`नो ट्रस्‍ट सिंड्रोम` में आडवाणी

Last Updated: Saturday, March 22, 2014, 17:41

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी अपनी ही पार्टी के लिए बीते कुछ समय से मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं... इन सबकी शुरुआत उसी वक्त से हो चुकी है जब से नरेंद्र मोदी का नाम आगे आया है... लेकिन इस वक्त जब भारतीय जनता पार्टी मोदी के सहारे 2014 में मिशन 272+ में लगी हुई है तो आडवाणी की तरफ से हो रहा ये विरोध अपने चरम पर है...।

अटल-आडवाणी युग का अंत?

Last Updated: Wednesday, March 19, 2014, 09:03

बीजेपी के लिए 2014 का चुनाव कई मायनों में अलग है... इस बार अटल बिहारी वाजपेयी नहीं हैं...इस बार आडवाणी भी बहुत कम ही दिखाई देते हैं।

बीजेपी नहीं रही पार्टी विद ए डिफरेंस...

Last Updated: Tuesday, March 18, 2014, 17:02

पार्टी विद ए डिफरेंस का नारा देने वाली बीजेपी में अब कुछ भी अलग नहीं रहा...यहां भी सत्ता के लिए संघर्ष शुरु हो चुका है..पिछले कुछ दिनों में टिकट को लेकर बीजेपी में जो मारामारी दिखाई दे रही है उसने ये साबित कर दिया है कि पार्टी हर कीमत पर सत्ता के लिए ही लड़ रही है।

क्रांतिकारी...बहुत क्रांतिकारी

Last Updated: Wednesday, March 12, 2014, 16:38

हाल में मीडिया और नेताओं के संबंधों को लेकर एक बहुत ही ‘क्रांतिकारी’ वीडियो सामने आया। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और एक एंकर के बीच मीडिया फिक्सिंग का यह वीडियो अब यूट्यूब पर वायरल हो चुका है। वीडियो सामने आने के महज 24 घंटे के भीतर इसे पांच लाख से ज्यादा लोगों ने देख डाला था और इस वीडियो पर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई।

किस राह पर केजरी

Last Updated: Wednesday, March 5, 2014, 22:27

गांधी के नाम पर राजनीति करने वाले केजरीवाल और उनके समर्थक अपने आचरण के जरिए, गांधीवादी मूल्यों और सिद्धांतों की रोज तिलांजलि देते नज़र आ रहे हैं।

सत्ता हर कीमत पर

Last Updated: Monday, March 3, 2014, 21:31

सियासत में सत्ता के लिए तमाम हथकंडे अपनाए जाते हैं। चाहे वो विरोधियों पर वार हो या अपनी जय जयकार। लेकिन सियासत के मैदान में उतरी पार्टियां दिन के साथ ही अपनी नीतियां बदलने लगें तो ये कितना सही है? नेता ज़रूरत के हिसाब से रंग बदलते हैं, दल भी बदल लेते हैं ऐसे में उनकी नीतियों की बात तो नहीं की जा सकती लेकिन एक विचारधारा को लेकर राजनीति में उतरीं पार्टियां अगर सत्ता के लिए सियासत में अपनी विचारधारा से हाथ धो लें तो ऐसा करना कहां तक उचित है।

सियासतदानों का क्राउड मैनेजमेंट

Last Updated: Saturday, March 1, 2014, 19:31

लोकतंत्र का महापर्व जब भी नज़दीक आता है, तो रैलियों का शोर और सियासदानों का शो अपने चरम पर होता है... देश के सभी प्रमुख राष्ट्रीय दल अपनी ताकत की नुमाइश शुरू कर देते हैं...

`बेसहारा` हुआ सहारा!

Last Updated: Saturday, March 1, 2014, 15:07

सुब्रत रॉय सहारा। एक ऐसा नाम जिसने वाकई `सहारा` शब्द की सार्थकता को साबित किया। किस कीमत पर यह अलग बहस का विषय है, लेकिन आज सुब्रत रॉय पुलिस कस्टडी में हैं और सहारा `बेसराहा` हो गया है। जी हां! डेढ़ लाख करोड़ का सहारा `बेसहारा` हो गया है।

कांग्रेस-बीजेपी का साझा संकट

Last Updated: Friday, February 28, 2014, 00:35

देश के दोनों बड़े राष्ट्रीय दल कांग्रेस और भाजपा एक बार फिर अपने-अपने जनाधार विहीन नेताओं के कुचक्र के शिकार होते दिखाई दे रहे हैं। महज कुछ हफ्तों में लोकसभा चुनाव शुरू हो जाएंगे। ऐसे में दोनों ही राष्ट्रीय दलों के कुछ चुने हुए नेताओं के फैसले, बयानों के चलते एक बार फिर ऐसा लगता है कि ये आम चुनाव भी सकारात्मक मुद्दों के बजाय जाति, मज़हब और क्षेत्रीयता के मकड़जाल में उलझ जाएगा।

यंग इंडिया और मोदी

Last Updated: Saturday, March 1, 2014, 19:22

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीजेपी के पीएम उम्मीदवार बनने के पीछे सबसे बड़ी वजह रही है युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता। जिसके चलते बीजेपी को आडवाणी जैसे वरिष्ठ चेहरे की जगह पर मोदी को आगे करना पड़ा जाहिर है ये मोदी की राजनीतिक स्टाइल का ही कमाल है कि उम्र के छह दशक से ज्यादा पार करने के बाद भी वो युवाओं के चहेते बने हुए हैं, जबकि देश के सबसे बड़े राजनीतिक खानदान के वारिस राहुल गांधी खानदान की चमक दमक, सुनहरे इतिहास और प्रचार तन्त्र के बाद भी रोल मॉडल के तौर पर स्थापित नहीं हो पा रहे हैं।