कर्नाटक चुनाव: भ्रष्टाचार है मुख्य चुनावी मुद्दा |
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बेंगलुरू : कर्नाटक में आगामी पांच मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदाता उलझन में हैं कि आखिर किसको किस आधार पर मत दें, क्योंकि सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे को `सबसे भ्रष्ट` बताने में जुटी हुई हैं। इस समय राज्य में चुनावी प्रचार में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस के राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के साथ-साथ राज्य स्तर के अपेक्षाकृत छोटे राजनीतिक दलों के नेता भी जनता से भ्रष्टमुक्त शासन देने और बेहतर प्रशासन प्रदान करने का वादा कर रहे हैं। जैसा कि इस समय दिख रहा है यह भाजपा के विरोधी दलों के लिए मैदान में उतरने का दिन है और भाजपा के पूर्व नेता एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं।
भाजपा के विरोधी दलों को कर्नाटक में पिछले पांच वर्षो में भाजपा शासन के दौरान भ्रष्टाचार की घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करना होगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को हावेरी में जनसभा को सम्बोधित करते हुए यही किया। राहुल ने अपने भाषण में कहा कि भाजपा ने कर्नाटक में भ्रष्टाचार का विश्व कीतिर्मान स्थापित किया है। इस पर पलटवार करते हुए भाजपा ने कहा कि नई दिल्ली में इस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के शासनकाल में भारत को इतिहास के सबसे भ्रष्टकाल का सामना करना पड़ा है। भ्रष्टाचार के अलावा चुनावी प्रचार अभियान में मामूली चर्चा पाने वाले अन्य मुद्दों में बिजली, पानी और बेरोजगारी रहे।
आश्चर्यजनक तरीके से महंगाई का मुद्दा खास तवज्जो नहीं पा सका है। कोई भी राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र को ही गंभीरता से नहीं लेता दिख रहा और कोई भी नेता न तो अपने दल के घोषणापत्र का उल्लेख कर रहा है और न ही कोई उसमें किए गए वादों को दोहरा रहा है। यहां तक कि गरीब परिवारों को भाजपा या कांग्रेस द्वारा बेहद कम कीमतों में अनाज उपलब्ध करवाने के वादे पर भी जोर नहीं दिया जा रहा, जैसे यह कोई नया विचार ही न हो। अगर यह चुनाव कांग्रेस जीत जाती है तो उसके लिए यह उत्साह बढ़ाने वाला साबित होगा वहीं अगर भाजपा अकेले दम पर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो उसके लिए यह एक बार फिर से सपने के साकार होने जैसा होगा। (एजेंसी)
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First Published: Monday, April 29, 2013, 18:45
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