
हैदराबाद : तेलंगाना में चुनावी पारा चढ़ने के साथ ही क्षेत्र के दोनों प्रमुख दलों , टीआरएस और कांग्रेस , के बीच वाकयुद्ध तेज हो गया है । तेलंगाना दो जून को अलग राज्य बनने जा रहा है ।
तेलंगाना क्षेत्र में लोकसभा की 17 और विधानसभा की 119 सीटों पर एक साथ 30 अप्रैल को चुनाव होना है । मतदान का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है , टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस समिति अध्यक्ष पोन्नाला लक्ष्मैय्या के बीच शब्दों के बाण और तीखे हो रहे हैं । दोनों एक दूसरे को तेलंगाना के पिछड़ेपन या विकास के मुद्दे पर बहस की चुनौती दे रहे हैं ।
संसद में तेलंगाना विधेयक पारित होने के बाद , कुछ समय पहले तक दोनों दलों के बीच संबंध काफी मधुर हो गए थे क्योंकि ऐसी संभावनाएं जतायी गयी थीं कि या तो दोनों का विलय हो जाएगा या कम से कम दोनों के बीच में चुनावी गठबंधन जरूर होगा।
लेकिन टीआरएस ने कांग्रेस के लिए दोनों ही विकल्पों को लेकर दरवाजे बंद कर दिए और अकेले ही मैदान में कूदने का फैसला किया। उसके बाद से दोनों एक दूसरे पर वार और पलटवार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं ।
टीआरएस प्रमुख द्वारा लक्ष्मैय्या को राज्यसभा सदस्य केवीपी रामचंद्र राव का ‘एजेंट’ बताए जाने के बाद दोनों दलों के बीच एक दूसरे के प्रति कड़वाहट चरम पर पहुंच गयी है । ये दोनों वे दल हैं जिन्हें ‘वैचारिक’ रूप से एक दूसरे के करीब माना जाता है । केवीवी रामचंद्र राव सीमांध्र से कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने तेलंगाना राज्य के गठन का विरोध किया था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 16, 2014, 17:50