लोकसभा चुनाव: पश्चिम चंपारण पर बॉलीवुड की भी नजर

बेतिया : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि पश्चिम चंपारण (बिहार) में सामाजिक समीकरणों की छाप अब तक चुनावी रंगभूमि पर नहीं पड़ी है, परंतु यहां के मतदाता विकास को लेकर सजग जरूर हैं। क्षेत्र में नौंवे और आखिरी चरण में 12 मई को मतदान होना है, जिसे लेकर न केवल बिहार की बल्कि बॉलीवुड की भी नजर क्षेत्र पर है।

`राजनीति` फिल्म के निर्देशक प्रकाश झा एक बार फिर संसद पहुंचने के लिए भाग्य आजमा रहे हैं, वहीं राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी रघुनाथ झा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के टिकट पर चुनावी मैदान में खम ठोंक रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने निवर्तमान सांसद डॉ़ संजय जायसवाल पर ही भरोसा दिखाया है। प्रकाश झा इस बार सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं।

मूल रूप से पश्चिम चंपारण निवासी प्रकाश झा पहले भी वर्ष 2004 में निर्दलीय तथा 2009 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर राजनीति में किस्मत आजमा चुके हैं, परंतु दोनों ही बार उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई। इस बार के चुनाव में झा ने न केवल पार्टी बदल ली, बल्कि नीतीश के सुशासन के भरोसे चुनाव जीतने का सपना भी संजोए हुए हैं। उनका कहना है कि निवर्तमान सांसद ने क्षेत्र में कुछ काम नहीं किया बल्कि नीतीश सरकार ने पूरे बिहार में बदलाव किया है, जिसका फायदा उन्हें मिलना तय है।

पिछले चुनाव में इस क्षेत्र का तीन बार संसद में प्रतिधिनधित्व करने वाले मदन प्रसाद जायसवाल के पुत्र संजय जायसवाल भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे और यह सीट राजद से छीन ली थी। संजय ने कहा कि चुनाव मैदान में खड़े उनके प्रतिद्वंदी भले ही यहां आज नजर आ रहे हों परंतु ये ऐसे लोग हैं, जो केवल चुनावी मौसम में ही नजर आते हैं। मतदाता उन्हें नकार देंगे। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से लोगों के बीच रहे हैं और चूंकि लोग इस बार नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, इसलिए उन्हें वोट जरूर मिलेगा।

इधर, लालू यादव के करीबी माने जाने वाले रघुनाथ झा पश्चिम चंपारण से अपनी दूसरी पारी खेलने के लिए पूरी तैयारी में हैं। वह बिहार में कई विभागों के मंत्री रह चुके हैं। पश्चिम चंपारण संसदीय क्षेत्र की पहचान पूर्व में बेतिया के रूप में थी। पश्चिम चंपारण संसदीय क्षेत्र में पश्चिम चंपारण जिले के नौतन, चनपटिया, बेतिया, तथा पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल, सुगौली और नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इन छह विधानसभा क्षेत्रों में चार पर भाजपा का कब्जा है, जबकि दो पर जद (यू) का कब्जा है।

इस चुनाव में हालांकि परिस्थितियां बदली हैं। पिछले चुनाव में भाजपा और जद (यू) मिलकर चुनाव मैदान में थीं, लेकिन इस चुनाव में दोनों दल अलग-अलग खम ठोंक रहे हैं। भारत-नेपाल की सीमा वाले इस क्षेत्र में भले ही सभी प्रत्याशी अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हों, परंतु मतदाता नेताओं के दलबदल और स्थानीय समस्याओं के समाधान नहीं होने के कारण नाराज नजर आ रहे हैं। नेपाल से सटे रक्सौल क्षेत्र के एक जागरूक मतदाता रमेश कुमार ने कहा कि नेपाल की खुली सीमा पर आज तक नजर रखने के लिए कोई पहल नहीं की गई। आज यह क्षेत्र घुसपैठियों और अपराधियों की शरणस्थली बनी हुई है। पश्चिम चंपारण सीट से वैसे तो 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में भाग्‍य आजमा रहे हैं, परंतु त्रिकोणात्मक संघर्ष के आसार ज्यादा हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, May 9, 2014, 11:59
First Published: Friday, May 9, 2014, 11:59
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