नई दिल्ली : भाकपा बेरोजगारी भत्ता देने, नव उदारवादी आर्थिक नीतियों की पूर्ण समीक्षा करने के साथ खुदरा कारोबार में एफडीआई और निजी सार्वजनिक साझेदारी (पीपीपी) माडल का विरोध करेगी जो वित्तीय विनियोग को वैध और घाटे को
संस्थागत बनाता है।
भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी, वरिष्ठ नेता ए बी बर्धन एवं अन्य नेताओं ने आज पार्टी का घोषणापत्र जारी किया। इसमें विदेशों में जमा कालेधन को स्वदेश लाने, गैर निष्पादित आस्तियों वाले कारपोरेट बैंक रिण की वसूली करने के लिए सख्त कानूनी उपाए करने और बकायेदारों की सम्पत्ति को जब्त करने की बात कही गई है।
पार्टी घोषणापत्र में सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत बनाने के कदम उठाने के साथ लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण को रोकने और बड़ी निजी कंपनियों का लेखा परीक्षण कराने और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को संवैधानिक प्राधिकार बनाने का वादा किया गया है। भाकपा ने गैस, पेट्रोल, कोयला, खनिजों जैसे प्राकृतिक संसाधनों को निजी क्षेत्र को सौंपने का विरोध किया है।
भाकपा ने छोटे, माध्यम एवं कुटीर उद्योगों से रिण की वसूली पर रोक लगाने और इनके लिए उत्पाद निर्धारण की व्यवस्था करने की बात कही। पार्टी ने सामाजिक न्याय और समतामूलक आर्थिक विकास के वितरण के आधार पर आर्थिक विकास के मार्ग को फिर से परिभाषित करने का वादा किया। भाकपा ने सभी के लिए आवास, खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधा का वादा किया साथ ही महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण को समाप्त करने पर जोर दिया।
भाकपा घोषणा पत्र में सिंचाई, बीजों और उर्वरकों पर उपयुक्त सब्सिडी देने के लिए कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश में पर्याप्त वृद्धि करने और भूमिहीनों को जमीन का वितरण करने एवं भूमि सुधार की बात भी कही गई है। शहरी क्षेत्र में मनरेगा जैसी योजनाएं बनाकर काम का अधिकार सुनिश्चित करने के साथ ही भाकपा ने काम को बुनियादी अधिकार बनाने और बेरोजगारी भत्ता देने और भर्ती पर लगी रोक को समाप्त करने की बात भी कही।
घोषणापत्र में आतंकवाद का जिक्र करते हुए भाकपा ने आतंकवाद विरोधी नीति की समीक्षा करने की बात कही और ‘सभ्यताओं के संघर्ष के सिद्धांत’ पर आधारित अमेरिकी अवधारणा को छोड़ने की बात कही। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 27, 2014, 23:36