इस्तीफे के फैसले पर पलटे डीएमके नेता स्टालिन

चेन्नई : लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार की जिम्मेदारी लेते हुए द्रमुक के कोषाध्यक्ष और पार्टी प्रमुख एम. करूणानिधि के बेटे एम. के. स्टालिन ने आज पार्टी पदों को छोड़ने की पेशकश की लेकिन पार्टी आलाकमान द्वारा ऐसा नहीं करने की सलाह देने के कुछ घंटे के अंदर ही अपने फैसले से पलट गए।

बहरहाल स्टालिन के इस्तीफे के निर्णय की पार्टी से निष्कासित उनके बड़े भाई एम. के. अलागिरी ने आलोचना की और इसे ‘नाटक’ करार दिया। अलागिरी को कथित अनुशासनहीनता के लिए निष्कासित करने से पहले दोनों के बीच पार्टी में वर्चस्व को लेकर रस्साकशी चल रही थी।

घटनाक्रम की शुरूआत होते ही करूणानिधि ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की और पार्टी कार्यकर्ताओं सहित कई अन्य लोग स्टालिन के आवास की तरफ जाने लगे और अपने निर्णय पर पुनर्विचार के लिए उन पर दबाव बनाने लगे।

वरिष्ठ नेता दुरई मुरूगन ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि पार्टी की युवा शाखा के प्रमुख स्टालिन ने पार्टी पदों से इस्तीफा नहीं देने की करूणानिधि की सलाह के बाद अपना निर्णय बदल दिया। उनकी पार्टी के नेताओं ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे उनके साथ हैं।

उन्होंने कहा कि करूणानिधि ने स्टालिन को सलाह दी कि पद छोड़ने की जरूरत नहीं है और ‘युवा नेता’ को पार्टी को आगे ले जाना है क्योंकि दिग्गज नेता ने उन्हें सलाह दी कि ऐसी हार से निराश नहीं होना चाहिए। दुरई मुरूगन ने कहा कि अन्य नेताओं ने स्टालिन से अपील की कि इस तरह के ‘दुखद निर्णय’ नहीं करें। उन्होंने कहा कि उन्होंने उनको अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया।

उन्होंने कहा, ‘इसलिए उन्होंने हमारे आग्रह एवं नेता (करूणानिधि) की सलाह को स्वीकार कर लिया और इस्तीफा वापस ले लिया।’ उन्होंने कहा कि करूणानिधि ने स्टालिन से कहा कि ऐसे निर्णय के लिए ‘सही वक्त नहीं’ है जबकि कई चुनौतियों का सामना करने के लिए पार्टी मजबूत है। वह संभवत: 2016 में होने वाले विधानसभा चुनावों का जिक्र कर रहे थे। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 18, 2014, 19:24
First Published: Sunday, May 18, 2014, 19:24
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