वासिंद्र मिश्रसंपादक, ज़ी रीजनल चैनल्सलोकसभा चुनाव 2014 में करारी हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता
कमलनाथ के साथ
सियासत की बात में ज़ी रीजनल चैनल्स के संपादक वासिंद्र मिश्र ने लंबी बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश।
वासिंद्र मिश्र: कमलनाथ जी आपने कहा कि इन चुनावों में हार परिवर्तन के परिणाम हैं....इसके पीछे और कोई कारण नहीं है...इसमें मंथन की जरूरत है...थोड़ा और बताएंगे कि परिवर्तन क्या कुशासन और भ्रष्टाचार से मुक्ती का परिवर्तन है?
कमलनाथ: हमारी जो उपलब्धियां थी...जो समाज विकास के हमारे कार्यक्रम थे.जो विश्व के इतिहास में किसी देश में नहीं हुए...अपने देश में भी कभी नहीं हुए...ये हम जनता को कभी समझा नहीं पाये..दूसरी चीज की परिवर्तन.. 10साल बादUPAसरकार से आम मतदाताओं को थकावट थी और ये थकावट एक कारण था जिससे परिवर्तन की लहर बनी और ऐसे परिणाम आए।
वासिंद्र मिश्र: कमलनाथ जी,अगर हम आपके तर्क को सच माने की जनता थक गई थी या हम अपने शब्दों में कहें ऊब चुकी थी...और दूसरा तर्क जो आप दे रहे हैं कि आप अपनी सरकार की उपलब्धियों को जनता तक नहीं पहुंचा पाये तो ये परिवर्तन की बात आप कर रहे हैं..ये तर्क बीजेपी शासित राज्यों में क्यों नहीं देखने को मिला पिछले दिनों जहां जहां चुनाव हुए...चाहे मध्यप्रदेश हो...राजस्थान हो...या उसके कुछ साल पहले जब गुजरात में चुनाव हुए वहां भी.. पिछले 10 से15 साल से लगातार एक ही पार्टी बीजेपी की सरकार चल रही है...और वहां तीन मुख्यमंत्री पिछले 10 से 15 साल से शासन कर रहे हैं..तो वहां की जनता क्यों नहीं ऊबी...उनके कामकाज से..जनता में थकावट क्यों नहीं आयी..कांग्रेस या यूपीए2 की सरकार को लेकर जनता क्यों थकावट महसूस करने लगी?
कमलनाथ: आपने कर्नाटक,उत्तरांचल और हिमाचल की बात की..वहां बीजेपी की सरकार थी...जहां कांग्रेस की सरकार बन कर आयी। मध्यप्रदेश में10 सालों में बीजेपी ने केन्द्र की योजनाओं का लाभ उठाया और राज्य सरकार की योजनाओं का रूप दिया, उसमे वो सफल हुए। अपनी बात वो पहुंचा पाये...ये अंतर था। वैसे ही गुजरात सरकार अपनी बात जनता को पहुंचा पायी...हमारी ये कमी रही...ये कमी रही..कि हम अपनी बात अपनी उप्लब्धियां..और जब भ्रष्टाचार की बात हुई तो हकीकत क्या है...सच्चाई क्या है..जिस प्रकार से हमें जनता को समझाना चाहिए था..हम समझा नहीं पाये...और यही कारण था कि ये एक लहर बनती गई...एक थकावट आयी और ये परिवर्तन आये।
वासिंद्र मिश्र: कमलनाथ जी,देश में आपकी सरकार थी,सभी संस्थानों पर आपका नियंत्रण था...सूचना विभाग से लेकर संचार मीडिया में भी आपलोग चाहते तो वो आपकी बात उन माध्यमों के जरिये..जनता तक पहुंचा सकती थी...बावज़ूद इसके अगर आप ये तर्क दे रहे हैं कि आप अपनी उप्लब्धियां जनता तक नहीं पहुंचा पाये तो क्या इसका आरोप आप पार्टी के मुखिया...या यूपीए की चेयरपरसन या पार्टी के जो स्टार कैंपेनर थे राहुल गांधी,उन लोगों को जिम्मेदार नहीं मानते हैं...उनके पास उस तरह की कोई प्लानिंग नहीं थी...उस तरह की प्रभावशाली वाणी नहीं थी...जिसके जरिये वे अपनी उप्लब्धियों को,अपनी सरकार की उप्लब्धियों को जनता तक पहुंचा पाये?
