नई दिल्ली : बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अगर छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस और भाजपा के आर्थिक एजेंडे में बड़ा अंतर नहीं है। दोनों दलों ने वृद्धि को गति देने, मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने, रोजगार सृजन, कर प्रणाली में सुधार तथा निवेशक अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने के अलावा राजकोषीय मुद्दों से प्रभावी तरीके से निपटने का वादा किया है।
भाजपा ने सोमवार को घोषणापत्र जारी किया जिसमें कहा गया है कि वह अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार तथा रोजगार सृजन के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का स्वागत करेगी। भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया है, बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र को छोड़कर उन सभी क्षेत्रों में एफडीआई की अनुमति होगी जहां रोजगार एवं संपत्ति सृजन, बुनियादी ढांचा तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी एवं विशेषीकृत विशेषज्ञता की जरूरत है। वहीं कांग्रेस ने कहा कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति देने के संप्रग के निर्णय से कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे और किसानों को बेहतर रिटर्न मिलेगा।
पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया है, कांग्रेस ऐसे निवेश माहौल को लेकर प्रतिबद्ध है जो एफडीआई को आकषिर्त करने वाला तथा उसके अनुकूल हो। कर सुधारों के मुद्दे पर भाजपा तथा कांग्रेस वस्तु एवं सेवा कर :जीएसटी: को क्रियान्वित करने का वादा किया है। हालांकि, भाजपा घोषणापत्र में प्रत्यक्ष कर संहिता :डीटीसी: मुद्दे पर चुप है जो आयकर कानून 1961 का स्थान लेगा।
कांग्रेस ने सत्ता में आने के एक साल बाद जीएसटी के साथ-साथ डीटीसी को एक साल के भीतर क्रियान्वित करने का वादा किया है। आम सहमति के अभाव में दोनों कर सुधार विधेयक संसद में लंबित हैं। दोनों दलों ने राजकोषीय मजबूती तथा फंसे कर्ज के संदर्भ में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार का संकल्प जताया है। शहरी ढांचागत सुविधा में सुधार पर कांग्रेस ने 100 शहरी संकुल गठित करने की मांग की है वहीं भाजपा की इतनी ही संख्या में नये शहर स्थापित करने की योजना है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 8, 2014, 12:05