इन 12 सीटों पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

ज़ी मीडिया ब्यूरो/प्रवीण कुमार

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के तहत आज 12 राज्यों की 121 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। चुनावी राजनीति में हालांकि हर सीट और उसपर जीत के लिए हर उम्मीदवार की दावेदारी अपने आप में अहम होती है, बावजूद इसके कुछ सीटों पर पूरे देश की खास नजर रहती है। कुछ ऐसी ही खास सीटों पर नजर डालते हैं जहां मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है।

पाटलिपुत्र : यह सीट 2009 के चुनाव में जनता दल (यू) के प्रो. रंजन प्रसाद यादव के पास थी। उन्होंने राजद प्रमुख लालू यादव को 23 हजार से अधिक वोटों से हराकर इस सीट पर अधिकार जमाया था। इस बार भी जेडीयू से प्रो. यादव ही किस्मत आजमा रहे हैं और उनके सामने हैं राजद प्रमुख लालू यादव की बेटी मीसा यादव। इस अखाड़े में भाजपा ने मीसा के `चाचा` रामकृपाल यादव को उतारा है। यह सीट राजद के बागी भाजपा प्रत्याशी राम कृपाल यादव और राजद उम्मीदवार लालू यादव की बेटी मीसा भारती को लेकर निगाहों में बनी हुई है।

पटना साहिब : इस सीट पर पिछली बार भाजपा के शत्रुघ्न सिन्हा ने राजद के विजय कुमार को पछाड़कर कब्ज़ा किया था। इस बार भी पार्टी ने अभिनेता व नेता शत्रुघ्न सिन्हा पर ही भरोसा जताया है। उधर, कांग्रेस ने भी भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता कुणाल सिंह को `राजनीति` में लांच किया। आप ने परवीन अमानुल्लाह, बसपा ने गणेश सॉ, जद (यू) डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा और सपा ने उमेश कुमार को अपना प्रतिनिधि बनाया है। उम्मीद जताई जा रही है कि यहां सीधा मुकाबला ख़ास मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा।

महासमुंद : यह सीट कांग्रेस प्रत्याशी व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी को लेकर ज्यादा सुर्खियों में है। जोगी ने इस सीट से 2004 में जीत दर्ज की थी, जबकि 2009 में इस सीट पर भाजपा के चंदू लाल साहू ने कब्ज़ा जमाया था। अबकी बार इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला देखने लायक होगा, क्योंकि एक तरफ राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कांग्रेस की ओर से मैदान में हैं तो भाजपा की ओर से वर्तमान में इस सीट पर काबिज़ चंदू भइया हैं। ऊपर से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लहर। ऐसे में यहां यह देखना रोचक होगा कि कितने मतदाता इस लहर के साथ होते हैं। वैसे आप और बसपा ने भी क्रमश: लक्ष्मण मासूरिया और कन्हैयालाल साहू को चुनावी रण में झोंका है। एक और रोचक तथ्य यहां यह है कि भाजपा प्रत्याशी चंदू साहू के अलावा इस सीट से और 11 चंदू साहू का चुनाव मैदान में होना।

बेंगलुरु दक्षिण : इस सीट पर ख़ास मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी व उद्यमी नंदन नीलेकणि और भाजपा के दिग्गज अनंत कुमार के बीच होगा। एक समय इंफोसिस से जुड़े रहे नंदन ने अब कांग्रेस का दामन थामकर राजनीति में पदार्पण किया है, जबकि उनके सामने भाजपा के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार हैं। अनंत कुमार इस सीट पर 1996 से जीतते आ रहे हैं। देखना रोचक होगा कि चुनावी राजनीति में सबसे अमीर प्रत्याशी नीलेकणि अनंत कुमार के किले में किस हद तक सेंध लगा पाते हैं। हालांकि आप की नीना पी. नायक सहित बसपा, एआईएफबी, जद (यू), जद (एस) आदि ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला नीलेकणि और अनंत कुमार के बीच होगा।

ग्वालियर : इस सीट पर भाजपा ने वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र तोमर को उतारा है, जबकि कांग्रेस से अशोक सिंह मैदान में हैं। आप ने भी नीलम अग्रवाल के रूप में अपनी दावेदारी पेश की है। इस सीट पर 2009 में हुए चुनाव में भाजपा की यशोधरा राजे ने कांग्रेस के ही वर्तमान उम्मीदवार अशोक सिंह को परास्त किया था। इस सीट पर जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह अलग बात है, लेकिन इस तथ्य पर भी ध्यान देना होगा कि कांग्रेस ने दो बार हार चुके प्रत्याशी पर ही दांव खेला है।

गुना : भाजपा की राजमाता सिंधिया ने इस सीट पर आख़िरी बार 1998 में राज किया था। इसके बाद 1999 में यह सीट कांग्रेस के माधवराव सिंधिया के अधिकार में आ गई। फिर 2002, 2004 और 2009 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया ही जीतते आ रहे हैं। इस बार भी कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य ही मैदान में हैं। उनके सामने कभी हिन्दूवादी छवि के लिए चर्चित रहे भाजपा नेता जयभान सिंह पवैया हैं। हालांकि पिछले चुनाव परिणामों पर नज़र डालें तो इस सीट पर कांग्रेस बड़े अंतर से जीतती रही है, लेकिन इस बार मोदी लहर के चलते चुनाव परिणाम कुछ और देखने को मिल सकता है।

