
नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने गुरुवार को स्वीकार किया कि कांग्रेस धारणा के स्तर पर लड़ाई हार गई है क्योंकि शीर्ष नेतृत्व ने लोगों से ‘संवाद कायम नहीं’ किया।
उन्होंने स्वीकार किया कि सत्ता में 10 साल रहने के बाद कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। रमेश ने कहा कि यह चुनावी मुहिम ‘चुनौतीपूर्ण’ है लेकिन पार्टी तीन अंकों की सम्मानजनक संख्या में मत हासिल करेगी।
रमेश ने एक साक्षात्कार में कहा कि अतिसक्रिय न्यायपालिका, कैग जैसे बेहद सक्रिय संवैधानिक अधिकारी, आक्रामक मीडिया और गैर जिम्मेदार नागरिक समाज मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी प्रतिक्रिया भी धीमी थी। हमने अपनी बात प्रभावशाली तरीके से नहीं पहुंचाई। हमारे शीर्ष नेतृत्व ने संवाद कायम नहीं किया। राजनीति संवाद पर आधारित है। इसलिए हम धारणा के स्तर पर लड़ाई हार गए और हमने उन्हें पर्याप्त रूप से गंभीरता से नहीं लिया।
रमेश से पूछा गया था कि संप्रग सरकार के पिछले दो वर्षों में ऐसा क्या गलत हुआ जिसने भ्रष्टाचार में लिप्त और अनिर्णायक सरकार की धारणा पैदा की। इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंेने यह बात कही। रमेश ने जोर दिया कि संप्रग- दो के प्रदर्शन के बारे में ‘रक्षात्मक या क्षमायाचक होने की आवश्यकता नहीं है’ और कांग्रेस चुनावों में तीन अंकों की सम्मानजनक संख्या में मत हासिल करेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा की मुहिम व्यक्ति पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि मीडिया में व्यक्ति केंद्रित मुहिम अधिक समाचार बनाती है। इसलिए मोदी जो कुछ भी करते है, वह जो कुछ भी कहते है, मीडिया उसके पीछे जाता है। रमेश ने कहा कि कांग्रेस की मुहिम विकेंद्रीकृत है और ‘काफी हद तक अपनी राह’ पर है। उन्होंने कहा कि एक कुत्ते का आदमी को काटना कोई खबर नहीं है। आदमी का कुत्ते को काटना मुख्य समाचार बन जाता है।
उन्होंने कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के अनुमानों को नरेंद्र मोदी के सुनहरे सपने’ करार दिया। रमेश ने कहा कि कांग्रेस चुनाव सर्वेक्षणों को लेकर बेफिक्र है जिन्होंने हमेशा भाजपा के प्रदर्शन को ‘वास्तविकता से अधिक आंका’ है, भले ही वह 2004 के चुनाव हों या 2009 के। उन्होंने कहा कि योगेंद्र यादव जो कि ‘बहुत गहन और गंभीर’ चुनाव विश्लेषण करते हैं, उन्होंने एक बार कहा था कि चुनाव पूर्व सर्वेक्षण सही नहीं रहे हैं और उन्होंने हमेशा भाजपा को ‘वास्तविकता से अधिक आंका’ है। उन्होंने कांग्रेस को ईसप की काल्पनिक कहानियों में एक ‘कछुआ’ बताते हुए कहा कि पार्टी विपक्ष में बैठने के लिए नहीं अपितु जीतने के चुनाव लड़ रही है।
रमेश ने कहा कि कांग्रेस खरगोश और कछुए की कहानी के कछुए की तरह है। अंतत: जीत कछुए की होती है। उन्होंने राहुल को मैराथन पुरष, लंबी दूरी का एक धावक बताते हुए कहा कि उनके पास ‘‘पार्टी के लिए एक रणनीति है। यह पूछे जाने पर कि क्या चुनावों में मोदी लहर है, रमेश ने नहीं में जवाब दिया लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि मोदी को लेकर काफी चर्चा है। इसमें से कई बातें भाजपा ने ही पैदा की है। सोशल मीडिया और आरएसएस के कार्यकर्ताओं के बीच मोदी की चर्चा है। उन्होंने कहा कि चर्चा होने से क्या होता है। भाजपा का एक सूत्री एजेंडा मोदी है। वह ‘भाजपा को मत दो’’ नहीं कह रही बल्कि ‘मोदी को मत दो’ कह रही है। चर्चा तो होगी ही क्योंकि मोदी ‘ड्रामेबाज’ हैं और यह उनके बोलने के तरीके और भाषा से स्पष्ट होता है। रमेश ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी की कमजोरी इसी बात से जाहिर होती है कि वह विभिन्न राज्यों में गठबंधन कर रही है।
सरकार के प्रदर्शन के बारे में पूछने पर रमेश ने कहा कि इसे लेकर रक्षात्मक होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि संप्रग की सत्ता में आठ प्रतिशत और संप्रग-दो के कार्यकाल में 7.3 प्रतिशत विकास हुआ जबकि राजग के कार्यकाल में छह प्रतिशत विकास हुआ था। उन्होंने कुछ उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि हमने 14 करोड़ लोगों को बीपीएल से उपर उठाया जब हम सत्ता में आए थे तब भारत में मोबाइल फोन की संख्या 3.5 करोड़ थी और अब यह लगभग 90 करोड़ है। विश्व में हमारी कॉल दरें सबसे सस्ती हैं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, April 3, 2014, 16:42