
गंगटोक : प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध सिक्किम भारत के उन कुछ क्षेत्रों में शामिल है जहां चुनावों के दौरान राजनीतिक चर्चा का मुख्य विषय पर्यावरण है ।
हालांकि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी सिक्किम डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट ने अपने पिछले दो दशक के शासन के दौरान वनक्षेत्र में वृद्धि और कृषि को जैविक बनाने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं लेकिन राज्य में कई पनबिजली परियोजनाओं को अनुमति देने के कारण उन्हें विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है ।
समृद्ध जल संसाधन का उपयोग राजस्व प्राप्ति के लिए उठाए गए कदमों के तहत 4,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है । सरकार इसमें और 5,000 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता जोड़ना चाहती है । प्रदेश कांग्रेस प्रमुख ए. डी. सुब्बा ने आरोप लगाया है कि बांधों और बिजलीघरों के कारण तीस्ता और रंगीत नदियों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।
राज्य में बढ़ती दवा कंपनियों पर आरोप मढ़ते हुए सुब्बा ने कहा, ‘वह बिना सोचे-समझे आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहे हैं । अब हमें उत्तराखंड जैसे हादसे का खतरा है ।’ पार्टी ने वादा किया है कि 12 अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आने पर वह पर्यावरण-हितैषी औद्योगिक नीतियां बनाएगी ।
सिक्किम के पूर्व मुख्यमंत्री नर बहादुर भंडारी का कहना है कि सत्ता में आने वाले सभी लोगों को यह याद रखना चाहिए कि सिक्किम पारिस्थितिकी के मामले में बेहद संवेदनशील राज्य है और भूकंप जोन में आने के कारण यह खतरा भी लगातार बना रहता है । (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 8, 2014, 17:56