भगवान भरोसे टीम इंडिया

भगवान भरोसे टीम इंडिया

दुनिया के मशहूर क्रिकेट कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी इन दिनों किस्मत को कोसने लगे हैं। न्यूजीलैंड के हाथों वनडे सीरीज 0-4 से गंवाने के बाद पहले टेस्ट में करारी शिकस्त खाने पर उन्होंने कहा कि टीम इंडिया को भाग्य ने साथ नहीं दिया। शायद धोनी का यह बयान किसी भी भारतीय क्रिकेट फैंस को पसंद नहीं आया होगा। आए भी कैसे? वनडे की विश्वविजेता टीम को इस तरह हारते देखना कौन पसंद करेगा? जिस कप्तान ने भारतीय क्रिकेट को बुलंदियों पर पहुंचाया। उसके मुख से भाग्य जैसे शब्द सुनना कोई पसंद नहीं करेगा क्योंकि धोनी कप्तान के साथ-साथ जूझारू खिलाड़ी माने जाते हैं जो हारी हुई बाजी को जीत में तब्दील करना जानते हैं।

धोनी ने भारत को टी20 क्रिकेट में विश्वविजेता बनाया। इतना ही नहीं वनडे क्रिकेट में 28 साल बाद विश्व चैंपियन होने का भी गौरव दिलाया। इसके बावजूद टेस्ट और वनडे दोनों में भारतीय क्रिकेट टीम को नबंर वन की कुर्सी पर बैठाया। धोनी की अगुवाई में भारतीय टीम ने 2007 में ट्वेंटी-20 विश्व कप, 2011 में वनडे वर्ल्ड कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की। इस टीम को भाग्य नहीं अपने प्रतिभा पर विश्वास करना चाहिए ना कि मैच में खराब अंपायरिंग पर उंगली उठानी चाहिए। भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के दौरे पर जिस तरह से हारी है उसमें बहाने बाजी नहीं होनी चाहिए बल्कि अपनी कमियों पर गौर करना चाहिए।

भारतीय टीम विदेशी धरती पर पूरी तरह से फ्लॉप रही है। चाहे वह बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, भारत की गेंदबाजी पर तो हमेशा सवाल उठते रहे हैं, लेकिन बल्लेबाजी फ्लॉप होना चिंता का कारण है। इन दोनों दौरे पर भारत की बल्लेबाजी किसी स्तर पर नंबर वन टीम की तरह नहीं दिखी। भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय गेंदबाजों के प्रदर्शन की कड़ी आलोचना की है। गावस्कर ने कहा, भारत के लिए गेंदबाजी सबसे बड़ी चिंता है। मैं नहीं जानता कि समस्या क्या है। वे लगातार वही गलतियां दोहरा रहे हैं। यदि वे अपनी गलतियों में जल्द सुधार नहीं करते तो फिर अगले साल ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में होने वाले विश्व कप में काफी परेशानी होगी। लेकिन कई क्रिकेट विशेषज्ञों का धोनी पर अभी पूरा भरोसा है। सिद्धू ने धोनी को सर्वव्यापी और ऑल इन वन बताया है।

रिकॉर्ड दर रिकॉर्ड बनाने वाले महेंद्र सिंह धोनी न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच हारने के साथ ही विदेशों में सबसे असफल भारतीय कप्तान बनने का रिकॉर्ड बना गए। धोनी की कप्तानी में भारत की विदेशी सरजमीं पर यह 11वीं हार है जो कि नया भारतीय रिकॉर्ड है। मंसूर अली खां पटौदी, मोहम्मद अजहरूद्दीन और सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत ने विदेश में 10 टेस्ट मैच गंवाए थे। विदेशों में सर्वाधिक टेस्ट मैच गंवाने वाले कप्तानों की सूची में इनके बाद बिशन सिंह बेदी (8 टेस्ट), सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर (दोनों 6 टेस्ट) तथा लाला अमरनाथ, विजय हजारे, दत्तू गायकवाड़, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले (सभी 4 टेस्ट मैच) का नंबर आता है। इसके साथ ही भारत ने विदेशों में हार का शतक भी पूरा कर लिया है। आकलैंड में भारत को विदेशी सरजमीं पर 100वीं हार मिली।

भारत विदेशी सरजमीं पर 100 या इससे अधिक मैच हारने वाली चौथी टीम बन गई है। उससे पहले इंग्लैंड (161), वेस्टइंडीज (112) और ऑस्ट्रेलिया (106) इस सूची में शामिल थे। भारत की यह 477वें टेस्ट मैच में कुल 151वीं हार है। न्यूजीलैंड ने अपनी कुल 75वीं टेस्ट जीत दर्ज की। धोनी के नेतृत्व में भारत ने हाल में दक्षिण अफ्रीकी दौरे में डरबन में खेला गया टेस्ट मैच दस विकेट से गंवाया था जबकि अब न्यूजीलैंड में भी उसे पहले टेस्ट मैच में हार झेलनी पड़ी। कप्तान के रूप में विदेशों में सर्वाधिक मैच गंवाने का विश्व रिकॉर्ड न्यूजीलैंड स्टीफन फ्लेमिंग और वेस्टइंडीज के ब्रायन लारा के नाम पर दर्ज है। इन दोनों की कप्तानी में उनकी टीमों को विदेशों में 16 हार मिली थी।

धोनी की कप्तानी में भारत ने विदेशों में पहला टेस्ट मैच जुलाई 2010 में श्रीलंका के खिलाफ गाले में गंवाया था। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दिसंबर 2010 में सेंचुरियन में उनकी टीम को पारी के अंतर से हार मिली थी। धोनी की कप्तानी में भारत की यह कुल 14वीं हार है। धोनी की कप्तानी रिकॉर्ड अब 52 टेस्ट मैच में 26 जीत और 14 हार का हो गया है। उनकी कप्तानी में भारत ने विदेशों में जो 22 मैच खेले उनमें से उसे पांच में जीत और 11 में हार मिली। अगर धोनी और उनकी सेना इसी तरह से प्रदर्शन करती रही तो वास्तव में टीम इंडिया का तारणहार भगवान ही हो सकते हैं।





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