Last Updated: Friday, April 18, 2014, 16:59
स्पॉट फिक्सिंग विवादों के बीच मसाला क्रिकेट आईपीएल 7 का आगाज हो गया। लेकिन आईपीएल 6 के दौरान इसके दामन पर लगे दाग ने क्रिकेट की पवित्रता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। भारत में क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं है बल्कि यह धर्म की तरह लोगों की रगों में बसा है। यही एक ऐसा खेल है जो भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने में फेविकॉल का काम करता है। जब टीम इंडिया जीतती है तो जम्मू-कश्मीर से तामिलनाडु और राजस्थान से अरुणाचल प्रदेश तक जीत के जश्न में हर एक भारतवासी जाति, धर्म से ऊपर उठकर शरीक होता है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में क्रिकेट क्या योगदान रखता है। कोई भी भारतवासी क्रिकेट के किसी फॉर्मेट को गंदा होते देखना बर्दाश्त नहीं करेगा।
जब इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का आगाज हुआ था तब क्रिकेट प्रेमियों में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला था। आईपीएल का पहला सत्र इतना हिट हुआ है कि प्रायोजक भी दंग रह गए। इसे आगे भी जारी रखने का फैसला किया गया। इसमें खिलाड़ियों की मंडी लगने लगी। भारत ही नहीं, विदेशी खिलाड़ी भी दिलचस्पी लेने लगे। घरेलू क्रिकेटर से लेकर विश्व के नामी क्रिकेटर भी इसमें बिकने को आतुर हो गए। धीरे-धीरे यह लीग कई हजार करोड़ का बिजनेस करने लगा। इस खेल में उद्योगपति और फिल्मी हस्तियां भी शामिल हो गए। अपनी-अपनी टीम और अपने-अपने पसंद के खिलाड़ियों को मुंह मांगा कीमत देकर खरीदे। लेकिन यह भद्र जनों का खेल धीरे-धीरे सट्टेबाजी और फिक्सिंग का अड्डा बन गया।
आईपीएल के छठे सीजन में मैच फिक्सिंग का खेल सबके सामने आया। क्रिकेटर श्रीसंत, अजित चंदीला, अंकित चव्हाण के नाम स्पॉट फिक्सिंग में जगजाहिए हो गए। पुलिस जांच जब आगे बढ़ी तो बड़े-बड़े दिग्गज के नाम इससे जुड़ने लगे। अभिनेता विंदू दारा सिंह, आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स के सह मालिक राज कुंद्रा, चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक और बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन के नाम सामने आए। लेकिन बीसीसीआई ने आनन-फानन में जांच समिति बनाकर मयप्पन समेत कइयों को क्लीन चिट दे दी।
मामला यहां खत्म नहीं हुआ, क्रिकेट को क्लीन करने के लिए बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव आदित्य वर्मा ने स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच में बीसीसीआई द्वारा गठित दो सदस्यीय समिति द्वारा एन श्रीनिवासन और अन्य लोगों को क्लीन चिट देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। इसके आधार पर कोर्ट ने मुद्गल समिति का गठन किया था।
सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामले की स्वतंत्र जांच करने वाली जस्टिस मुकुल मुद्गल समिति ने बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की। कोर्ट ने जांच होने तक श्रीनिवासन को बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटने का आदेश पारित किया। उसके स्थान पर बीसीसीआई और आईपीएल के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर को सौंप दी।
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने अहम खुलासा करते हुए कहा कि आईपीएल मैच फिक्सिंग और सट्टेबाजी की जांच के लिए गठित मुद्गल समिति की रिपोर्ट में 13 लोगों के नाम हैं उनमें श्रीनिवासन का नाम भी शामिल है। मुद्गल समिति ने श्रीनिवासन पर 12 तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने बताया कि बहुत खास क्रिकेटरों के भी नाम हैं लेकिन हम इस समय उनके नाम नहीं लेना चाहते।
कोर्ट ने इस मामले की जांच किसी दूसरी एजेंसी से न कराकर बीसीसीआई द्वारा गठित समिति को सारे मामले की जांच करने को कहा। कोर्ट ने यह भी कहा, आरोपों के स्वरूप को देखते हुए हम इससे अपनी आंखें नहीं मूंद सकते हैं और जब तक यह पूरी हो, श्रीनिवासन बीसीसीआई में नहीं आ सकते।
सवाल यह उठता है कि अगर बीसीसीआई इस मामले की जांच करती है तो कहीं फिर से लीपापोती न हो जाए। क्योंकि इससे पहले भी इस मामले में बीसीसीआई ने श्रीनिवासन को अलग रखते हुए जगमोहन डालमिया को अंतरिम अध्यक्ष बनाकर जांच की थी। इस जांच में खिलाड़ियों को तो दोषी करार दिया गया था पर श्रीनिवासन के दामाद मयप्पन को बरी कर दिया गया था। क्या सिर्फ जांच पूरी होने तक अध्यक्ष पद से हटा देने भर से जांच प्रभावित नहीं होगी? क्या इस तरह से आईपीएल क्लीन हो पाएगा? इसमें संदेह है। हालांकि बीसीसीआई के अंतरिम अध्यक्ष सुनील गावस्कर ने कहा कि आईपीएल की प्रतिष्ठा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। आईपीएल की छवि सबसे ऊपर है, तथा किसी भी कीमत पर इसे धूमिल नहीं होने दिया जाएगा।
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