आखिर नरेंद्र मोदी चीज क्या हैं?

आखिर नरेंद्र मोदी चीज क्या हैं?

पटना के गांधी मैदान में सीरियल धमाकों के बीच 27 अक्टूबर को हुंकार रैली में नरेंद्र मोदी ने जिस अंदाज में हुंकार भरी और उसके बाद तमाम गैर भाजपाई दलों ने जिस तरह से मोदी पर हमले शुरू किए हैं उससे यह बात समझ से परे हो गया है कि नरेंद्र मोदी आखिर चीज क्या हैं।

सबसे पहले बात करते हैं नरेंद्र मोदी के चिर प्रतिद्वंद्वी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की। मंगलवार को राजगीर में जनता दल यूनाइटेड के चिंतन शिविर में अपने संबोधन में नीतीश ने मोदी को हिटलर की उपाधि तक दे डाली। ये अलग बात है कि जॉर्ज फर्नांडीस भी नीतीश को कभी तानाशाह बता चुके हैं। लेकिन जेडीयू के इसी चिंतन शिविर में पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने नीतीश को यह कह कर नसीहत दे डाली कि मोदी एक ताकतवर शख्स हैं और उनकी अनदेखी करना जेडीयू की बड़ी भूल होगी।

नीतीश इतने से ही नहीं थमे। बुधवार को वे पहुंचे नई दिल्ली। नीतीश को जरूर पूछा जाना चाहिए कि वह यहां क्या करने आए थे। दो दिन पहले नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान जिस पटना में एक के बाद एक सात धमाके हुए हों और गांधी मैदान से अभी भी जिंदा बम निकाले जा रहे हों, उस प्रदेश का मुखिया सांप्रदायिकता के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष मोर्चा यानी तीसरा मोर्चा या यों कहिए 'मोदी विरोधी मोर्चा' की 17 दलों के एक मंच पर दिल्ली में बुनियाद रखने में अहम भूमिका निभाने पहुंचें तो इसे 'मोदी फोबिया' नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे। इस मंच से भी नीतीश ने मोदी के खिलाफ जहर उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

अब बात करते हैं कांग्रेसी नेताओं की। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद बोले कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने बीते 27 अक्तूबर को पटना में अपनी राजनीतिक रैली के आयोजन स्थल गांधी मैदान में बम धमाकों के बावजूद रैली की। खुर्शीद ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि धमाकों के बावजूद रैली करने से किसी का भी ख्याल न रखने का उनका असली चरित्र सामने आ गया है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘क्या उनकी (पीड़ितों की) जान की कोई कीमत नहीं थी जो उन्हें देखने आए थे। उन्होंने इतना भी नहीं कहा कि जो हुआ है उसका उन्हें बहुत दुख है। इस रैली में मोदी के बर्ताव को तो देखिए।’

केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘फासीवादी’ करार दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग लोकतंत्र के माध्यम से सत्ता हासिल करने के बाद उसे नष्ट कर देते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर तिवारी ने कहा कि 30 जनवरी 1933 को हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और 27 फरवरी 1933 को उसने रैहस्टाग को जला दिया। फासीवाद की भाषा उसके आगे के कार्यों की प्रस्तावना होती है। कुल मिलाकर मनीष तिवारी जी ने भी मोदी की तुलना हिटलर से कर नीतीश की बात का समर्थन ही किया।

और अंत में अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार न्यूयार्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में इस बात का उल्लेख किया कि भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भारत को प्रभावी नेतृत्व नहीं दे सकते हैं क्योंकि उनके कारण कई लोगों के मन में भय और घृणा की भावना पैदा होती है। ऐसा लगता है कि न्यूयॉर्क टाइम्स भी नीतीश कुमार और कांग्रेस नेताओं की तरह 'मोदी फोबिया' से ग्रस्त हो गया है।

नरेंद्र मोदी के ऊपर उक्त तमाम लांछन को लेकर इतना तो तय लगता है कि लांछन लगाने वाले इस बात से बेहद भयभीत हैं कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार आगामी लोकसभा चुनाव-2014 में बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। लेकिन मेरे विचार से मोदी को लेकर इतनी हायतोबा मचाने की आखिर जरूरत क्या है। मोदी कोई ऐसी अबूझ पहेली तो हैं नहीं। एक दशक से अधिक समय से गुजरात में राज कर रहे हैं। गुजरात की कहानी किसी से छिपी नहीं है। माना कि गुजरात में दंगे हुए लेकिन उसके बाद का भी तो गुजरात हमें देखना होगा।

(The views expressed by the author are personal)

comments powered by Disqus