
नई दिल्ली : साल 1952 के बाद से लोकसभा चुनाव का खर्च 80 गुना बढ़ गया है । यह 1952 के 10 करोड़ रूपये से बढ़कर 846 करोड़ रूपया हो गया है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव कराने का वास्तविक खर्च भारत सरकार वहन करती है जबकि राज्य विधानसभा के लिए स्वतंत्र रूप चुनाव कराने का खर्च संबंधित राज्य सरकार वहन करती है।
अगर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ साथ हो तब केंद्र और संबंधित राज्य सरकार के बीच खर्च का बंटवारा होता है। 1952 में हुए पहले चुनाव में 10.45 करोड़ रूपये खर्च हुए थे जबकि 2009 के आम चुनाव में 846.66 करोड़ रूपये खर्च हुए थे।
1957 के चुनाव में केंद्र सरकार ने चुनाव में आए खर्च में 5.9 करोड़ रूपये का योगदान दिया जबकि 1962 में यह बढ़कर 7.32 करोड़ रूपये हो गया जबकि 1967 में केंद्र की हिस्सेदारी 10.79 करोड़ रूपये हो गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 1971 में 11.60 करोड़ रूपये, 1977 में 23.03 करोड़ रूपये, 1980 में 54.77 करोड़ रूपये और 1984.85 में चुनाव कराने में 81.51 करोड़ रूपये खर्च हुए।
1989 में चुनाव कराने में 154.22 करोड़ रूपये, 1991.91 में 359.10 करोड़ रूपये, 1996 में 597.34 करोड़ रूपये, 1998 में 666.22 करोड़ रूपये खर्च हुए। साल 1999 में चुनाव कराने में 947.68 करोड़ रूपये और 2004 में 1113.87 करोड़ रूपये खर्च हुए। चुनाव आयोग के अनुमान के अनुसार, अभी जारी लोकसभा चुनाव 5,000 करोड़ रूपये खर्च हो सकता है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 8, 2014, 20:38