
चेन्नई: द्रमुक प्रमुख मुतुवेल करूणानिधि भले ही 90 साल के हो चुके हों लेकिन अगले विधानसभा चुनावों से ठीक दो साल पहले ‘करो या मरो’ के इस चुनावी मुकाबले में अपनी पार्टी की नैया पार लगाना उनके लिए सबसे कठिन चुनौती है।
भाषणों में किस्से, आख्यानों, चुटकुले, भावानाओं का सहारा लेने वाले बेहतरीन वक्ता द्रमुक प्रमुख चुनावों में सक्रियता से हिस्सा लेकर उम्र को मात दे रहे हैं। व्हील चेयर के सहारे चलने वाले करूणानिधि मानो अपनी पार्टी की किस्मत बदलना चाहते हैं।
पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके करूणानिधि को मदुरै में रहने वाले अपने बेटे और निष्कासित नेता एम के अलागिरी की भी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो कि तंजौर में टी आर बालू जैसे कुछ दिग्गज द्रमुक उम्मीदवारों को हराने के लिए कमर कसे हुए हैं।
परिवार में फूट से पार्टी के भीतर गुटबंदी हो चुकी है खासकर मदुरै इकाई में, जिसका असर अलागिरि पर भी पड़ सकता है। 2011 के विधानसभा चुनावों में शिकस्त झेलने वाले करूणानिधि को अपने बेटों की ओर से तूफान का सामना करना पड़ रहा है। अलबत्ता, द्रमुक प्रमुख ने खुद कई बार संकेत दिए हैं कि वह चेन्नई में रहने वाले अपने छोटे बेटे स्टालिन को आगे बढाना चाहते हैं।
अब ऐसी स्थिति में यह देखना दिलचस्प होगा कि कई फिल्मों के सफल पटकथा लेखक रह चुके करूणानिधि क्या मतगणना की तारीख 16 मई को अपनी पार्टी की जीत की पटकथा लिख पाएंगे। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 15, 2014, 12:31