गरीबों के विनाश पर, वाड्रा का विकास: अग्निवेश

Last Updated: Monday, April 21, 2014, 11:16

स्वामी अग्निवेश जी... अग्निवेश जी अलग-अलग समय में अलग-अलग कारणों को लेकर चर्चित रहे हैं चाहे बंधुआ मुक्ति आंदोलन हो या इंडिया अगेंस्ट करप्शन हो या जो आदिवासी है गरीब तबके के लोग हैं उनके हक और हकूक दिलाना हो.. कई सारे मुद्दो को लेकर अग्निवेश जी ने अपने सार्वजनिक जीवन में एक लंबा वक्त बिताया है। आज सियासत की बात में स्वामी अग्निवेश से ज़ी रीजनल चैनल्स के संपादक वासिंद्र मिश्र ने लंबी बातचीत की। पेश है बातचीत के कुछ महत्वपूर्ण अंश।

`मिशन रॉ` के कुछ सीक्रेट्स

Last Updated: Sunday, April 20, 2014, 16:10

इस समय किताबों को लिखने और उसको लेकर जो राजनीति हो रही है उसका सिलसिला काफी तेज है। इसी कड़ी में एक नाम आर के यादव की भी है जिनकी लिखी किताब जल्द ही बाजार में आने वाली हैं। पेश है सियासत की बात में भारतीय खुफिया एजेंसी के पूर्व अधिकारी आर.के. यादव से वासिंद्र मिश्र की खास बातचीत।

प्रियंका बनाम वरुण: गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी के बीच छिड़ा जंग

Last Updated: Thursday, April 17, 2014, 19:41

देश भर में जहां तपती गर्मी के बीच चुनावी पारा पूरे उफान पर है, वहीं गांधी परिवार की चौथी पीढ़ी के बीच सियासी तूफान भी छिड़ा हुआ है। यह तूफान और तकरार गांधी परिवार के चौथी पीढ़ी की बड़ी बहन और छोटे भाई के बीच छिड़ा है। यूं कहें कि यह गांधी परिवार के बड़े बच्‍चों के बीच की लड़ाई है।

मोदी का एक ही लक्ष्य है डेवलपमेंट फॉर ऑल: एम जे अकबर

Last Updated: Tuesday, April 15, 2014, 14:20

हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने वाले जाने माने पत्रकार एम जे अकबर से ज़ी रीजनल चैनल्स के संपादक वासिंद्र मिश्र ने खास बात की, पेश है इस बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-

नेताओं के बेतुके बोल पर चुनाव आयोग का डंडा

Last Updated: Sunday, April 13, 2014, 22:10

जैसे-जैसे चुनावों का समय आता है नेता अपने चुनावी फायदे के लिए घृणित एवं उन्मादी भाषणों का सहारा लेने लगते हैं। वे आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने से नहीं चूकते। इससे नेताओं का तो कुछ नहीं बिगड़ता लेकिन समाज की समरसता, सौहार्द एवं शांति भंग होती है।

10 साल धोखे में रहा देश ?

Last Updated: Sunday, April 13, 2014, 19:05

लोकतन्त्र में सत्ता सामूहिक हिस्सेदारी से मिलती जरूर है, लेकिन सत्ता का संचालन हमेशा से ही केन्द्रीकृत रहा है। हिन्दुस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे की ये ऐसी अघोषित परिभाषा रही है जिसे सभी ने माना है। लेकिन पिछला एक दशक इस मायने में अलग रहा है। इस दौर में सत्ता सात रेसकोर्स रोड और दस जनपथ के बीच के चौराहों पर कहीं भटक सी गई लगती है।

बिहार: गांव-गांव में नमो-नमो

Last Updated: Saturday, April 12, 2014, 13:15

तमाम विरोधी हमलों के बावजूद भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। शहरी मतदाताओं और व्यापारियों तक सीमित रहने वाली भाजपा का कारवां अब गांव-गांव पहुंच गया है। किसानों, मजदूरों और ग्रामीण युवकों के बीच इस लोकसभा चुनाव में नमो मंत्र का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है।

संजय बारू के दावों से कठघरे में कांग्रेस

Last Updated: Friday, April 11, 2014, 21:43

इसमें कोई शक नहीं है कि संजय बारू की किताब `Accidental Prime Minister : The making and Unmaking on Manmohan Singh` में जो खुलासे हुए है उससे ना सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लंबे वक्त से लगाए जा रहे आरोपों को बल मिला है बल्कि इन खुलासों की वजह से कांग्रेस के लिए मुश्किलें भी बढ़ती दिख रही हैं।

जल की गाथा सुनाने और संरक्षण की अनोखी पहल

Last Updated: Thursday, April 10, 2014, 00:20

जगजीत सिंह की गाई एक गजल कभी-कभार जेहन में गूंजती है। गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला चिड़ियों को दाने, बच्चों को गुड़धानी दे मौला...।

सच की कीमत कब तक चुकाएं

Last Updated: Wednesday, April 9, 2014, 13:21

पत्रकारिता एक मिशन है और इस मिशन में मुश्किलें भी आती हैं। ये मुश्किले कई तरह की हो सकती हैं, कानूनी, मानसिक या फिर शारीरिक। ऐसे कितने ही मौके आए हैं जब खबर लिखने की कीमत पत्रकारों को जान देकर चुकानी पड़ी है। हैरानी की बात ये है कि बीते कुछ सालों में इसमें तेजी से इजाफा हुआ है।