द्रमुक के लिए ‘अलागिरी फैक्टर’ बनी मुसीबत

चेन्नई : द्रमुक की परेशानी एम.के. अलागिरी को निष्कासित किए जाने के बाद खत्म नहीं हुई हैं बल्कि दक्षिणी जोन के सचिव अब भी पार्टी के लिए समस्या बने हुए हैं। तमिलनाडु में लोकसभा चुनावों के लिए 24 अप्रैल को मतदान होना है और 63 वर्षीय अलागिरी जनता से इन चुनावों में द्रमुक का सफाया करने का आग्रह कर रहे हैं।

राज्य में चुनाव प्रचार चरम पर है और ऐसे में अलागिरी के असंतोष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वह राज्य के विभिन्न भागों में अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे हैं और अपना द्रमुक विरोधी रवैया खुलेआम जाहिर कर रहे हैं। अलागिरी जो कुछ कर रहे हैं उससे उनके पिता और द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि की रातों की नींद उड़ गई है।

अलागिरी खुल कर आरोप लगा रहे हैं कि द्रमुक ने जितने प्रत्याशी खड़े किए हैं उनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जो उनके छोटे भाई एम के स्टालिन की पसंद हैं और स्टालिन के प्रति ही निष्ठावान हैं। समर्थकों से अलागिरी ऐसे प्रत्याशियों की पराजय सुनिश्चित करने का आग्रह कर रहे हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अलागिरी को 25 मार्च को निष्कासित कर दिया गया था। समझा जाता है कि जब पिछले सप्ताह करूणानिधि चुनाव प्रचार के सिलसिले में मदुरै में थे तो अलागिरी जानबूझकर अलग थे। कई बार वह अपने समर्थकों से आग्रह कर चुके हैं कि द्रमुक के प्रत्याशियों को चुनाव में चौथा स्थान मिले, यह सुनिश्चित किया जाए।

वर्ष 2011 के विधानसभा चुनावों में अन्नाद्रमुक से पराजित हुई द्रमुक खुद को इससे उबारने और मजबूत करने के प्रयास में है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति के असंतोष के स्वर उसके लिए महंगे साबित हो सकते हैं जो दक्षिण तमिलनाडु में पार्टी का चेहरा रहा हो। अलागिरी का आरोप है कि द्रमुक आलाकमान ने भुगतान किए गए धन के आधार पर टिकट दी है। समझा जाता है कि अलागिरी का यह अवज्ञा उनके छोटे भाई और पार्टी के कोषाध्यक्ष स्टालिन के साथ उनकी बढ़ती प्रतिद्वन्द्विता का संकेत है।

रविवार को तिरूनेलवेली में अलागिरी ने कहा, ‘तिरूनेलवेली जिले में पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले कई लोग हैं। यह व्यक्ति, जिसे प्रत्याशी बनाया गया है, वह पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए अनजाना है। अगर हम इस व्यक्ति को हरा दें और द्रमुक के लिए चुनाव में तीसरा स्थान सुनिश्चित करें तब ही हम साबित कर सकते हैं कि हम पार्टी के असली कार्यकर्ता हैं।’ समर्थकों के बीच ‘अंजा नेजां’ के नाम से लोकप्रिय अलागिरी ने यह भी कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि वह चुनावों के बाद ‘अन्ना अरिवालयम’ (द्रमुक मुख्यालय) जरूर लौटेंगे। इससे संकेत मिलता है कि पराजय के बाद पार्टी को उनके महत्व का अहसास होगा।

द्रमुक के प्रति अलागिरी का राजनीतिक रूख साफ है। अन्य दलों को उनके समर्थन के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि उनकी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और एमडीएमके नेता वाइको से मुलाकात हुई लेकिन इनसे कोई निष्कर्ष नहीं निकला। इसका कारण यह है कि मदुरै में द्रमुक के पूर्ववर्ती स्तंभ अलागिरी ने अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में कुछ तय नहीं किया है। (एजेंसी)
First Published: Friday, April 18, 2014, 12:50
First Published: Friday, April 18, 2014, 12:50
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