बदलते कांग्रेसी, बदलती राजनीति

Last Updated: Friday, October 5, 2012, 17:35

क्या कांग्रेस की राजनीति बदल रही है? क्या कांग्रेस यह मान चुकी है कि पारंपरिक वोट बैंक अब उसके लिए नहीं है? क्या कांग्रेस राजनीतिक अर्थशास्त्र के दायरे में खुद को खड़ा कर एक नई राजनीति को गढ़ने में लग गई है? ये सवाल इसलिए जरूरी हैं क्योंकि पहली बार कांग्रेसी परंपरा को कांग्रेसी सरकार के जरिए ही पलटी जा रही है।

महात्मा गांधी का भारत

Last Updated: Tuesday, October 2, 2012, 16:52

काल की कठोर आवश्यकताएं महापुरुषों को जन्म देती हैं और घटाटोप अंधकार से घिरे समय में बिजली कौंध कर आगे बढ़ने का रास्ता दिखा जाती है। समय अपने नायकों को ढूंढ लेता है। ये नायक कभी कबीर, तुलसीदास, विवेकानंद तो कभी मार्टिन लूथर, नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी के रूप में हमारे सामने आते हैं।

सरकारी शाहखर्ची बदस्‍तूर जारी और ‘पेड़ पर उगते पैसे’

Last Updated: Wednesday, October 3, 2012, 10:36

हालांकि, राजशाही बीते दौर की बात है, पर देश के राजनेता आज अपनी ‘राजशाही’ पर कई गुना व्यय कर रहे हैं। यह व्यय कुछ ऐसा है, जिस पर मन-मंथन करने के बाद कलेजा मुंह को आ जाता है। आम जनता की गाढ़ी कमाई पर राजशाही का सुख भोग रहे माननीयों को इस बात की तनिक भी परवाह नहीं है कि उनके कारनामों से खजाने का समीकरण बिगड़ रहा है। राजशाही सरीखे शौक होंगे तो शाहखर्ची होना लाजिमी ही है। इस पर लगाम लगाए तो कौन?

सुधारों की पटरी पर दरकता भरोसा

Last Updated: Saturday, September 29, 2012, 22:45

आर्थिक सुधारों की पटरी पर दौड़ रही यूपीए सरकार जहां आम जनता का भरोसा तोड़ने पर आमादा है, वहीं अपने फैसलों को पूरी तरह जायज ठहराने के लिए तर्कों और दलीलों का सहारा ले रही है। इन फैसलों को आम हित में साबित करने के लिए सत्‍तारूढ़ पार्टी हर दिन अपनी कथनी को धार दे रही है, लेकिन वास्‍तव में आम हित और सरोकार की बात कहीं छिप सी गई है।

एक है हिना और एक थी बेनजीर

Last Updated: Saturday, September 29, 2012, 17:55

पाकिस्तान की सियासत में इस दफा जो भूचाल आया है उसका रंग तख्तापलट से एकदम उलट है। जी हां, आवाम की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर को पाकिस्तान की दिवंगत प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो से प्रेम हो गया है।

अन्ना हजारे की सबसे बड़ी भूल

Last Updated: Saturday, February 9, 2013, 21:01

अन्ना सही मायने में जनता का हित चाहते हैं तो आम चुनाव लड़कर देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में जाकर जनहित का कानून बनाएं। जिससे जनता को सही हक मिल सके। अगर वो ऐसा नहीं करते तो यह उनकी सबसे बड़ी भूल है क्योंकि आंदोलन और अनशन से सिर्फ जनता को जगाया जा सकता है पर उसका अधिकार नहीं दिया जा सकता।

जेपी, वीपी तक के जनप्रयोग को बदला मनमोहन ने

Last Updated: Monday, September 24, 2012, 09:36

एक बार फिर आंकड़ों के सियासी खेल में राजनीतिक दलों की साख दांव पर है। भारतीय राजनीति के इतिहास में मौजूदा दौर अपनी तरह का नायाब वक्त है, जब एक साथ आधे दर्जन मंत्रियों के इस्तीफे के बाद सत्ता संभाले कांग्रेस खुश है। राहत में है।

गिलगित-बाल्टिस्तान को हड़पने की डगर पर पाकिस्तान, दिल्ली मौन

Last Updated: Wednesday, September 19, 2012, 17:22

गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान अपना पांचवा सूबा बनाने जा रहा है। इलाके की पाकिस्तान-नियंत्रित गैर-कानूनी विधानसभा ने इस आशय का प्रस्ताव 13 सितंबर को बहुमत से पारित कर दिया। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की अगुआई वाली गिलगित-बाल्टिस्तान परिषद इस पर अपनी मुहर लगा देगी तो मामला पाकिस्तान की नेशनल असेंबली और सीनेट के पास जाएगा। पाकिस्तान के इरादे सिरे चढ़ गए तो पैंसठ साल के अंतराल के बाद यह क्षेत्र पाकिस्तान का एक संवैधानिक राज्य बन जाएगा। अब तक पाकिस्तानी नियंत्रण के बावजूद वहां अदालतें और पाकिस्तानी संविधान इसे पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। वहां के नागरिको को पाकिस्तान के अन्य नागरिकों की भांति अधिकार भी अब तक प्राप्त नहीं हैं । 1994 में पकिस्तान की अपनी सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में साफ़ कर दिया था कि यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा है। यह बात वैधानिक रूप से सही भी है कि आज का गिलगित-बाल्टिस्तान अंग्रेजी राज के दिनों में डोगरा महाराजा हरि सिंह की रियासत का एक भाग था।

खुशियों का खजाना हैं गणपति

Last Updated: Thursday, September 20, 2012, 08:02

भगवान गणेश विघ्नहर्ता है और समस्त सुखों को प्रदान करने वाले है। उनकी स्तुति साधकों की हर मनोकामना पूरी कर देती है ।

एफडीआई के भंवर में खुदरा कारोबार

Last Updated: Sunday, September 23, 2012, 13:31

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की मंजूरी दे दी है। इसका राजनीतिक दलों की ओर से भारी विरोध किया जा रहा है। विरोध करने वालों में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में शामिल राजनीतिक दल भी हैं और वे दल भी हैं जो सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।