बारामती : यह सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार की बेटी सुप्रिया सूले के कारण ध्यान खींच रही है। सुप्रिया यहां से एनसीपी की उम्मीदवार हैं। हालांकि 2009 के चुनाव में भी इस सीट पर सुप्रिया ही विजय रही थीं। यहां से भाजपा ने महादेव जानकर को ज़िम्मेदारी सौंपी है। यहां से आप के सुरेश खोपड़े, जेडी (एस) के तात्या साहेब सीताराम तेले, बसपा के चौ. कालूराम विनायक आदि भी मैदान में हैं। मगर राष्ट्रीय स्तर के नेता शरद पवार की बेटी होने की वजह से यहां सुप्रिया की प्रतिष्ठा दांव पर रहेगी।

जयपुर (ग्रामीण) : जयपुर ग्रामीण सीट `पद्मश्री` सम्मान प्राप्त भारतीय निशानेबाज कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर की वजह से चर्चा में है। 2004 में एथेंस में हुए ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में रजत पदक पर निशाना साधने वाले राठौर यहां से भाजपा के उम्मीदवार हैं। उनके सामने मुख्य उम्मीदवार हैं, कांग्रेस के डॉ. सीपी जोशी। एक तरफ कांग्रेस के तजुर्बेकार नेता डॉ. जोशी, तो दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को पहचान दिलाने वाले, माहिर निशानेबाज़ भाजपा के कर्नल राठौर। ऐसे में यहां देखना दिलचस्प होगा कि किसका तीर निशाने पर बैठता है।

बाड़मेर : राजस्थान की यह सीट, कभी सेना में रहे कर्नल सोनाराम चौधरी और मेजर जसवंत सिंह के बीच मुकाबले को लेकरसबका ध्यान खींच रही है। इस जंग में भाजपा ने कर्नल सोनाराम के हाथों में जीत की ज़िम्मेदारी सौंपी है, जबकि भाजपा से बागी हुए मेजर जसवंत सिंह निर्दलीय खड़े होकर कर्नल सोनाराम के हाथों से जीत छीनने की कोशिश करेंगे। माना यही जा रहा है कि जसवंत सिंह का बागी होना भाजपा को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। यहां के मतदाता स्थानीय उम्मीदवारों को नजरअंदाज करते हुए हर हाल में नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री देखने के लिए बेताब बैठे हैं। कांग्रेस ने यहां से हरीश चौधरी को टिकट दिया है। लेकिन मुकाबला जसवंत और कर्नल सोनाराम के बीच ही है।

अजमेर : राजस्थान की यह सीट दिग्गज कांग्रेसी नेता स्व. राजेश पायलट के पुत्र व सांसद सचिन पायलट की वजह से खास हो गई है। पायलट इस समय राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष भी हैं। इसलिए अन्य सीटों पर जीत के साथ ही खुद की सीट बचाने का दबाव भी उन पर है। इस सीट पर भाजपा की ओर से दावेदारी कर रहे शिक्षण क्षेत्र से राजनीति में आए सांवरलाल जाट भी पार्टी के कद्दावर नेता हैं। मगर सचिन केंद्रीय मंत्री रहे पिता की वजह से सबकी नज़र में हैं। ऐसे में भाजपा लहर के बीच इस सीट को बचाना सचिन के लिए बड़ी चुनौती होगी। इस सीट पर एनसीपी से भी भाजपा उम्मीदवार के हमनाम सांवर लाल हैं, जबकि आप ने अजय सोमानी को टिकट दिया है।

झालावाड़-बारां : इस लोकसभा सीट पर सबकी नज़र राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत सिंह की वजह से है। दुष्यंत फिर से भाजपा की विजय पताका लहराने के लिए चुनाव मैदान में हैं। वैसे इस सीट पर 1989 से भाजपा का ही कब्ज़ा रहा है। 1989 से 1999 तक यह सीट उनकी मां वसुंधरा राजे के पास रही। उसके ठीक बाद 2004 और 2009 से इस सीट की ज़िम्मेदारी उनके बेटे दुष्यंत संभाले हुए हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा के लिए यह सीट सुरक्षित ही नजर आती है। कांग्रेस ने यहां से प्रमोद जैन भाया और बसपा ने चंद्रा सिंह को उतारा है।

पीलीभीत : उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट वर्तमान में भाजपा के कब्जे में है। इस सीट से मौजूदा सांसद और मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने वरुण को सुल्तानपुर की ज़िम्मेदारी सौंपी है, जबकि पीलीभीत सीट से मेनका गांधी खुद चुनाव लड़ रही हैं। मेनका के सामने कांग्रेस के संजय कपूर हैं, जबकि आप की ओर से राजीव अग्रवाल, बसपा से अनीस अहमद और सपा से बुधसेन वर्मा आदि हैं। इस सीट पर पिछले चुनावों की स्थिति देखें, तो 1996 से यह सीट मेनका के कब्जे में रही है। हालांकि 1996 में यह सीट वे जनता दल की ओर से जीती थीं। इसके बाद उन्होंने 1998 और 1999 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में मैदान मारा और 2004 में भाजपा का दामन थामकर फिर जीत की कहानी दोहराई।
First Published: Thursday, April 17, 2014, 10:40
First Published: Thursday, April 17, 2014, 10:40
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