भोपाल : मध्य प्रदेश में तीसरे चरण का मतदान पिछले दो चरणों के मतदान से कहीं ज्यादा अहम है, क्योंकि इस चरण के मतदान में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई दिग्गजों के भाग्य का फैसला होने वाला है। कुछ संसदीय क्षेत्र ऐसे हैं जहां दोनों दलों के दिग्गज आमने-सामने हैं और उनके लिए यह चुनाव राजनीतिक जीवन का अहम पड़ाव साबित होने की संभावना बनी हुई है।
राज्य में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं, पिछले दो चरणों में 19 संसदीय क्षेत्रों मे मतदान हो चुका है और अब तीसरे चरण में 10 संसदीय क्षेत्रों के लिए मतदान होना है। इस चरण में विदिशा, देवास, उज्जैन, इंदौर, धार, रतलाम, मंदसौर, खरगोन, बैतूल व खंडवा में 24 अप्रैल को मतदान होगा।
तीसरे चरण के चुनाव में सबसे रोचक और प्रतिष्ठापूर्ण मुकाबला विदिशा संसदीय क्षेत्र में है, जहां भाजपा की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज का मुकाबला कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह से है। लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के छोटे भाई हैं। सुषमा ने पिछला चुनाव चार लाख से ज्यादा मतों के अंतर से जीता था, वे इस बार भी यह रिकार्ड बनाए रखना चाहती हैं। विदिशा संसदीय क्षेत्र पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुने जा चुके हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल का पर्चा निरस्त हो जाने पर सुषमा को लगभग वाकओवर मिल गया था, मगर इस बार ऐसा नहीं है। लिहाजा चुनाव रोचक है।
दूसरा महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र रतलाम है, जहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार कांतिलाल भूरिया किस्मत आजमा रहे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया से है। कांतिलाल पिछले चार बार से सांसद हैं और इस बार भी वे अपने पुराने प्रदर्शन को बरकरार रखने की जुगत में हैं, मगर ऐसा हो पाना आसान भी नहीं है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव खंडवा से एक बार फिर मैदान में हैं। उनके खिलाफ भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान मैदान में हैं। चौहान पहले भी सांसद रह चुके हैं। पिछले चुनाव में यादव को मिली जीत के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। वर्तमान में वे पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष हैं।
चौहान व यादव के बीच कड़ा मुकाबला है, जिसे आम आदमी पार्टी (आप) के आलोक अग्रवाल ने त्रिकोणीय बना दिया है। नर्मदा आंदोलन से नाता रखने वाले अग्रवाल का कई क्षेत्रों में प्रभाव है और वे कई वर्षो से नर्मदा प्रभावितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। किसी की भी जीत व हार में अग्रवाल की अहम भूमिका रहने वाली है। तीसरे चरण के चुनाव में इंदौर संसदीय क्षेत्र में भाजपा की सांसद सुमित्रा महाजन की प्रतिष्ठा दांव पर है। उनका मुकाबला कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल से है। पटेल अभी हाल ही में विधानसभा का चुनाव हारे हैं, मगर राहुल गांधी के कार्यकर्ताओं द्वारा उम्मीदवार चुने जाने के प्रयोग में पटेल की उम्मीदवारी तय हुई। यहां महाजन के लिए सबसे बड़ा खतरा अपने लोगों से ही है। पिछली बार भी उन्हें भितरघात का सामना करना पड़ा था। बैतूल संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला काफी रोमांचक है। इसकी वजह कांग्रेस से अजय शाह का उम्मीदवार होना है। उनका मुकाबला भाजपा की ज्योति धर्वे से है। यह चुनाव महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार शिवराज मंत्रिमंडल के अहम सदस्य विजय शाह के बड़े भाई हैं।
तीसरे चरण की एक अन्य महत्वपूर्ण सीट मंदसौर है, जहां राहुल गांधी की करीबी और पार्टी की प्रभावशाली नेता मीनाक्षी नटराजन एक बार फिर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर भाग्य आजमा रही हैं। वहीं उनके मुकाबले भाजपा ने नए चेहरे सुधीर गुप्ता को मैदान में उतारा है। यहां चुनावी मुद्दा अफीम का दाम बना हुआ है। इस चरण के अन्य संसदीय क्षेत्रों देवास, उज्जैन व धार में कांग्रेस और भाजपा दोनों पूरी ताकत और दमदारी से चुनाव लड़ रही हैं। ये तीनों संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के कब्जे वाले हैं। कांग्रेस कब्जा बरकरार रखना चाहती है तो भाजपा उससे छीनने की तैयारी में है। तीसरे चरण का चुनाव कांग्रेस के लिए भाजपा के मुकाबले कहीं ज्यादा अहम है, क्योंकि 10 संसदीय क्षेत्रों में से छह पर कांग्रेस का कब्जा है। सबकी नजर इस पर है कि कांग्रेस की पकड़ बनी रहती है या ये सीटें छिटककर भाजपा की झोली में जा समाती है। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 21, 2014, 09:57