Last Updated: Friday, November 15, 2013, 20:06
सचिन-सचिन के नाम से गूंज रहा मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम शुक्रवार को पल भर के लिए खामोश हो गया। अर्धशतक बनाने के बाद सचिन जैसे-जैसे एक-एक रन जोड़ने लगे, लोगों को यह उम्मीद बंधी कि इस बार मास्टर ब्लास्टर इस ऐतिहासिक मैच में वह कारनामा कर जाएंगे जिसकी तमन्ना हर भारतीय और उनके चाहने वालों की है। लेकिन अफसोस कि करोड़ों भारतीयों की यह मनोकामना पूरी नहीं हो सकी और सचिन 74 रन के स्कोर पर आउट हो गए। सचिन के प्रशंसकों और करोड़ों भारतीयों की यही दिली इच्छा थी कि सचिन अपने 200वें एवं अंतिम टेस्ट मैच में शतक जड़ें लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।
वेस्टइंडीज के गेंदबाज नरसिंह देवनारायण की गेंद पर सचिन ने शॉट खेला जिसे कप्तान डेरैन सैमी ने लपकने में भूल नहीं की। सचिन का आउट होना मानों कि दर्शकों की भावनाओं पर वज्रपात होने जैसा था। सचिन-सचिन के नारे से गूंज रहा स्टेडियम एक पल के लिए थम सा गया। किसी को कुछ सूझा नहीं कि अचानक से यह क्या हो गया। सबके दिलों से यही आवाज आ रही थी कि सचिन को आउट नहीं होना चाहिए। पूरी लय और आत्मविश्वास से अपनी पारी को आगे बढ़ा रहे सचिन आउट हो जाएंगे, यह कोई विश्वास नहीं कर पा रहा था।
बहरहाल, सचिन की यह 74 रनों की पारी हमेशा याद की जाती रहेगी। सचिन ने जिस आत्मविश्वास से यह पारी खेली और जिस तरह के स्ट्रोक खेले, उससे साफ जाहिर हुआ कि उनमें क्रिकेट अभी बचा है। आने वाले समय में उनके संन्यास को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो सकती है। लेकिन यहां पर उस बारे में चर्चा करना मुनासिब नहीं होगा।
कहना तो यही होगा कि सचिन ने अपने अंतिम टेस्ट मैच में अपने चाहनों वालों को निराश नहीं किया है। यह अलग बात है कि सचिन यदि शतक जड़ देते तो उनकी विदाई में एक और चार-चांद लग जाता। खैर, महान बल्लेबाज ने शानदार पारी खेली। सचिन जितने बड़े खिलाड़ी हैं, उसी के अनुरूप उन्होंने पारी खेली, निराश नहीं किया। सचिन को छोड़ अगर हम उनके समय के दिग्गज बल्लेबाजों के अंतिम टेस्ट मैच की बात करें तो सचिन उनसे कहीं आगे दिखाई देते हैं।
दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक ब्रायन लारा अपने विदाई टेस्ट मैच में कुछ खास नहीं कर सके। लारा ने 2006 में कराची में पाकिस्तान के खिलाफ अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला था। लारा पहली पारी में शून्य रन पर आउट हुए जबकि दूसरी पारी में वह अपना अर्धशतक नहीं पूरा कर पाए और दुर्भाग्यवश 49 रन पर आउट हो गए। जबकि आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज रिकी पोटिंग ने अपना अंतिम टेस्ट मैच 2012 में पर्थ में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला। पोटिंग का अंतिम टेस्ट मैच भी निराशाजनक रहा। पोटिंग पहली पारी में चार और दूसरी पारी में आठ रन ही बना सके।
टेस्ट क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में शुमार और ‘दीवार’ नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ भी अपने अंतिम टेस्ट मैच में यादगार पारी नहीं खेल पाए। द्रविड़ ने 2012 में एडिलेड में आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला। इस विदाई मैच में द्रविड़ अपने चाहने वालों को सौगात नहीं दे सके और पहली पारी में एक रन और दूसरी पारी में 25 रन ही बना सके।
अपने विदाई मैच में सचिन ने इन बल्लेबाजों की तुलना में बड़ी लकीर खींच दी है। अंतिम टेस्ट में सचिन शतक नहीं बना सके, इसकी कसक हमेशा रहेगी लेकिन इससे क्रिकेट की दुनिया में सचिन की महत्ता जरा भी कम नहीं होगी। सचिन ने अपने इस अंतिम मैच में नरसिंह देवनारायण को भी अमर कर दिया। क्रिकेट में सचिन का जब-जब जिक्र होगा देवनारायण और सैमी का भी नाम लिया जाएगा।
खैर, वानखेड़े के बाद सचिन अब भारत के लिए नहीं खेलेंगे लेकिन भारतीयों के दिलों में उनकी जगह हमेशा बनी रहेगी। क्रिकेट का जब भी जिक्र होगा सचिन का नाम वट वृक्ष के रूप में लिया जाएगा। जिस भावना और समर्पण के साथ सचिन ने क्रिकेट खेली है, उसके लिए देश उनका हमेशा आभारी रहेगा। धन्यवाद सचिन!
(The views expressed by the author are personal)