
इलाहाबाद: भारतीय जनता पार्टी के नेता अमित शाह ने बिजनौर और शामली जिलों में चुनावी सभाओं में कथित रूप से नफरत फैलाने वाले उनके भाषण को लेकर उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र की खंडपीठ ने कल इस याचिका पर सुनवाई करेगी। न्यायालय ने राज्य सरकार को इन दो स्थानों पर अमित शाह के भाषणों की सीडी जमा कराने का निर्देश दिया है। उत्तर प्रदेश के पार्टी प्रभारी और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के करीबी शाह पर भादसं की धारा 153 ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समुदायों के बीच नफरत फैलाना) और जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 (चुनाव के सिलसिले में वर्गों में घृणा को बढ़ावा देना) के तहत मामले दर्ज किये गये हैं।
पिछले सप्ताहांत शाह ने जाट समुदाय के सदस्यों से कथित रूप से आह्वान किया था कि वे मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक दंगे में हुई अपने भाई-बंधुओं की मौत का बदला भाजपा को वोट देकर लें। शाह ने उच्च न्यायालय से इन प्राथमिकियों को निरस्त करने के साथ ही इस मामले में अपनी गिरफ्तारी पर स्थगन लगाने का भी अनुरोध किया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 9, 2014, 16:36