
नई दिल्ली : आप की नेता शाजिया इल्मी ने अपने बयान पर विवाद उत्पन्न होने के एक दिन बाद बुधवार को खुद का बचाव करना चाहा और कहा कि एक अनौपचारिक वार्ता के दौरान की गई उनकी टिप्पणी को उद्धृत किया जा रहा है और उनका लहजा मजाकिया था। शाजिया ने कहा था कि मुस्लिमों को ‘अपनी भलाई के लिए सांप्रदायिक बनना चाहिए।’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘यह बयान एक अनौपचारिक बातचीत से लिया गया है। बयान के लहजे से स्पष्ट है कि मैं धर्मनिरपेक्ष एवं सांप्रदायिक शब्द का इस्तेमाल व्यंग्यात्मक लहजे में कर रही हूं। सीधी बात है कि मुस्लिम समुदाय ने लंबे समय से खुद का इस्तेमाल धर्मनिरपेक्ष दलों को करने दिया। समुदाय के लिए बेहतर है कि वे शिक्षा और बेरोजगारी जैसे अपनी जिंदगी के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें।’ इल्मी ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है और इसका गलत मतलब निकाला जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘यह गौर करने की बात है कि मैं ऐसे उम्मीदवार के लिए वोट मांग रही हूं जो मुस्लिम नहीं है और उस नेता के नाम पर वोट मांग रही हूं जो मुस्लिम नहीं है। मुझे यह जानकर दुख होता है कि इस तरह के बयान को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया और इसका गलत मतलब निकाला गया।’ उन्होंने कहा, ‘मेरी पार्टी और मैं हमेशा सांप्रदायिकता के खिलाफ हैं और मैं इसका विरोध करती रहूंगी।’ इल्मी मंगलवार को उस समय विवादों के केंद्र में आ गईं जब उनका बयान सामने आया कि मुस्लिमों को अपने हित के लिए ‘सांप्रदायिक’ बन जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 23, 2014, 18:39