Last Updated: Monday, June 25, 2012, 20:05

शिमला: केंद्रीय मंत्री और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तथा उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के खिलाफ शिमला की एक अदालत ने सोमवार को भ्रष्टाचार के आरोप तय किए। सिंह ने अभी दो दिन पहले अपना जन्मदिन तथा राजनीति में 50 वर्ष पूरे करने का जश्न मनाया था। विशेष न्यायाधीश बी.एल. सोनी ने अदालत में यह आदेश सुनाया।
आदेश सुनाते हुए निचली अदालत ने मामले की सुनवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी, क्योंकि यह मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में लम्बित है, जिस पर फैसला अभी आना है। वीरभद्र सिंह ने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में मांग की है कि भ्रष्टाचार का यह मामला या तो केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया जाए या उनके और उनकी पत्नी के खिलाफ पुलिस की शिकायत रद्द कर दी जाए।
इसका अर्थ यह है कि निचली अदालत अब मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद ही करेगी।
सोमवार का यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है, क्योंकि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री वीरभद्र सिंह ने आठ जून को धर्मशाला में स्वयं घोषणा की थी कि उनके खिलाफ आरोप तय होने की स्थिति में वह पद से इस्तीफा दे देंगे।
सरकारी पक्ष के विशेष वकील जीवन लाल शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम की धारा 7, 11 और 13 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत वीरभद्र के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि प्रतिभा सिंह के खिलाफ आरोप भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम की धारा 9 तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत तय किए गए हैं। अभियोजन पक्ष ने दम्पति के खिलाफ अक्टूबर 2010 में आरोपपत्र दाखिल किए थे।
भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के तहत वीरभद्र और प्रतिभा सिंह के खिलाफ मामला तीन अगस्त 2009 को दर्ज किया गया था। उन पर आरोप है कि 1989 में जब वह मुख्यमंत्री थे, उन दिनों उन्होंने कथित रूप से अपने पद का दुरुपयोग किया था और आपराधिक कदाचार को अंजाम दिया था।
पुलिस के अनुसार सिंह के राजनीतिक सलाहकार विजय सिंह मनकोटिया द्वारा 2007 में जारी ऑडियो कैसेट के आधार पर दम्पति पर मामला दर्ज किया गया था।
कैसेट में कथित रूप से वीरभद्र की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी महिंदर लाल से फोन पर हुई बातचीत दर्ज है। लाल का निधन हो चुका है।
यह भी बताया गया है कि कैसेट में वीरभद्र की पत्नी और कुछ उद्योगपतियों की आवाज भी दर्ज है। बातचीत के दौरान उन्होंने राज्य में निवेश की पेशकश की थी। इन उद्योगपतियों की पहचान पुलिस ने कर ली है।
बचाव पक्ष के वकील ने कहा है कि यह मामला बहुत हल्का है और यह एक ऑडियो कैसेट के आधार पर दर्ज कराया गया है, जिसकी उत्पत्ति, स्रोत और प्रामाणिकता ज्ञात नहीं है।
पांच बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह की याचिका पर जनवरी में सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि निचली अदालत आरोपियों से पूछताछ करने के लिए स्वतंत्र है।
First Published: Monday, June 25, 2012, 20:05