अमृतसर लोकसभा सीट पर प्रतिष्ठा की लड़ाई

अमृतसर : अमृतसर लोकसभा सीट पर प्रतिष्ठा की लड़ाई है जहां एक युद्धनायक तथा वरिष्ठ राजनीतिज्ञ अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए चुनाव मैदान में है तो दूसरी ओर एक रसूखदार नेता इस दिग्गज को पराजित करने के लिए कमर कसे हुए हैं। पंजाब की इस सीट पर सभी की निगाहें हैं जहां 30 अप्रैल को मतदान होगा।

कांग्रेस प्रत्याशी 72 वर्षीय कैप्टन अमरिंदर सिंह जहां अपनी पार्टी की उपलब्धियां गिना रहे हैं वहीं उनसे 11 साल छोटे, भाजपा के अरूण जेटली सुशासन का सपना दिखा रहे हैं। जेटली के लिए यह पहला चुनाव है जिसमें वह प्रत्याक्ष निर्वाचन का सामना करेंगे। यह भी बताया जाता है कि भाजपा नीत राजग के सत्ता में आने पर उन्हें दिल्ली में बड़ी भूमिका मिल सकती है। शायद जेटली ने भी यह नहीं सोचा होगा कि शिरोमणि अकाली दल...भाजपा सरकार के 7 साल के शासन तथा निवर्तमान सांसद नवजोत सिंह सिद्दू के ‘‘प्रदर्शन’’ को लेकर सत्ता विरोधी लहर की पृष्ठभूमि में उन्हें अमृतसर सीट पर कितने कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस पूरे देश में सत्ताविरोधी लहर से दो चार हो रही है लेकिन इन खबरों से शायद उसे कुछ राहत मिलती हो कि पंजाब में उसकी हालत ज्यादा बुरी नहीं है। राज्य में उसने पूर्व मुख्यमंत्री तथा कुछ अन्य बड़े नेताओं को उतारा है।

अमृतसर सीट पर मुकाबला न केवल जेटली और सिंह के लिए बल्कि पंजाब में सत्तारूढ़ बादल परिवार के लिए भी प्रतिष्ठा की लड़ाई है जिनका चुनाव प्रबंधन कौशल राज्यसभा में विपक्ष के नेता जेटली के लिए अहम होगा। सत्तारूढ़ शिरोमणि अकाली दल ने जेटली के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और खुद मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल उनके चुनाव प्रचार में निजी तौर पर दिलचस्पी ले रहे हैं।

उन्होंने तो यहां तक भविष्यवाणी कर डाली कि जेटली नरेंद्र मोदी की सरकार में उप प्रधानमंत्री बनेंगे। इससे असहज हुए भाजपा नेता ने टिप्पणी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इससे बादल का उनके प्रति लगाव जाहिर होता है। अमरिंदर के लिए, उनकी जीत कांग्रेस में उनकी पकड़ फिर मजबूत करेगी क्योंकि तब वह, वर्ष 2007 और 2012 में संपन्न विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के चलते लंबे वनवास के बाद पार्टी में अपनी वापसी की राह बना सकेंगे।

अमरिंदर हालांकि चुनाव लड़ने के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं थे लेकिन जेटली का मुकाबला करने का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आग्रह खारिज भी नहीं कर सके। दिल्ली के जानेमाने वकील तथा भाजपा के एक प्रमुख रणनीतिकार जेटली मोदी के करीबी हैं। चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद सिंह और जेटली ने एक दूसरे को निशाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जेटली ने अमृतसर में एक मकान खरीदा और सिंह ने इस पर भी कटाक्ष कर डाला। यह चुनाव विरासत के लिए लड़ाई बन गया और एक अनिवासी पंजाबी तथा पटियाला के पूर्ववर्ती महाराजा के बीच खुद को पंजाब की मिट्टी का असली बेटा बताने की होड़ सी लग गई। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 20, 2014, 18:34
First Published: Sunday, April 20, 2014, 18:34
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