पराजय मंजूर, लेकिन धर्म की राजनीति नहीं करूंगा : मोदी

पराजय मंजूर, लेकिन धर्म की राजनीति नहीं करूंगा : मोदीनई दिल्ली : भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सांप्रदायिकता की राजनीति को सिरे से खारिज करते हुए एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि वह चुनाव में पराजय स्वीकार करने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें धर्म की राजनीति स्वीकार नहीं है।

मोदी ने कहा कि अगर वह सत्ता में आए तो वह पुराने मामलों का निपटारा करने से पहले भविष्य में भ्रष्टाचार रोकने को प्राथमिकता देंगे। मोदी ने यह भी कहा कि अगर उनके खिलाफ कोई ‘प्रोफेशनल’ आरोप लगते हैं तो वह उसकी जांच का सामना करने को तैयार होंगे। उन्होंने कहा कि वह पराजय का सामना करने को तैयार है, लेकिन धर्म और व्यक्तित्व आधारित राजनीति नहीं करेंगे।

राजनीति के अपराधीकरण से निपटने के बारे में मोदी ने कहा कि सरकार उच्चतम न्यायालय से एक ऐसा तंत्र बनाने का आग्रह करेगी, जिसमें सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की तेजी से सुनवाई हो सके। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने जोर दिया कि वह किसी समुदाय से वोट के लिए विशेष अपील नहीं करेंगे क्योंकि वह देश के 125 करोड़ लोगों की एकजुटता में विश्वास करते हैं और वह चुनाव से पहले की ऐसी राजनीतिक गतिविधियों को परास्त करने में गुरेज नहीं करेंगे।

भ्रष्टाचार को ‘रोग’ करार देते हुए मोदी ने कहा कि वह ऐसा तंत्र बनायेंगे जिससे भ्रष्टाचार को रोका जा सके। मोदी ने कहा कि मेरी प्राथमिकता एक ऐसी प्रणाली तैयार करने की होगी जिसके जरिये भ्रष्टाचार की संभावना को कम किया जा सके। हमें यह निर्णय करना है कि क्या मुझे नये भ्रष्टाचार को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए या पुरानी गंदगी को साफ करना चाहिए। मेरी अंतरात्मा कहती है कि मेरा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर होना चाहिए कि नयी गंदगी (भ्रष्टाचार) न हो।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि हमें यह निर्णय करना है कि मुझे अपनी ऊर्जा नये भ्रष्टाचार को रोकने में लगानी चाहिए या पुरानी गंदगी को साफ करने में समय बर्बाद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मैं ऐसा तंत्र तैयार करूं जो प्रौद्योगिकी पर आधारित हो और उसमें पारदर्शिता और सभी निरोधात्मक उपाए हों, तब हम संयुक्त रूप से भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपट सकेंगे। यह राजनीतिक नहीं होना चाहिए अन्यथा इसका मकसद विफल हो जाएगा और यह रोग बढ़ता ही जाएगा। इस सवाल पर कि प्रधानमंत्री के तौर पर उनके खिलाफ अगर कोई भ्रष्टाचार के आरोप लगे तब वह कैसे निपटेंगे, मोदी ने कहा कि प्रोफेशनली अगर मेरे खिलाफ कोई आरोप लगते हैं तब ऐसे मामलों (की जांच) को रुकना नहीं चाहिए बल्कि इसे जारी रहना चाहिए। मोदी को उसे नहीं रोकना चाहिए।

सोनिया गांधी की दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम से मुलाकात पर भाजपा के विरोध करने लेकिन राजनाथ सिंह के लखनऊ में मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिलने के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि मुलाकात पर कोई आपत्ति नहीं थी बल्कि इससे जो संदेश जा रहा था, उस पर आपत्ति थी। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि हम चाहते हैं कि सोनियाजी मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, किन्हीं से भी मिलें। यह लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन एक विशेष समुदाय से वोट देने को कहा जाता है। यह संविधान और चुनाव संबंधी कानून के खिलाफ है। मिलने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इससे जो संदेश बाहर आया, वह चिंता का विषय है।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह वाराणसी में मुसलमानों से अपील करेंगे, जहां से वह चुनाव लड़ रहे हैं, मोदी ने कहा कि मैं हिन्दुओं या मुसलमानों से कोई अपील नहीं करूंगा लेकिन भारत की 125 करोड़ जनता से करूंगा। अगर उन्हें लगता है कि यह सही है तो अच्छा है। लेकिन उन्हें उपयुक्त नहीं लगता है तब मैं चुनाव में पराजय का सामना करने को तैयार हूं। मैं पूरी तरह से सफाये के लिए भी तैयार हूं। मोदी ने कहा कि मेरा मंत्र है, सब लोग समान हैं। मैं धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश के भाइयों में विभाजन स्वीकार नहीं कर सकता। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश को बांट दिया गया है।

आरएसएस के बारे में एक सवाल पर मोदी ने इसे ऐसा सबसे बड़ा गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) बताया जो देश के लिए नि:स्वार्थ भाव से सेवा करता है और कहा कि इसकी शक्ति का सम्मान किया जाना चाहिए। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार ने कहा कि यह (आरएसएस) सांस्कृतिक संगठन है लेकिन इसे निशाना बनाना फैशन बन गया है। जब भी कांग्रेस हार के कगार पर होती है तब आरएसएस पर हमला करती है। खबरों के कारोबारियों और निहित स्वार्थी तत्वों ने आरएसएस को काफी नुकसान पहुंचाया है। आरएसएस को राजनीतिक बहस में घसीटना अन्याय है।

राजनीति में अपराधीकरण के बारे में एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो सभी जीतने वाले उम्मीदवारों का हलाफनामा उच्चतम न्यायालय को सौंपा जायेगा और यह आग्रह किया जाएगा कि इनके खिलाफ लंबित मामलों का तेजी से निपटारा किया। इसके बाद राज्य स्तर पर भी इसे अपनाया जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Friday, April 18, 2014, 18:03
First Published: Friday, April 18, 2014, 18:03
comments powered by Disqus

ओपिनियन पोल

क्‍या चुनाव में करारी हार के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा देना चाहिए?