ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : देश में आम चुनाव अप्रैल और मई के महीने में होने हैं और इस समय पूरे देश में सियासी सरगर्मी चरम पर है। सभी प्रमख राजनीतिक दल व्यापक चुनाव प्रचार अभियान में व्यस्त हैं और रैलियों, जनसभाओं व चुनावी कार्यक्रमों के जरिये मतदाताओं को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सभी राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करने की कवायद में जुटे हैं।
इसी के तहत देश का चुनावी मूड भांपने और मतदाताओं का रुझान जानने के लिए ज़ी न्यूज ने तालीम रिसर्च फाउंडेशन के जरिये एक चुनाव पूर्व सर्वेक्षण (फेज-2) करवाया। इस सर्वे का मकसद इस बात का आकलन करना था कि 16 मई को कौन सी पार्टी सरकार का गठन करेगी, निर्वाचन क्षेत्रों में वोटिंग का पैटर्न कैसा होगा, किसी पार्टी को कितना वोट शेयर मिलेगा आदि।
इस सर्वे के अनुसार, 35.7 फीसदी वोटरों ने कहा कि वे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में मतदान करेंगे, जबकि 19.9 फीसदी वोटरों ने कहा वे कांग्रेस के पक्ष में वोट करेंगे। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) तीसरे स्थान (3.5 फीसदी) और आम आदम पार्टी (आप) 2.9 फीसदी के साथ चौथे स्थान पर रहा। वोटरों ने क्षेत्रीय दलों जैसे टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) 2.1 फीसदी और समाजवादी पार्टी (सपा) 2.1 फीसदी के पक्ष में भी अपना रुझान प्रदर्शित किया। कुछ अन्य दलों के प्रति वोटरों ने अपने रुझान दिखाए।
बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को 45.7 फीसदी वोटरों ने सबसे पसंदीदा प्रधानमंत्री बताया, वहीं राहुल गांधी को (21.3 फीसदी), तीसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल (4.0 प्रतिशत) और चौथे स्थान पर मायावती (3.7 फीसदी वोटर) को अपना पसंद बताया। इस सर्वे में बीजेपी को 215 से 225 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है। जबकि कांग्रेस को 121 से 132 सीटें मिलने की उम्मीद जताई गई।
आगामी आम चुनाव में बढ़ती महंगाई (65.4 फीसदी), भ्रष्टाचार (46.5 फीसदी) और बेरोजगारी (45.0 फीसदी) ये तीन प्रमुख मुद्दे उभरकर सामने आए। अन्य मुद्दों में आर्थिक विकास (40.2 फीसदी), सड़क-बिजली-पानी (40.0 फीसदी) सामने आए। वहीं, आश्चर्यजनक तौर पर असुरक्षा की तुलना में (12.2 फीसदी) सांप्रदायिकता (6.9 फीसदी) कम प्रमुख मुद्दा उभरकर सामने आया।
करीब 36.3 फीसदी वोटरों का मानना है कि बीजेपी प्रमुख सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का निराकरण कर सकती है जबकि 19.5 फीसदी वोटरों का मानना है कि कांग्रेस इसका हल निकाल सकती है। उसके बाद तीसरा मोर्चा/क्षेत्रीय पार्टियां (12.2 फीसदी) ऐसा कर सकती है। करीब 61.4 फीसदी वोटरों का ऐसा मानना है कि कुछ दलों की ओर बढ़ावा दिए गए वंशवाद की राजनीति देश के हित में नहीं है। जबकि 49.5 फीसदी वोटरों का मानना है कि बीजेपी के अंदरुनी अंतर्कलह से पार्टी को नुकसान होगा।
एक उम्मीदवार का दो संसदीय क्षेत्रों से चुनाव लड़ने के विचार को 62.6 फीसदी वोटरों ने अनुचित बताया। हालांकि, बहुत कम संख्या में (14.1 फीसदी) वोटरों ने इस विचार का समर्थन किया। जबकि 23.2 फीसदी मतदाताओं ने इस पर कोई मत नहीं दिया। करीब 72.6 फीसदी वोटरों ने राजनीतिक विरोधियों की ओर से दिए जाने वाले अमर्यादित, अभ्रद और आपत्तिजनक टिप्प्णी के खिलाफ अपना मत दिया।
इस सर्वे में करीब 95 फीसदी पूर्ण विश्वास के साथ (+/- 5 फीसदी त्रुटि मार्जिन) वोट शेयर और सीटों की अनुमानित स्थिति को तैयार किया गया है। यदि मौजूदा स्थिति में चुनाव कराए जाते हैं तो विभिन्न दलों की ओर से सर्वाधिक और न्यूनतम संख्या में जीते जाने वाले सीटों के आधार पर इस सर्वे में अनुमान को तैयार किया गया है।
फेज 1 की तरह फेज 2 में भी मूड और बदलाव का आकलन करने के लिए बकायदा एक सर्वेक्षण पद्धति का इस्तेमाल किया गया है। फेज 2 सर्वे में दिल्ली, गोवा समेत 23 प्रमुख राज्यों के 66 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में सामान्य, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणियों के आधार पर इसमें शामिल किया गया।
प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में दो विधानसभा क्षेत्रों का क्रमरहित ढंग से चयन किया गया। प्रत्येक विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में चार पोलिंग बूथों का चयन किया गया। इसके बाद हर पोलिंग बूथ पर 30 उत्तरदाताओं (मतदाताओं) को निश्चित सैंपलिंग अंतराल का प्रयोग करके साक्षात्कार के लिए चयन किया गया। इस तरह 132 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 15840 वोटरों का साक्षात्कार लिया जाना था। फेज 2 के ओपिनियन पोल सर्वे में 15377 वोटरों का वास्तविक ढंग से साक्षात्कार लिया गया। फेज 2 का यह सर्वे मार्च 24-अप्रैल 1, 2014 के बीच कराया गया।
फेज 2 में फेज 1 की तरह, दोनों पुरुष (53.5 फीसदी) और महिला (46.5 फीसदी) वोटरों जो विभिन्न धार्मिक समूहों से संबद्ध थे (81.9 फीसदी हिंदू, 11.3 फीसदी मुस्लिम, 3.5 फीसदी ईसाई और 2.3 फीसदी सिख) को शामिल किया गया। इसमें वोटरों की जाति श्रेणी (36.9 फीसदी सामान्य श्रेणी, 18.7 फीसदी अनुसूचित जाति, 9.9 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 30.2 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग और 4.3 फीसदी अन्य) को शामिल किया गया। सभी वोटरों की शैक्षणिक अर्हता और व्यवसाय अलग-अलग थे तथा शहरी क्षेत्रों (28.5 फीसदी) की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों (71.5 फीसदी) के वोटर इसमें अधिक शामिल थे।
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First Published: Thursday, April 3, 2014, 21:30