
पटना : आसन्न लोकसभा चुनाव के लिए अपना चुनावी घोषणापत्र जारी करते हुए जदयू ने निजी क्षेत्र में आरक्षण, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के कानून बनाए जाने तथा बिहार के साथ अन्य कम विकसित राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने का वादा किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने बिहार में पिछले नौ वर्षों के दौरान किए गए विकास कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि इसने समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के सपनों को साकार किया है और समावेशी विकास के इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने का वायदा किया।
जदयू ने अपने घोषणापत्र में मांग की है कि जिस तरह से बिहार में पंचायत और स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है उसी तरह से राष्ट्रीय स्तर पर इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। अपनी पार्टी के चुनावी घोषणापत्र के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए नीतीश ने केंद्र और राज्य के संबंधों को फिर से परिभाषित किए जाने पर जोर दिया और कहा कि केंद्र प्रायोजित सभी योजनाओं को खत्म कर उसके संसाधन सीधे राज्यों को मुहैया कराया जाना चाहिए ताकि राज्य अपनी स्थानीय जरूरतों के हिसाब से उसका उपयोग कर सके।
नीतीश ने कहा कि एक नंबर का जूता हरेक के पांव में फिट नहीं हो सकता। राज्यों को उसकी आवश्यकता के अनुसार योजनाएं बनाने की स्वायतता मिले और उसके लिए केंद्र राशि मुहैया कराए। उन्होंने केंद्र की संप्रग सरकार की आलोचना करते हुए उस पर अपने को दाता और राज्यों को याचक समझने का आरोप लगाया।
नीतीश ने जदयू के घोषणा पत्र को भविष्य में भारत को देखने का एक वैकल्पिक दृष्किोण बताते हुए कहा कि इस वैकल्पिक दृष्टिकोण के पांच आधार स्तंभ, अच्छी शासन व्यवस्था, सबको साथ लेकर चलने वाला समावेशी विकास, सांप्रदायिक सौहार्द, केंद्र राज्य संबंधों को और भी बेहतर बनाए जाने के लिए उसकी पुनव्र्याख्या किए जाना तथा कानून राज स्थापित किया है।
उन्होंने सुशासन और भ्रष्टचार और संप्रदायिक उन्माद के खिलाफ ‘जीरो टालरेंस’ को अपनी प्राथमिकता बताते हुए अपनी पार्टी के धर्मनिरपेक्षता के प्रति संकल्प को रेखांकित करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए बिहार में अपनी सरकार को खतरे में डालने का जोखिम उठाया। वे वर्ष 2002 के गुजरात दंगा के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले नरेंद्र मोदी को भाजपा द्वारा आगे बढाए जाने पर उस पार्टी से नाता तोड लिए जाने को सही ठहरा रहे थे।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा कि हम जहां देश के विकास को लेकर अपनी सोच प्रकट कर रहे हैं। वहीं वे केवल एक व्यक्ति :नरेंद्र मोदी: को देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए उनके नाम का जाप कर रहे हैं। शरद ने आसन्न लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के अभी तक अपना घोषणाप़त्र जारी नहीं करने पर चुटकी लेते हुए कहा कि इसकी जरूरत नहीं क्योंकि उनका चुनावी घोषणा पत्र तो मोबाइल है।
उन्होंने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गुजरात के जो महाशय (नरेंद्र मोदी) हैं वे जहां भी जा रहे हैं वे सब कुछ छडी (जादुई) दिखाकर ठीक कर देने की बात कर रहे हैं। शरद ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा पर चुनाव के दौरान मतदाताओं को भ्रम में डालने के लिए झूठ का आडंबर खडा करने के वास्ते पैसी की थली खोल देने का आरोप लगाया। इस अवसर पर शरद की जुबान फिसली और बोल गए कि उनके पार्टी के चुनावी घोषणापत्र को आर्थिक विशेषज्ञ शैवाल गुप्ता ने तैयार किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा पर एक व्यक्ति के इर्दगिर्द अपने प्रचार को सीमित रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि रोजगार की समस्या कैसे खत्म होगी उसके समाधान के बारे में कुछ नहीं बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि क्या वे चीन और पाकिस्तान द्वारा गैरकानूनी तौर पर कब्जा वाले इलाके को वापस ला पाएंगे। उन्होंने कर संसाधनों के कामन पूल से राज्यों को मिलने वाली हिस्सेदाररी 31 प्रतिशत से बढाकर 50 फीसदी किए जाने की मांग करते हुए कहा कि जदयू का घोषणा पत्र इस बात का वादा करता है कि संसद में बिहार के विशेष राज्य के मुद्दे को मजबूती से उठाएगा और सभी पिछडे राज्यों के न्याया एवं समानता की आवाज उठाएगा।
नीतीश ने कहा कि अगडी जातियों (सवर्णों) में शैक्षणिक या आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के हितों की रक्षा के लिए बिहार में आयोग का गठन किया गया है और उसके अध्ययन में जो बात होगी उसके आधार पर हमलोग निर्णय लेंगे और इसको राष्ट्रीय स्तर पर आयोग बने। नीतीश ने कहा कि निजी क्षेत्र में ही अधिक रोजगार सृजित हो रहे हैं और सरकारी क्षेत्र में रोजगार सिकुडते चले जा रहे हैं। इसलिए निजी क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए। एक प्रश्न के उत्तर में नीतीश ने कहा कि यह चुनाव बहुत ही ज्यादा व्यक्तिगत होता जा रहा है, इसलिए वह चाहते हैं यह विषयों पर आधारित हों।
उन्होंने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो बातें कहीं जा रही हैं वह इरादों को प्रकट करती हैं कि कल वो क्या करेंगे। इसलिए अन्य सभी लोग केंद्र और राज्य संबंध और देश के संघीय ढांचे को मजबूत करने की बात कर रहे हैं। नीतीश ने कहा कि केंद्र में चाहे कोई भी बैठे वह अपना तानाशाही कानून स्थापित करें उसको रोकने के लिए यह जरूरी है कि देश में लोकतंत्र मजबूत रहे और संविधान के मुताबिक शासन व्यवस्था चले। (एजेंसी)
First Published: Saturday, April 5, 2014, 21:14