
इस बार के लोकसभा चुनाव 2014 में एक बात साफ है कि अगर एक तरफ कांग्रेस है तो दूसरी तरफ बीजेपी नहीं बल्कि बीजेपी के नरेंद्र मोदी है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी के किसी नेता की रैली होती है तो उसका या तो पता नहीं चलता या फिर मोदी की रैली की तरह भारी भीड़ नहीं उमड़ती। लेकिन रैली की मोदी की होती है तो रैली भीड़ में तब्दील हो जाती है। जानकार यह भी मानते हैं कि यह लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी की नहीं बल्कि कांग्रेस और मोदी की हो गई है।
चाहे कांग्रेस जैसा राष्ट्रीय दल हो, या फिर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी जैसे क्षेत्रीय दल या फिर आम आदमी पार्टी जैसे नए दल, सबके निशाने पर नरेंद्र मोदी हैं। जाहिर सी बात है कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी के लिए इससे बेहतर हालात नहीं बन सकते थे। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी रैलियां करने पर आमादा है। इसलिए अपने पक्ष में बढ़ते जनाधार और भीड़ को देखते हुए उन्होंने भारत विजय अभियान के तहत 46 दिन में 185 रैलियां करने का फैसला किया है। यानी हर रोज लगभग देश के किसी हिस्से या राज्य में चार रैली करके वह बीजेपी के पक्ष में जनाधार जुटाने की कोशिश करेंगे जो चुनाव के दिन वोट में तब्दील हो सके।
ऐसा लग रहा है कि यह चुनाव यूपीए सरकार के 10 साल के प्रदर्शन पर नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी के 12 साल के गुजरात में शासन के आधार पर हो रहा है। मोदी की हिंदुत्व के पोस्टर बॉय की छवि इतनी जल्दी चमकने लगेगी यह उम्मीद बीजेपी को नहीं रही होगी। बीजेपी मोदी की लोकप्रियता का सीधे-सीधे फायदा उठा सकेगी। क्योंकि चुनाव प्रचार में और रैलियों में मोदी का जादू सर चढ़कर बोल रहा है।
बिहार में रामविलास पासवान को साथ लेकर बीजेपी ने लालू और नीतीश दोनों के सियासी समीकरणों को बिगाड़ दिया है। लालू इस झटके से उबरे भी नहीं थे कि उनके खास सहयोगी राम कृपाल यादव ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया।
दक्षिण भारत में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। बीजेपी की ताकत वाले इकलौते राज्य कर्नाटक में मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के नाम पर पार्टी से अलग हुए बीएस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलु साथ आ गए हैं। दूसरी तरफ तमिलनाडु में मोदी के नाम पर बीजेपी के वोटों में बढ़ोतरी की संभावना के मद्देनजर डीएमडीके, एमडीएमके, पीएमके और बीजेपी का एक बड़ा गठबंधन बनने जा रहा है। इसका लाभ चुनावों में बीजेपी को यकीनन मिलता नजर आ रहा है।
लेकिन इस चुनाव में बीजेपी को एक नुकसान से रूबरू होना पड़ सकता है। बीजेपी में जसवंत सिंह,लालमुनि चौबे सहित कई बड़े नेताओं में नाराजगी है। कुछ बड़ी सीटों पर टिकट ऐन वक्त पर दिग्गज नेताओं का काटकर बाहरी पार्टी के लोगों को दिया गया है जो अभी अभी पार्टी में है जिसका गुस्सा कार्यकर्ताओं और जनता के मतों के रुप में बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है।
First Published: Monday, March 31, 2014, 16:02