भुवनेश्वर : नवीन पटनायक ने जब राजनीति में कदम रखा था तो उन्हें एक नौसिखिये और अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने में अक्षम व्यक्ति के तौर पर देखा गया, लेकिन उन्होंने अपने बारे में बनाई गई ऐसी तमाम धारणाओं को तोड़ते हुए खुद को राजनीतिक कौशल और रणनीति के धुरंधर के तौर पर साबित किया। अब वह लगातार चौथी बार ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
नवीन पटनायक (67) इस बात पर जोर देते हैं कि उनकी पार्टी बीजद का लक्ष्य उनके पिता बीजू पटनायक के सपने को हकीकत में बदलना है। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद पटनायक ने कहा, ‘सिर्फ बीजद ही इसे पूरा कर सकती है। वह ओडिशा को एक विकसित राज्य के रूप में तब्दील कर सकती है तथा साथ में इसके स्वाभिमान और लोगों के हितों की रक्षा भी कर सकती है।’
घोटालों को लेकर हो रहे राजनीतिक हमलों और सत्ता विरोधी माहौल के बीच पटनायक ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। चुनाव प्रचार के दौरान बीजद प्रमुख ने धुआंधार प्रचार किया और कांग्रेस एवं भाजपा जैसे राजनीतिक दलों को ओडिशा के हितों के विरोधी के तौर पर पेश किया।
पटनायक ने बीजद को गरीबों और पिछड़ों की सबसे बड़ी हितैशी के रूप में पेश किया तथा केंद्रीय स्तर पर राज्य की उपेक्षा किए जाने का भी आरोप लगाया। ओडिशा में खनन और चिटफंड सहित कई घोटालों एवं मनरेगा में अनियमितताओं के आरोपों से बेपरवाह नवीन पटनायक ने विरोधियों को खुलकर चुनौती दी। उनके इसी आक्रामक प्रचार का नतीजा रहा कि बीजद को 147 सदस्यीय विधानसभा में 117 सीटें तथा 21 लोकसभा सीटों में से 20 सीटें मिलीं।
पटनायक ने साल 1997 में अपने पिता बीजू पटनायक के निधन के बाद राजनीति में कदम रखा। विपक्ष पर सीधा हमला करते हुए बीजद के लिए मजबूत जमीन तैयार की। करीब 17 वर्षों से राजनीतिक सफर में नवीन ने खुद को हमेशा सादगी भरी जीवन शैली में समेटे रखा और धीरे-धीरे वह एक मंझे हुए और आत्मविश्वास से लबरेज नेता रूप में उभरकर सामने आए।
नवीन ने कई बार विपरीत परिस्थितियों को सहज ढंग से संभालने में अपने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया। दो साल पहले पार्टी के भीतर ही उनके खिलाफ कथित तौर पर विद्रोह की स्थिति पैदा हुई तो उस वक्त वह विदेश दौरे पर थे। उन्होंने इस कथित बगावत के सूत्रधार माने जाने वाले प्यारी मोहन महापात्र को बाहर का रास्ता दिखाया और बीजद में सब कुछ सामान्य कर लिया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 18, 2014, 19:48