Last Updated: Thursday, January 5, 2012, 09:40
भारत रत्न के दायरे में खेल-खिलाड़ी आ जायेंगे यह कभी सोचा नहीं गया। लेकिन कला-संस्कृति, साहित्य और समाजसेवा से लेकर स्टैट्समैन की कतार में अब अगर खिलाडि़यों की बात होगी तो इसके संकेत साफ हैं कि आने वाले दौर में बाजारवाद की लोकप्रियता भी भारत रत्न की कतार में नजर आएगी।