Last Updated: Thursday, November 7, 2013, 13:01
कोलकाता में अपना 199वां टेस्ट मैच खेल रहे सचिन तेंदुलकर पहली पारी में केवल 10 रन बनाकर पगबाधा आउट हो गए। क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि सचिन इंग्लैंड के अंपायर के विवादास्पद फैसले का शिकार हो गए। हमेशा मैदान पर शांत और अंपायर के फैसले को सम्मान करने वाले सचिन ने भी नराजगी व्यक्त की। सवाल यह उठता है कि सचिन जब आउट नहीं थे तो उन्हें आउट क्यों दिया गया? कहीं सचिन सट्टेबाजी के शिकार तो नहीं हुए? क्या अंपायर सट्टेबाजों में मिले हुए हैं? सचिन तेंदुलकर के इन दो टेस्ट मैचों में शतक लगाने को लेकर करीब 1000 करोड़ रुपए का सट्टा लग चुका है। सट्टेबाजों का कहना है कि सचिन के बल्ले से शतक नहीं निकलेगा।
वेस्टइंडीज के ऑफ स्पिनर शिलिंगफोर्ड द्वारा डाली गई भारतीय पारी के 29वें ओवर की तीसरी गेंद पर सचिन को अंपायर ने एलबीडब्ल्यू आउट करार दिया। शिलिंगफोर्ड की 'दूसरा' को सचिन पढ़ नहीं पाए और गेंद उनके पैड पर लगी। जोरदार अपील हुई और अंपायर ने सचिन को विकेटों के सामने पाकर आउट करार दिया। सचिन ने मायूस होकर मैदान छोड़ा, लेकिन टेलीविजन रिप्ले में जाहिर हुआ कि गेंद की ऊंचाई अधिक थी और इस आधार पर सचिन को नॉट आउट करार दिया जा सकता था।
अगर मैच में डीआरएस होता तो सचिन आउट नहीं होते। वे अपने 199वां मैच में शतक लगाकर यादगार बनाते। बीसीसीआई ने शुरू से अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआएस) का विरोध किया है और इसीलिए भारत की किसी भी टेस्ट सीरीज में डीआरएस लागू नहीं किया जाता। डीआरएस के जरिए मैदानी अंपायर के निर्णय के खिलाफ टेलीविजन अंपायर से अपील की जा सकती है, जिसमें विवादास्पद निर्णयों का निराकरण होता है। आज अगर बीसीसीआई ने डीआरएस अपनाया होता तो सचिन उसके सहारे नॉट आउट करार दिए जा सकते थे।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली ने भी कहा कि आज अगर डीआरएस होता तो सचिन आउट नहीं होते। इसी तरह पूर्व भारतीय बल्लेबाज और कॉमेंटेटर नवजोत सिंह सिद्दू ने भी सचिन को इस तरह आउट दिए जाने पर नाराजगी जताई।
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