ज़ी मीडिया ब्यूरो/बिमल कुमार नई दिल्ली : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद सूबे की राजनीति गरमा गई है। बदलते घटनाक्रम के बीच जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के विधायकों की बैठक रविवार शाम चार बजे होगी। जेडीयू विधायक दल की बैठक में नए नेता के नाम का चयन किया जाएगा। इस बात की संभावना है कि सूबे के अगले मुख्यमंत्री के लिए नए नेता का चयन किया जाएगा।
हालांकि, इस बीच जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू यादव के साथ आने के संकेत दिए हैं। यानी जेडीयू के आरजेडी के साथ गठबंधन करने के संकेत दिए।
शरद यादव ने कहा कि बिहार में नई सरकार का गठन किया जाएगा और जेडीयू इसका हिस्सा होगी। नए मुख्यमंत्री के बारे में रविवार को फैसला होगा। यादव ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद से मतभेदों को दूर किया जाए। नीतीश का इस्तीफा पार्टी का सामूहिक फैसला है। नीतीश ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया है। यह सारा प्रयास लोकतंत्र की रक्षा के लिए है।
गौर हो कि राज्य की 243 सदस्यीय विधानसभा में जदयू के 115, भाजपा के 89 और राजद के 21 सदस्य हैं। जदयू को कांग्रेस के चार और भाकपा के एक तथा दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन है।
नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा था कि आज हमारी पार्टी जदयू के विधायक दल की बैठक शाम चार बजे बुलाई गई है और आगे जो भी भूमिका उनकी पार्टी की होगी उस पर गौर किया जाएगा।
गौर हो कि लोकसभा चुनाव में जेडीयू के खराब प्रदर्शन और मतभेद का सामना कर रहे हुए नीतीश कुमार ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन विधानसभा भंग करने की सिफारिश नहीं की। नीतीश के इस्तीफे को जहां भारतीय जनता पार्टी ने ड्रामा कहा है वहीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने अभी इंतजार करने की बात कही। लोकसभा चुनाव में मिली शर्मनाक हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति गर्म हो गई है।
बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ड्रामा कर रहे हैं। वे बागी होने वाले विधायकों को इमोशनल ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। इसके पहले भी वे ऐसा कर चुके हैं। वहीं, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कहा कि राजद सारी परिस्थितियों पर नजर रखे हुए है। नीतीश को बिहार की जनता ने रिजेक्ट कर दिया है। अभी इंतजार कीजिए। इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता प्रेमचंद्र मिश्रा ने नीतीश के इस फैसले को साहसिक फैसला बताते हुए कहा कि हाल के दिनों में जो परिस्थितियां बनी हैं और पार्टी में असंतोष फैला है, यह इस्तीफा उसी की परिणति है। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा कि नीतीश अल्पमत की सरकार चला रहे थे।
इससे पहले, राजभवन की ओर से जारी बयान के अनुसार बिहार के राज्यपाल डी वाई पाटिल ने नीतीश और उनकी कैबिनेट का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। नीतीश ने कहा था कि लोकसभा चुनाव के नतीजे हमारे लिए अच्छे नहीं रहे। जनादेश का सम्मान होना चाहिए। इसलिए मैंने मंत्रिपरिषद का इस्तीफा सौंप दिया। मैंने चुनाव अभियान का नेतृत्व किया। इसलिए इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेना मेरा कर्तव्य है और मुझे लेनी भी चाहिए।
नीतीश ने पटना में पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के दौरान मीडिया के कई मित्रों ने उनसे संपर्क किया था और यह जानना चाहा था कि उन्हें कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करनी है या नहीं तो उनसे उन्होंने कहा था कि शनिवार को बातचीत करेंगे। नीतीश ने कहा कि बिहार में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान का वह नेतृत्व कर रहे थे और जो चुनाव परिणाम आए हैं, उसकी वे जिम्मेदारी लेते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय यह कहना अप्रासंगिक नहीं होगा कि पूरे चुनाव अभियान के दौरान मुद्दों और नीतियों पर बात कम हो रही थी, आरोप-प्रत्यारोप का दौर ज्यादा चल रहा था।लोकसभा चुनाव परिणाम के बारे में नीतीश ने कहा कि वे जनादेश का सम्मान करते हैं और अपेक्षित समर्थन उन्हें नहीं मिला तो उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है।
उधर, लोजपा प्रमुख राम विलास पासवान ने नीतीश कुमार के इस्तीफे को ‘ड्रामा’ बताया और दावा किया कि जेडीयू में अंदरुनी बगावत थी और उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिहार के लोगों ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और जेडीयू दोनों को खारिज कर दिया है और बिहार में अगली सरकार राजग की बनेगी जिसमें उनकी पार्टी एक सहयोगी दल होगी। पासवान ने कहा कि यह ड्रामा है। नीतीश कुमार के पास पद छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं था क्योंकि उनकी पार्टी में अंदरूनी बगावत थी। बिहार में आज, कल या एक साल बाद अगर चुनाव होता है तो राजग सरकार बनाएगी। उनकी पार्टी बिहार में भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ी थी और सात सीटों में से छह पर पार्टी के प्रत्याशी चुनाव जीते। उन्होंने कहा कि दोनों दलों के बीच गठबंधन बिहार विधानसभा के चुनाव में भी जारी रहेगा। बिहार विधानसभा का चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार अक्तूबर 2015 में होना है।
पासवान ने यह भी कहा कि हम बिहार में गठबंधन में चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। नीतीश कुमार का इस्तीफा बिहार की जनता के लिए अच्छा निजात है जिसने राजद प्रमुख लालू प्रसाद और जेडीयू को खारिज कर दिया है। यह बिहार के लिए शुभ संकेत है।
उधर, नीतीश के इस्तीफे ने जेडीयू के मंत्रियों और विधायकों के बीच चिंगारी का काम किया और वे उसके विरोध करने मुख्यमंत्री आवास के बाहर इकट्ठा हो गए। नीतीश के मुख्यमंत्री पद तथा मंत्रिपरिषद से इस्तीफा देने की खबर मिलते ही जदयू के कई विधायक इस कदम को अपनी अस्वीकृति प्रदान करने के लिए पटना के एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। इन विधायकों में शामिल तरारी विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक नरेंद्र पांडेय उर्फ सुनील पांडेय ने तो यह भी कह डाला कि अगर नीतीश अपना इस्तीफा वापस नहीं लेते तो वे स्वयं को जला लेंगे। हम अपने नेता नीतीश कुमार के इस्तीफे को नहीं स्वीकार करते। हम उन्हें मुख्यमंत्री पद छोडने नहीं देंगे।
First Published: Sunday, May 18, 2014, 10:00