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राजनीतिक संघर्ष की नई परिभाषा गढ़ते केजरीवाल

Last Updated: Sunday, November 25, 2012, 14:51

मौजूदा राजनीतिक चेहरों से बेमेल खाते टीम केजरीवाल के चेहरों के पास सिर्फ मुद्दों की पोटली है। मुद्दों को उठाने और संघर्ष करने का जज्बा है। कोई अपने इलाके मे अपनी दुकान बंद कर पार्टी का दफ्तर खोल कर राजनीति करने को तैयार है तो कोई अपने घर में केजरीवाल के नाम की पट्टी लगा कर संघर्ष का बिगुल फूंकने को तैयार है और यही सब भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत (एआईसी) के दफ्तर में आक्सीजन भी भर रहा है और अरविन्द केजरीवाल का लगातार मुद्दों को टटोलना।

घोटाले और भ्रष्टाचार: सिल पर पड़त निशान

Last Updated: Monday, September 17, 2012, 13:43

करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात से सिल पर पड़त निशान। झारखंड के संथाल परगना से निकलने वाली एक आदिवासी पत्रिका में दोहे की इन्हीं पंक्तियों के जरीये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर प्रहार किया गया है।

कोयला आवंटन के बाद लूट का खेल

Last Updated: Wednesday, September 5, 2012, 14:07

कोयला मंत्रालय के दस्तावेजों में 58 कोयला ब्लाक कटघरे में हैं। इनमें 35 कोयला ब्लाक पाई निजी कंपनिया ऐसी हैं, जो या तो राजनीतिक नेताओं से जुड़ी हैं या फिर मंत्री, सांसदों या सीएम के कहने पर आंवटित की गई हैं। किसी की सिफारिश मोतीलाल वोहरा ने की।

कोयला खदान के लाइसेंस बांटने में किसके हाथ काले

Last Updated: Saturday, August 25, 2012, 16:38

इंदिरा गांधी ने 1973 में कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया तो मनमोहन सिंह ने 1995 में ही बतौर वित्त मंत्री कोल इंडिया लिमिटेड से कहा कि सरकार के पास देने के धन नहीं है और उसके बाद कोल इंडिया में दोबारा ठेके पर काम होने लगा।

नजर लगी राजा 2014 पर

Last Updated: Friday, August 10, 2012, 17:16

2014 तक राजनीतिक विकल्प का सपना संजोये अन्ना हजारे के पहले ही कदम से अन्ना टीम सकते में है। यूपीए को 2014 में घराशायी कर सत्ता में आने का स्वर्ण अवसर माने बैठी बीजेपी अपने ही लाल बुझक्कड लाल कृष्ण आडवाणी के ब्लॉग संदेश से सकते में है।

राजनीतिक विकल्‍प का सपना

Last Updated: Tuesday, August 7, 2012, 20:18

जो लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून की मांग करते हुये जंतर-मंतर से शुरु हुई, वही लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ अब खुद राजनीतिक लड़ाई के लिये उसी जंतर मंतर पर तैयार है। तो क्या वाकई राजनीतिक तौर पर अन्ना हजारे विकल्प देने को तैयार हैं।

राजनीतिक शून्यता का लोकतंत्र

Last Updated: Friday, July 6, 2012, 15:56

जिस आर्थिक सुधार का ताना-बाना बीते दो दशकों से देश में बुना जा रहा है और अगर अब यह लगने लगा है कि बुना गया ताना-बाना जमीन से ऊपर था।

राष्‍ट्रपति चुनाव: सोनिया के लिए राजनीति का नया पाठ

Last Updated: Wednesday, June 20, 2012, 18:21

तो क्या सोनिया गांधी बदल गई हैं? प्रणब मुखर्जी को राषट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए जाने का जिस तरह खुद सोनिया ने यूपीए की बैठक में चार लाइनें पढ़कर ऐलान किया, उसके बाद से दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में चर्चा यही है कि क्या गांधी परिवार बदल गया है। या सोनिया गांधी बदल गई है। चर्चा की वजह एक ही है।

सिंगरौली के संघर्ष का सफर

Last Updated: Monday, June 4, 2012, 19:33

यह रास्ता जंगल की तरफ जाता जरुर है, लेकिन जंगल का मतलब सिर्फ जानवर नहीं होता। जानवर तो आपके आधुनिक शहर में हैं, जहां ताकत का एहसास होता है। जो ताकतवर है उसके सामने समूची व्यवस्था नतमस्तक है। लेकिन जंगल में तो ऐसा नहीं है। यहां जीने का एहसास है। सामूहिक संघर्ष है। एक-दूसरे के मुश्किल हालात को समझने का संयम है। फिर न्याय से लेकर मुश्किल हालात से निपटने की एक पूरी व्यवस्था है।

यूपीए-2 में कौन मुस्कुरा रहा है

Last Updated: Thursday, May 24, 2012, 12:52

मेरे पास मनमोहन सिंह हैं। यूपीए-2 की शुरुआत सोनिया गांधी के इसी संकेत से हुई थी। जब उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र में अपनी तस्वीर अपनी हथेली से ढककर सिर्फ मनमोहन सिंह की तस्वीर दिखायी थी। यानी 2004 में मेरे पास मां है का डायलाग सोनिया ने ही 2009 में यह कहकर बदला था कि उनके पास अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह है।

राज्यसभा बिकाऊ क्यों है

Last Updated: Tuesday, March 27, 2012, 13:31

असल में इस दौर में जिस तरह से संसदीय राजनीति में सत्ता के हर रंग को लोकतंत्र का रंग बना दिया गया है उसमें लोकतंत्र ही कैसे ठस हो गई है, यह राजयसभा की तस्वीर उभार देती है। पिछले साल राज्यसभा के कुल 245 सदस्यों में से 128 सदस्य उघोगपति, व्यापारी, बिल्डर या बिजनेसपर्सन रहे।