कमलनाथ: मैं ये मानता हूं ये सब कमियां थी...सरकार को पार्टी से अलग नहीं किया जा सकता,और पार्टी को सरकार से अलग नहीं किया जा सकता , पर हमारी सरकार का सबसे पहले कर्तव्य था,तो अगर इसमे कोई असफलता हुई तो ये पूरे सरकार की हुई...किसी एक व्यक्ति की नहीं है...ये हर विभाग की योजना थी और हर विभाग को सूचना,संचार का उपयोग करना चाहिए था...जो हो नहीं पाया। जिस प्रकार से हमें करना चाहिए था..हमने नहीं किया...क्योंकि हमारे दृष्टिकोण में हमारे नज़रिये में हमें ये एहसास हो रहा था कि जनता इसे समझ रही है,पर अब हमें बात समझ आयी है कि आम जनता हमारी उप्लब्धियों को, हमारे कार्यकर्मों को समझ नहीं पायी ,इसलिए ये परिणाम हुआ।
वासिंद्र मिश्र: कमलनाथ जी आप कांग्रेस के उस बुरे वक्त में भी पार्टी के साथ थे..कांग्रेस नेतृत्व के साथ थे जब इंदिरा गांधी जी अलग थलग पड़ गई थी राजनीति में...तब आपने इंदिरा जी को ताकत दी,कांग्रेस को दुबारा आप लोग सत्ता में लाए और इंदिरा जी फिर से देश की प्रधानमंत्री बनी। एक बार फिर इस समय कांग्रेस हम कह सकते हैं कि राजनीतिक तौर पर राजनीति के मानचित्र में हाशिये पर पहुंच गई है ..और इस समय फिर एक आवाज़ उठने लगी है कि जो मौजूदा नेतृत्व है,संगठन का ,वो उतना प्रभावी नहीं है ।आम जनता से उसका संपर्क नहीं है और उनके मुकाबले अगर प्रियंका गांधी को आगे लाया जाता है तो बेहतर विकल्प हो सकता है मौजूदा समय में। क्या आप इस राय के साथ हैं? आप इस तकह की कोई बातचीत करेंगे जब आत्म मंथन का वक्त आएगा और आपके साथ बाकी जो साथी हैं वो बैठकर कोई विचार विमर्श करेंगे।आप मानते हैं नेतृत्व परिवर्तन इस समय की सबसे बड़ी आवश्यक्ता है?
कमलनाथ: ये परिवर्तन की बात नहीं है,सबको मिलकर,जिसमे प्रियंका जी भी हैं, सब को मिलकर इस पर मंथन करना पड़ेगा। क्या रूप प्रियंका जी लेना चाहेंगी ये उनका परिवार तय करेगा। पर इस समय सबकी आवश्यक्ता है,राहुल जी, प्रियंका जी की आवश्यक्ता है..सोनिया गांधी जी कि आवश्यक्ता है,हर कांग्रेस कार्यकर्ता की आवश्यक्ता है। ये आज समय की पुकार है। अब मंथन के बाद,आत्म चिंतन के बाद इस पर जरूर विचार करेंगे।
वासिंद्र मिश्र: इतिहास में वापस जाते हैं फिर,चूंकि आप इसके साक्षी रह चुके हैं आपातकाल के बाद जिस तरह से इंदिरा जी और उनका पूरा परिवार पूरी तरह से निराश बैठ गया था। उस स्थिति में और आज जो परिणाम देखने को मिल रहे हैं,इसमें क्या समानता हैं,आपकी नजर में?
