मप्र में 4 सीटों पर पुराने चेहरों के बीच कांटे की टक्कर

इंदौर : मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से चार पर पिछले चुनावों के निकटतम प्रतिद्वन्द्वी इस बार फिर दो-दो हाथ कर रहे हैं और उनके दल अपने उम्मीदवार बदलने का जोखिम नहीं उठा सके हैं। इंदौर सीट पर वरिष्ठ भाजपा नेता व निवर्तमान सांसद सुमित्रा महाजन और कांग्रेस के पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल के बीच लगातार दूसरी बार चुनावी मुकाबला हो रहा है। ‘ताई’ के उपनाम से मशहूर सुमित्रा ने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में पटेल को 11,480 मतों के नजदीकी अंतर से मात देकर लगातार सातवीं बार यह सीट जीती थी।

इस बार सुमित्रा भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लहर का दावा करते हुए अपनी लगातार आठवीं चुनावी जीत के प्रति खुद को आश्वस्त बता रही हैं, जबकि वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अनिल त्रिवेदी की आम आदमी पार्टी के टिकट पर उम्मीदवारी से इंदौर में मतों के बंटवारे के समीकरण एक हद तक बदल सकते हैं। अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित रतलाम सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और वरिष्ठ भाजपा नेता दिलीप सिंह भूरिया चुनावी जंग के लिये फिर मैदान में हैं। पिछली बार कांतिलाल ने दिलीप सिंह को 57,668 वोटों के अंतर से परास्त करके इस सीट पर विजय हासिल की थी।

खंडवा लोकसभा क्षेत्र में वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व सांसद नंदकुमार सिंह चौहान उर्फ ‘नंदू भैया’ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के खिलाफ लगातार दूसरी बार ताल ठोंक रहे हैं। पिछले चुनावों में यादव ने चौहान को 49,081 मतों से हराया था। निवर्तमान सांसद यादव की उम्मीदवारी के कारण कांग्रेस के लिये यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गयी है। वहीं नर्मदा बचाओ आंदोलन के प्रमुख नेता और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार आलोक अग्रवाल इस सीट पर चुनावी संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।

सूबे की भाजपा सरकार के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय कटाक्ष करते हुए कहते हैं, ‘इस बार हम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को खंडवा में चुनाव जरूर हरायेंगे। लेकिन कोशिश करेंगे कि उनका सम्मान बचा रहे और उनकी जमानत जब्त न होने पाये।’ वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी के नेता देवराज सिंह पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार सुंदरलाल तिवारी को 4,021 मतों के बेहद नजदीकी अंतर से हराकर रीवा सीट जीती थी और सियासी विश्लेषकों को चौंका दिया था। सूबे के विंध्य अंचल की इस प्रमुख सीट का चुनाव परिणाम तय करने में जातिगत समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं।

त्रिकोणीय चुनावी संघर्ष वाले रीवा क्षेत्र में निवर्तमान सांसद पटेल और तिवारी दोबारा एक-दूसरे को चुनौती दे रहे हैं। तिवारी रीवा के सांसद रह चुके हैं और फिलहाल जिले की गुढ़ सीट से विधायक हैं। भाजपा ने रीवा की चुनावी जंग में अपने जिलाध्यक्ष जनार्दन मिश्रा पर भरोसा जताते हुए उन्हें उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 8, 2014, 14:54
First Published: Tuesday, April 8, 2014, 14:54
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