मोदी कैसे लाएंगे अच्छे दिन?

मोदी कैसे लाएंगे अच्छे दिन ?

एग्जिट पोल की माने तो यूपीए सरकार के कुशासन से त्रस्त जनता ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को देश की कमान सौंपी है। विगत 10 वर्षों में घोटाले, भ्रष्टाचार और महंगाई ने जनता का जीना मुहाल कर दिया था। इससे परेशान होकर लोग कांग्रेस और यूपीए सरकार के विकल्प की तलाश कर रही थी कि उसी समय नरेंद्र मोदी ने अपने अच्छे काम की बदौलत गुजरात में भाजपा को लगातार तीसरी बार सत्ता दिलाई। इसके बाद इनके विकास के कार्यों की चर्चा देशभर में होने लगी। भाजपा ने मौके की नजाकत को समझा और मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। मोदी ने देशभर में सेमिनार और सभाएं करके गुजरात के विकास मॉडल को जनता के सामने रखा। लोगों ने मोदी में भरोसा जताया, फलस्वरूप केंद्र में एनडीए की सरकार बनती दिख रही है।

अब सवाल उठता है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद क्या वाकई अच्छे दिन आ जाएंगे? क्या हम दिन-रात जिन समस्याओं से जूझते हैं वे मोदी के आने के बाद हल हो जाएंगी? देश का आम आदमी कई समस्यों से जूझ रहा है। आर्थिक असमानता की वजह से कुछ लोगों के पास धन का सर्वाधिक हिस्सा जमा हो चुका है। अधिकांश लोग आर्थिक तंगी में जी रहे हैं। इसलिए आज भी देश की 26 फीसदी आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर कर रही है। इस खाई को कैसे पाटेंगे नरेंद्र मोदी?

जनता के सामने सबसे बड़ी समस्या महंगाई है। मूलभूत आवश्यकताओं की चीजों की कीमतें दिन-प्रतिदिन बढ़ने से आम जनता त्रस्त है। कभी पेट्रोल, कभी डीजल तो कभी रसोई गैस की कीमतें बढ़ती रहती हैं। जिससे अन्य वस्तुओं की कीमतें स्वतः बढ़ जाती है, परन्तु उस हिसाब से आम लोगों की आय नहीं बढ़ती है। महंगाई के बाद बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। रोजगार की तलाश में युवाओं को अपने राज्यों से पलायन होने को मजबूर होना पड़ता है। जिससे दूसरे राज्य और देशों में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। देश भर के सभी स्कूलों और कॉलेजों में सभी के लिए शिक्षा का समान अवसर उपलब्ध होना चाहिए ताकि सभी तबकों को शिक्षा मिल सके। शिक्षा के निजीकरण के चलते शिक्षा महंगी हो गई है। पैसे के अभाव में आम लोग चाह कर भी शिक्षा पूरी नहीं कर पाते। इसलिए निजीकरण पर अकुंश लगाना जरूरी है जिससे सबको समान शिक्षा का अवसर मिल सके। शिक्षा के बाद लोगों की जिंदगी में चिकित्सा का अहम स्थान है। स्वस्थ्य भारत से ही श्रेष्ठ भारत की कल्पना की जा सकती है। शहरों में एम्स जैसे अस्पताल खोलने पर जोर है, लेकिन गांवों में डिस्पेंसरी का कोई जिक्र नहीं हो रहा है। जबकि देश की अधिकांश आबादी गांव में बसती है।

माना जा रहा है, सभी समस्यों की जड़ भ्रष्टाचार है। आजादी के बाद से जीप घोटाला से लेकर चारा घोटाला, शेयर घोटाला, 2जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, कोयला घोटाला जैसे कई घोटाले ने देश की आर्थिक रीढ़ को कमजोर कर दिया है। जिसकी वजह से भारत अब तक विकसित देश न बनकर विकासशील देश ही बनकर रह गया है। इसके अलावे देश में जातिवाद, क्षेत्रवाद, उग्रवाद, आतंकवाद जैसे तमाम मुद्दों पर देश के नए प्रधानमंत्री को हल करना होगा। साथ ही विदेशों में जमा काले धन को वापस लाना भी सबसे बड़ी चुनौती होगी।

कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी एक महान स्वप्नदृष्टा हैं। सपनों को हकीकत में तब्दील करने की उत्कृष्ट क्षमता है। उन्होंने गुजरात का उत्थान और कायापालट कर राष्ट्रीय परिदृष्य पर सबसे आगे लाकर खड़ा किया है। उम्मीद है भारत के लिए भी उनका सपना सच साबित होगा। वे समाज से अंधेरा, उदासी और गरीबी को बाहर निकालेंगे। संपूर्ण मानव समाज को विकास और प्रगति के रास्ते पर तीव्र गति से आगे बढ़ाएंगे।



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