिंह ने हमसे कहा कि यह हमें स्वीकार्य नहीं। साथ ही प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि मामले को इटली सरकार के साथ पूरी मजबूती से उठाया जाएगा। जब राजेश का ध्यान प्रधानमंत्री कार्यालय की इस बात की ओर दिलाया गया कि सिंह ने ‘अस्वीकार्य’ जैसी कोई बात नहीं कही है, तो उन्होंने कहा कि यह बात गलत है। यदि उन्होंने (मनमोहन ने) यह नहीं कहा कि यह ‘अस्वीकार्य’ है तो इसका मतलब हुआ कि यह भारत सरकार को ‘स्वीकार्य’ है।
इस बीच खुर्शीद ने कहा कि सरकार इटली के फैसले, इसकी वजह और प्रभावों का अध्ययन कर रही है। उन्होंने कहा कि हम अध्ययन करेंगे और सही कदम उठाएंगे।
यूडीएफ प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधत्व करने वाले कांग्रेस सांसद पी सी चाको ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह विदेश मंत्री से इस मुद्दे को देखने को कहेंगे और यह भी कहेंगे कि मरीनों को वापस लाने के लिए सभी राजनयिक जरियों का इस्तेमाल किया जाए।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस (मणि) के सांसद भी यूडीएफ प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
दोनों नौसैनिकों (मरीन) ने पिछले साल फरवरी में केरल में समुद्र तट के निकट दो मछुआरों की कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी। इटली का दावा है कि भारत ने उसके इस आग्रह का जवाब नहीं दिया, जिसमें उसने कहा था कि इस मामले का राजनयिक समाधान निकाला जाए।
माकपा सांसद के एन बालगोपाल ने आरोप लगाया कि यह भारत सरकार और इटली सरकार में उच्चस्थ पदों पर बैठे लोगों के बीच साजिश’’ का नतीजा है। उन्होंने हालांकि इसे और अधिक स्पष्ट नहीं किया और न ही कोई ब्योरा दिया।
इस बीच कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने कहा कि विदेश मंत्रालय और उनका मंत्रालय एक दूसरे से सलाह मशविरा कर सुनिश्चित करेंगे कि इस मामले में प्रभावशाली ढंग से कदम उठाये जाएं।
उन्होंने कहा कि पेचीदगियां हैं क्योंकि मामला किसी अन्य देश से जुड़ा है। हम राजनयिक जरिये से भी रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
कुमार ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि भारतीय कानूनों और अदालती प्रक्रिया का विदेशी सम्मान करें।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से भी संसद परिसर में संवाददाताओं ने इस मसले पर सवाल किया लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की।
माकपा के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री को स्पष्ट करना होगा कि इन मरीन को वापस लाने और भारतीय कानूनों के तहत उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार क्या कडे कदम उठाएगी।
उन्होंने कहा कि इतालवी मरीन ने हमारी न्याय पालिका का अपमान किया है। यह हमारे कानून से जुडा मुद्दा है और दोनों मरीन को मुकदमे का सामना करने के लिए यहां लाना ही होगा। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 12, 2013, 17:31