केजरीवाल का ‘स्वराज’

Last Updated: Friday, January 3, 2014, 13:18

विश्वासमत की कसौटी पर खरे उतरने के बाद अरविन्द केजरीवाल और उनकी टीम भले ही सुकून की सांस ले रही हो लेकिन उनके लिए असली इम्तिहान की घड़ी अब शुरू हुई है। देश की राजनीति में जिस बदलाव की लड़ाई केजरीवाल साहब लड़ने निकले हैं, उसमें अब विधानसभा के भीतर की मर्यादाएं भी हैं और राजनीति के वही पुराने दांव पेंच भी।

सिद्धांत, सियासत और सत्ता

Last Updated: Tuesday, December 31, 2013, 13:01

देश की राजनीति ने इस साल एक ऐतिहासिक बदलाव देखा है। परंपरागत राजनीति से परे उसूलों के सहारे परिवर्तन की राजनीति ने राजधानी दिल्ली की सत्ता पर पिछले 15 साल से काबिज 128 साल पुरानी पार्टी को बाहर का रास्ता दिखा दिया। हो सकता है कि ऐसा बदलाव लेकर आने वाली आम आदमी पार्टी के पास सिद्धांत ना दिखें लेकिन क्या ऐसा पहली बार हो रहा है कि राजनीति में बिना सिद्धांतों के सहारे आने वाली पार्टी सत्ता में आई हो।

‘स्टैच्यू ऑफ युनिटी’ का मकसद

Last Updated: Saturday, December 28, 2013, 20:49

भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर देशव्यापी मूवमेंट के जरिए एक मोमेंटम बनाने की कोशिश कर रही है। इस आंदोलन का नाम स्टैच्यू ऑफ युनिटी रखा गया है। स्टैच्यू ऑफ युनिटी कैंपेन के जरिए बीजेपी की कोशिश देश में वैसी लहर पैदा करने की है जैसी राम मंदिर आंदोलन की वजह से हुई थी।

‘आप’ की सरकार के राजनीतिक ‘सरोकार’

Last Updated: Saturday, December 28, 2013, 20:15

इस समय सोशल मीडिया, टीवी मीडिया और प्रिंट मीडिया अरविंद केजरीवाल के किस्सों से भरा पड़ा है। अचानक ऐसा लगने लगा है मानो कृष्ण ने नया अवतार ले लिया हो, बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ भ्रष्टाचार का रावण धू-धू कर जल उठा हो और हम आप जैसे आम लोग मानो खुद को सत्ता का हिस्सेदार मानने लगे हों।

महंगाई डायन की आस्था में `घुसपैठ`

Last Updated: Tuesday, December 24, 2013, 19:52

महंगाई, इस शब्‍द के कान में पड़ते ही रूह कांपने लगती है। जीवन को लीलने के लिए तैयार महंगाई से सिर्फ देश की आम जनता ही नहीं, बल्कि हर तबके के लोग त्रस्‍त हैं। जिंदगी जीने के लिए पहले से ही न जानें क्‍या क्‍या और किन किन चीजों का जुगाड़ करना पड़ता था और अब इस महंगाई ने तो ऐसा कहर ढाया है कि जुगाड़ भी अब बेमानी नजर आने लगे हैं।

आम आदमी पार्टी से जन उम्‍मीदें

Last Updated: Monday, December 23, 2013, 14:14

याद कीजिए इससे पहले आपको आप में इतनी दिलचस्पी कब पैदा हुई थी। कुछ लोग कह सकते हैं हमेशा से, कुछ वक्त मांग सकते हैं और कुछ कनफ्यूज हैं क्योंकि आप के बीच से अपने आप को तलाश लाना मुश्किल भले ना रहा हो लेकिन कभी इतना वक्त ना तो आप को दिया और ना मिला।

बदलाव नहीं किया तो कांग्रेस का भविष्य नहीं : सत्यव्रत

Last Updated: Sunday, December 22, 2013, 15:59

45 साल से लटका लोकपाल बिल पास हो चुका है। इस बिल को लेकर सभी सियासी दलों में सहमति बनाने में सेलेक्ट कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर सत्यव्रत चतुर्वेदी के सामने कई मुश्किलें आईं। जानते हैं सियासत की बात में चतुर्वेदी से कि आखिरकार सभी सियासी दलों में लोकपाल बिल को लेकर कैसे सहमति बन पाई।

स्मार्ट फोन का जमाना क्या कभी होगा पुराना...?

Last Updated: Thursday, December 19, 2013, 15:37

यह एक ऐसा विषय है जिस पर यदि बात की जाये तो बात कभी खत्म ही ना होगी। एक ऐसा विषय जिस पर जितने मुंह उतनी बातें इसलिए इस विषय पर मतभेद होना स्वाभाविक सी बात है।

सम्मान का सवाल

Last Updated: Wednesday, December 18, 2013, 20:41

अमेरिका में डिप्लोमैट देवयानी के साथ किए गए बर्ताव पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। सड़क से लेकर संसद तक इस मसले पर सब इस वाकये को भारत के सम्मान पर हमला बता रहे हैं और एक बार फिर ये बहस शुरु हो गई है कि क्या भारत को अपनी विदेश नीति बदल लेनी चाहिए।

`आप` की असलियत

Last Updated: Monday, December 16, 2013, 17:25

सियासत की महफिल में नए नए तशरीफ लाए अरविंद केजरीवाल पुराने जमे हुए लोगों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे हैं वो भी तब जब सियासत में माहिर लोग उन्हें बिना शर्त समर्थन देने को तैयार है। एक कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है लिहाजा लोकपाल बिल के मसले पर सियासतदानों से अपना हाथ जला चुके अरविंद केजरीवाल इस बार फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं, तभी उन्हें दिल्ली में सरकार बनाने के लिए बिना शर्त समर्थन की पेशकश ने पसोपेश में डाल दिया है।