कमलनाथ: इसमे कोई शक नहीं कि इस परिणाम से दुख होगा,लेकिन कोई हिम्मत हारने वाला नहीं है क्योंकी गांधी परिवार कभी हिम्मत नहीं हारते। मुझे पूरा विश्वास है कि आगे आने वाले समय में गांधी परिवार का जो रोल रहा है इस बुरे समय में वही रोल रहेगा। और फिर से कांग्रेस उभर कर आएगी। संगठन में परिवर्तन होगा,संगठन में मजबूती होगी और आने वाले समय में फिर से केन्द्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी। नारों की राजनीति जिसका प्रयोग बीजेपी ने किया ये ज्यादा समय नहीं चलता। आज उपल्ब्धियों की राजनीति है,हम देखे की पिछले10 सालों में आर्थिक दृष्टि में,अपने देश की अर्थव्यवस्था में,अपने देश की क्रय शक्ति,बढ़ती हुई क्रय शक्ति,अपने देश में ग्रामीण क्षेत्रों में कितने ट्रैक्टर थे,10 साल पहले, कितने 2 व्हीलर थे,कितने 4 व्हीलर थे,हमारे किसानों को कितना भाव मिलता है,ये अगर हम बातें देखे तो ये भी एक रिकार्ड था।
वासिंद्र मिश्र: यही बात हम आपसे समझना चाह रहे हैं, जब हमने बातचीत की शुरूआत की तब आपने माना कि अपनी उपलब्धियां आप लोग जनता तक नहीं पहुंचा पाये। तो इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है? ये किसका काम है? नेतृत्व का काम है,जो लीड कर रहे उनका काम है। आमतौर पर राहुल गांधी के बारें में कहा जाता है कि वो कनेक्ट नहीं कर पा रहे हैं आम लोगों से। जिस आवाम को वो संबोधित करने जा रहे हैं, उनकी भाषा ना तो राहुल समझ रहे हैं और ना ही वो राहुल की भाषा समझ पा रहे हैं। राहुल गांधी की वर्किंग स्टाइल को लेकर पार्टी के तमाम वेटेरन चुनाव में शांत हो गए थे। ये कह सकते हैं कि मूक दर्शक बन कर बैठे थे। तो इसके लिए आप नेतृत्व की नाकामी नहीं मानते?राहुल गांधी की नाकामी नहीं मानते?
कमलनाथ: मैं नहीं मानता कि किसी एक व्यक्ती की नाकामी है। ये अगर नाकामी है तो सबकी है,सरकार की है,कांग्रेस के पूरे संगठन की है,क्योंकी अगर हम परिणाम देंखे,देश भर में परिणाम देखें,जहां जहां कांग्रेस संगठन फेल हुआ है ये बात साफ उभर के आयी है। ये एक व्यक्ति की बात या दो व्यक्ति की बात नहीं है,मै इसे नहीं मानता।
वासिंद्र मिश्र: लेकिन एक बात तो सच है ना कि जिस तरीके से राहुल गांधी ने पूरा कैंपेन किया.,उसमे लग रहा था कि अकेले वहीं चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी के तमाम दिग्गज नेता जो 10 सालों तक सरकार में रहकर मलाई खाते रहे,वे दिग्गज नेता जो 10 साल तक पार्टी में रहकर सत्ता का सुख भोगते रहे,वे चुनाव कैंपेन के दौरान दूर दूर तक नज़र नहीं आए। इसका क्या कारण था और जो आये भी उन्होंने पार्टी के लिए मुसिबत ज्यादा पैदा की अपने गैरज़िम्मेदाराना बयानों से।
कमलनाथ: ऐसी बात नहीं है,क्योंकि मै अपना उदाहरण लूं तो मैने अन्य जगहों पर भी प्रचार किया। बहुत सारे कांग्रेस नेता खुद चुनाव लड़ रहे थे। चुनाव क्योंकी लगभग डेढ़ दो महिने का था,तो इस,चुनाव में लोग अपने क्षेत्र में ही फंसे रहे। तो ये कारण था कि बहुत सारे दिग्गज नेता थे जो अलग अलग जगह नहीं पहुंच पाये। वो अपने खुद के चुनाव में व्यस्त थे। पर ये बात कहना की राहुल गांधी अकेले थे और वे अकेले प्रचार कर रहे थे,ये बात सही नहीं है। ये तो स्वभाविक है कि राहुल गांधी का सबसे ज्यादा प्रचार हुआ और राहुल गांधी जी इसमें लगे रहे। लेकिन ये कहना की दिग्गज नेता दर्शक बन तक बैठे रहे,ये बात सही नहीं है।
वासिंद्र मिश्र: कमलनाथ जी,जो कैंपेन का तरीका था,जो नज़ारा देखने को मिला देश की जनता को,उससे लग रहा है कि राहुल गांधी भी एक करह से रिमोट तरीके से जो स्पीच दी जाती है,उस तरह उनकी बातचीत का तरीका था। और बीच बीच में एंग्री यंग मैन के रूप में जो दिखते थे वो पार्टी को फायदा पहुंचाने के बजाए नुकसान ज्यादा पहुंचा गया। आपको लगता है कि राहुल गांधी की वो बॉडी लैंग्वेज और जो भाषा शैली थी उसमे सुधार और परिवर्तन की जरूरत है,आने वाले समय में?
