
नई दिल्ली : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से कथित तौर पर जुड़े जासूसी कांड के मामले में जांच को लेकर संप्रग सरकार के दलों के बीच रविवार को मतभेद सामने आये जब राकांपा ने इस समय इस तरह की जांच पर आपत्ति जताई है। जबकि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जासूसी मुद्दे की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करने की केंद्र की घोषणा को ‘गलत’ बताया।
राकांपा नेता और केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव के नतीजे दो सप्ताह में आ जाएंगे, ऐसे में इस तरह की जांच की जरूरत ही क्या थी।’’ पटेल के मुताबिक राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने इस मामले में अपनी पार्टी का रुख व्यक्त करने के लिए आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत की। राकांपा कांग्रेस नीत संप्रग सरकार में दूसरा सबसे बड़ा दल है।
एक दिन पहले ही कानून मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा था कि सरकार 16 मई को होने वाली मतगणना से पहले ‘स्नूपगेट’ कांड में जांच के लिए न्यायाधीश के नाम की घोषणा करेगी। आरोप है कि गुजरात में 2009 में मोदी के कहने पर एक युवती की जासूसी की गयी थी। तब प्रदेश के गृह राज्यमंत्री अमित शाह थे।
केंद्र सरकार के रुख का बचाव करते हुए सिब्बल ने कहा था कि जब इस मामले में खुद मोदी सरकार जांच आयोग बना चुकी है तो सवाल क्यों किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य सरकार के जांच आयोग को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट देनी थी लेकिन उसने अभी तक एक भी बैठक तक नहीं की है।
उमर ने कहा कि उनके पिता और केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला भी घोषणा के बारे में वैसा ही महसूस करते हैं। उमर की नेशनल कान्फ्रेंस संप्रग का हिस्सा है।
उमर ने ट्वीट करके लिखा है, ‘‘मैं अपने पिता से शनिवार रात बातचीत कर रहा था और वह भी वैसा ही महसूस करते हैं कि संप्रग 2 का कार्यकाल समाप्त होने की घड़ी में जांच आयोग का गठन करना गलत है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि इस फैसले को तब लागू किया जाना चाहिए था जब दिसंबर में यह फैसला किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर दिसंबर में आयोग के गठन का फैसला किया गया तो उसे लागू किया जाना चाहिए था। पांच महीने बाद न्यायाधीश की नियुक्ति गलत है।’’ शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कहा था कि 16 मई को लोकसभा चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने से पहले मोदी से कथित तौर पर संबंधित ‘जासूसी मामले’ की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा।
संप्रग सरकार ने चार महीने पहले जांच आयोग का गठन करने का फैसला किया था लेकिन प्रक्रिया कथित तौर पर न्यायाधीश का पता लगाने में अक्षमता के कारण विलंबित हुई।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने घोषणा की थी कि आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के कोई सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश करेंगे। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 4, 2014, 17:06