
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में इस बार कई राज्यों में पृथक राज्य के गठन की मांग का मुद्दा अहम विषय बना हुआ है जिसमें गोरखालैंड, बुंदेलखंड, हरित प्रदेश, विदर्भ प्रदेश शामिल हैं। आंध्रप्रदेश के बंटवारे के बाद तेलंगाना राज्य के गठन की पृष्ठभूमि में छोटे राज्यों के गठन का मुद्दा इस आम चुनाव में महत्वपूर्ण बन गया है।
भाजपा नेता एवं झांसी से पार्टी प्रत्याशी उमा भारती ने वादा किया है कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो तीन वर्ष के भीतर पृथक बुंदेलखंड राज्य का गठन कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड वषरे से उपेक्षित है और इस क्षेत्र पर सपा, कांग्रेस, बसपा पैकेज की राजनीति करती रही है। लोगों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति पृथक राज्य के गठन से ही पूरी हो सकती है।
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता एवं केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने भी कहा है, ‘हम बुंदेलखंड का गठन करेंगे और कांग्रेस छोटे राज्यों के पक्ष में है। तेलंगाना इसका उदाहरण है।’ गौरतलब है कि बुंदेलखंड इलाका उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में फैला हुआ है जिसमें उत्तरप्रदेश के सात जिले और मध्यप्रदेश के छह जिले शामिल हैं । यहां भाजपा भी पृथक बुंदेलखंड राज्य की वकालत कर रही है।
दार्जिलिंग में गोरखालैंड एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बन गया है। जीजेएम के नेता बिमल गुरूंग इसी मुद्दे को आधार बनाकर भाजपा को समर्थन दे रहे हैं। वहीं तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गोरखालैंड राज्य की मांग का विरोध करते हुए चुनाव लड़ रही हैं। भाजपा नेता एस एस अहलुवालिया ने हाल ही में गोरखालैंड का पक्ष लिया था। उन्होंने कहा था कि पार्टी ने झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्यों के गठन का समर्थन किया और वह तेलंगाना के पक्ष में भी थी।
उत्तर प्रदेश में आम चुनाव में हरित प्रदेश का मुद्दा उठाया जा रहा है। बसपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कुछ समय पहले उत्तरप्रदेश को चार राज्यों में बांटने का विषय उठाया था जबकि सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।
पृथक हरित प्रदेश आंदोलन समिति के संयोजक ज्ञानेश चौहान ने कहा कि हरित क्षेत्र उत्तरप्रदेश ही नहीं बल्कि देश में अनाज का कटोरा बन कर उभरा है। लेकिन इस क्षेत्र के किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बिजली नहीं मिल रही है, उर्वरक का अभाव रहता है तथा किसानों की पैदावार की बिक्री में काफी समस्याएं आती है। गन्ना किसानों की समस्या ज्वलंत उदाहरण है। यह पृथक हरित राज्य से सुलझ सकती है।
बहरहाल, विदर्भ राज्य के गठन की मांग का विषय महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। राज्य में भाजपा.शिवसेना गठबंधन में इस विषय पर अलग अलग राय उभर रही है। भाजपा जहां विदर्भ राज्य का समर्थन कर रही है, वहीं इसकी सहयोगी शिवसेना इसका विरोध कर रही है। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने हाल ही में कहा था कि शिवसेना एकीकृत महाराष्ट्र के लिये प्रतिबद्ध है।
First Published: Sunday, April 20, 2014, 11:50