कमलनाथ: देखिए समय समय पर अलग अलग जगह पर अलग स्टाइल होता है। क्योंकि एक ही बात अलग अगल स्टाइल से कहनी पड़ती है। पर मैं सोचता हूं कि इसमें सब सोच विचार करेंगे और कोई ना कोई निर्णय इसमे जरूर होगा। पर सबसे बड़ी चीज है कि आत्मचिंतन करें,मंथन करें कि हम कहां पिछड़ गए और अब सुधार कैसे लाया जाए।
वासिंद्र मिश्र: एक सबसे गंभीर आरोप जो आपकी सरकार पर 10 सालों तक लगता रहा कि आपके सरकार के जो मुखिया थे मनमोहन सिंह,वो अमेरिका परस्त थे। उनकी नीतियां अमेरिका परस्त थी। दूसरा आरोप लगता रहा कि आप लोग नीति बनाते हैं बड़े औद्योगिक घरानों के हितों को ध्यान में रख कर। लेकिन क्या कारण था की चुनाव के दौरान जिन लोगों को कारण पूरे 5 साल आप पर गंभीर आरोप लगते रहे। गरीबों के हितों की उपेक्षा का आरोप लगता रहा। प्रचार के दौरान जिनके लिए आप बदनाम हुए,वो भी आपके साथ खड़े नहीं हुए और जिनके हितों की रक्षा करते हुए आपने देश के करोड़ो गरिबों के हितों की अनदेखी की वे भी आपके खिलाफ हो गए। कहां आपसे चूक हई,आपकी सरकार से और आपके सरकार की मुखिया से?
कमलनाथ: ये बात सही है कि सूचना प्रसार में हम कमज़ोर रहे। ये भी बात है कि 10 साल में मध्यम वर्ग को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। हमारे सबसे कमज़ोर वर्ग को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। पर जिस प्रकार से हमने अपनी बात पहुंचानी थी कि हमारी नीतियां हैं और ये इन नीतियों का परिणाम है, ये प्रगति और विकास है। ये पूरे देश में दिखता है कि किस प्रकार से विकास और प्रगति हुई,कहीं कम तो कहीं ज्यादा हुआ। इन सब बातों को जनता समझ नहीं पायी। कहना कि मनमोहन सिंह जी की अमरिका की नीति थी,ये सही नहीं है। मैं भी वाणिज्य मंत्री रहा हूं। नीतियां बनाने में मेरा भी बहुत बड़ा हिस्सा था। ये नीतियां देश हित में बनायी गई। हमने अमरिका को नहीं देखा। मनमोहन सिंह ने अमरिका को नहीं देखा। हमने देश को सामने रख कर नीतियां बनाई।
वासिंद्र मिश्र: सबसे दिलचस्प बात ये कही जाती है आपके बारें में कि आपकी जितनी स्वीकार्यता कांग्रेस पार्टी के अंदर है,उससे ज्यादा गैर कांग्रेसी दलों में है। शायद इसलिए फ्लोर मैनेजमेंट का जब जब संकट आया तब आपको वो ज़िम्मेदारी दी गई संसद के अंदर। इस समय तीन तरह के बयान देखने को मिल रहे हैं देश की जनता को। खास तौर से बीजेपी के नेता दे रहे हैं। आडवाणी जी का बयान हैं कि आरएसएस की मेहनत का नतीजा है। आरएसएस के संगठनों की मेहनत का नतीजा है। मौजूदा सरकार की जो नाकामी रही है, भ्रष्टाचार रहा है उसका नतीजा है। शुषमा स्वराज जी कह रही हैं कि बीजेपी की जीत है। आपके रिश्ते सब से रहे हैं। अभी सरकार जाते जाते भी जिस तरह से आपकी सरकार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आयोग बनाने का अथक प्रयास कर रही थी और जज खोज रही थी। उस समय भी आपने स्टैंड लिया और कहा कि अभी ये काम आने वाली सरकार पर छोड़ देना चाहिए। ये जो कामयाबी मिली है बीजेपी को और एनडीए को इसका क्रेडिट आप किसको देंगे? मोदी को,बीजेपी को,आरएसएस को या अपनी सरकार की नाकामी और पुअर गवर्नेंस को।
कमलनाथ: मैं दो चीजों को क्रेडिट देता हूं,एक प्रचार-प्रसार में हमारी कमी और दूसरी चीज परिवर्तन की लहर को। बीजेपी किसको क्रेडिट दे, ये वो खुद तय करे पर इसमें कोई शक नहीं कि एक भयानक परिवर्तन की लहर थी और हमारी जो कमी थी,ये सूचना-संचार की कमी,ये एक बहुत बड़ा कारण रहा।
वासिंद्र मिश्र:कमलनाथ ज़ी हमसे बात करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
First Published: Sunday, May 18, 2014, 17:26